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खास महाल की भूमि फ्री होल्ड हुई, तो विकास की गति तेज होगी

मेदिनीनगर : पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर में व्यवसाय का अपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा है. इसका मुख्य कारण खास महाल की भूमि का लीज नवीकरण नहीं होना बताया जा रहा है. पिछले 40 वर्ष से अधिक समय से खास महाल भूमि का लीज नवीकरण का काम बंद है. मेदिनीनगर की 80 फीसदी दुकानें खास […]

मेदिनीनगर : पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर में व्यवसाय का अपेक्षित विकास नहीं हो पा रहा है. इसका मुख्य कारण खास महाल की भूमि का लीज नवीकरण नहीं होना बताया जा रहा है. पिछले 40 वर्ष से अधिक समय से खास महाल भूमि का लीज नवीकरण का काम बंद है. मेदिनीनगर की 80 फीसदी दुकानें खास महाल की जमीन पर है.

व्यवसाय के विस्तार के लिए बैंक व्यवसायियों को लोन नहीं देता. जमीन का नवीकरण नहीं हो पाया है और ना ही नक्शा ही पास हो पाता है. ऐसे में खास महाल भूमि के लीज नवीकरण हो, इसके लिए पिछले कई वर्षों से खास महाल भूमि को फ्री होल्ड करने की मांग की जा रही है.

पिछले कई वर्षों से फ्री होल्ड करने की मांग को लेकर आंदोलन हो रहा है. राज्य में मुख्यमंत्री रघुवर दास के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद इस मामले को लेकर कई बार पलामू चेंबर अॉफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने प्रयास किया. दो दिन पहले चेंबर अध्यक्ष आनंद शंकर ने सीएम श्री दास से मुलाकात कर फ्री होल्ड की मांग की. इस पर यह भरोसा मिला है कि चुनाव के पहले खास महाल की भूमि को फ्री होल्ड कर दिया जायेगा. ऐसे में लोगों में उम्मीद जगी है कि वर्षों पुरानी यह समस्या दूर हो जायेगी. जानकारों का कहना है कि यदि सरकार के स्तर से फ्री होल्ड करने के मामले को मंजूरी दी गयी, तो शहर का विकास तेज गति से होगा. पलामू 127 साल पुराना जिला है.
एक जनवरी 1892 को पलामू का गठन हुआ है. पलामू जिला मुख्यालय मेदिनीनगर है. मेदिनीनगर को जिला मुख्यालय के साथ-साथ प्रमंडलीय मुख्यालय होने का गौरव भी प्राप्त है. तीन मई 1992 को पलामू को प्रमंडल का दर्जा मिला है. ऐसे में प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर का अपेक्षित विकास नहीं हुआ, तो इसका मूल कारण खास महाल भूमि के लीज नवीकरण नहीं हो पाना भी है. ऐसे में जब एक बार फिर खास महाल भूमि को फ्री होल्ड करने की बात हो रही है, तो ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इस बार खास महाल की भूमि फ्री होल्ड होगी या फिर अन्य बार की तरह इस बार भी मामला ठंडे बस्ते में चला जायेगा.
कब-कब क्या हुए प्रयास : बात एकीकृत बिहार की जमाने की है. 1995 में मेदिनीनगर (तब डालटनगंज) के विधायक इंदर सिंह नामधारी बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के मंत्रिमंडल में भू राजस्व मंत्री थे. तब उन्होंने खास महाल जमीन को फ्री होल्ड करने की मांग उठायी थी, लेकिन बाद में तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री यादव से अनबन होने के कारण श्री नामधारी ने पद से इस्तीफा दे दिया था. मामला लटका ही रह गया. इस बीच झारखंड राज्य का गठन हुआ. झारखंड बनने के बाद एक बार फिर खास महाल भूमि को फ्री होल्ड करने की मांग उठी. पलामू चेंबर अॉफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने इसे मुद्दा बनाया.
2005 में उद्योग मेला लगा कर इस मांग को उठाया. 2005 में उद्योग मेला का उद्घाटन झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने किया था. श्री मुंडा की सरकार ने पांच प्रतिशत सलामी लेकर नवीकरण की बात की थी, लेकिन तब विधायक श्री नामधारी ने इसका विरोध करते हुए फ्री होल्ड करने की बात कही थी. बाद में इस मामले में भी कोई हल नहीं निकल सका. इस बीच चेंबर लगातार इस मांग को उठाता रहा.
डालटनगंज के विधायक केएन त्रिपाठी हेमंत सोरेन की मंत्रिमंडल में शामिल हुए, तो उन्होंने भी लीज नवीकरण के लिए शिविर लगाने की बात कही. प्रयास हुआ लेकिन अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आया. इस बीच 2014 में राज्य में रघुवर दास के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद पलामू चेंबर अॉफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने फिर से पहल तेज की.
अध्यक्ष श्री शंकर की पहल पर सांसद वीडी राम, विधायक राधाकृष्ण किशोर ने मुख्यमंत्री श्री दास से मुलाकात की. उन्होंने भरोसा दिया. इस बीच चार फरवरी 2019 को विधानसभा सत्र के दौरान विधायक राधाकृष्ण किशोर ने सदन में इस मामले को उठाया. उनके द्वारा यह जानने का प्रयास किया गया कि क्या सरकार खास महाल भूमि को फ्री होल्ड करने का विचार रखती है. इस पर मुख्यमंत्री श्री दास ने यह जवाब दिया था कि सरकार इस मुद्दे पर विचार कर रही है.

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