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धोती की जगह शर्ट-पैंट का कपड़ा देगी सरकार, सिलाई का खर्च देंगे मजदूर

रांची : राज्य सरकार ने पुरुष मजदूरों को अब धोती की जगह शर्ट-पैंट का कपड़ा यानी कटपीस देने का फैसला किया है. कटपीस मजदूरों को मुफ्त मिलेगा. लेकिन, सिलाई का खर्च मजदूरों को खुद ही वहन करना होगा. श्रम विभाग के सचिव ने महिला मजदूरों को साड़ी और पुरुष मजदूरों को कटपीस देने के लिए […]

रांची : राज्य सरकार ने पुरुष मजदूरों को अब धोती की जगह शर्ट-पैंट का कपड़ा यानी कटपीस देने का फैसला किया है. कटपीस मजदूरों को मुफ्त मिलेगा. लेकिन, सिलाई का खर्च मजदूरों को खुद ही वहन करना होगा. श्रम विभाग के सचिव ने महिला मजदूरों को साड़ी और पुरुष मजदूरों को कटपीस देने के लिए री टेंडर कराने का आदेश दिया है.राज्य के करीब आठ लाख निबंधित मजदूरों के बीच मुफ्त साड़ी और कटपीस का वितरण किया जाना है. श्रम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रति मजदूर 600 रुपये की दर से साड़ी और कटपीस उपलब्ध कराने की योजना है. इस पर करीब 54 करोड़ रुपये खर्च होंगे़
300 रुपये से कम में नहीं होती है सिलाई
कटपीस को शर्ट-पैंट बनाने में कम से कम 300 रुपये खर्च होते हैं. यह राशि राज्य के मजदूरों की एक दिन की औसत आमदनी से अधिक है. ऐसे में मजदूरों के लिए सिलाई का खर्च देना खासा मुश्किल हो सकता है. यूनिफार्म की तरह हो जायेंगे कपड़े :मजदूरों को साड़ी और शर्ट-पैंट देने के लिए थोक में खरीदारी की जायेगी. एक ही रंग की साड़ी और शर्ट-पैंट के कपड़े दिये जायेंगे. इस तरह मजदूरों के लिए कपड़े यूनिफार्म की तरह हो जायेंगे.
कपड़े की जगह बैंक खाते में राशि देने की मांग
मजदूरों को साड़ी व शर्ट-पैंट के कपड़े देने की जगह उनको कपड़े खरीदने के लिए राशि सीधे उनके बैंक एकाउंट में ट्रांसफर करने की मांग भी की जा रही है. कांग्रेस नेता अजयनाथ शाहदेव ने कहा कि डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) से योजना में कमीशनखोरी और गड़बड़ी की आशंका भी खत्म हो जाती है. डीबीटी होने पर मजदूर मनपसंद कपड़े खरीद सकेंगे. सभी मजदूरों के कपड़ों की एकरूपता भी नहीं होगी. वहीं, टेंडर करके वस्त्र ही वितरण की जिद गड़बड़ी की अोर इशारा करती है

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