आलोक पुराणिक
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चंद्रयान द्वितीय से दोनों का भला
आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार puranika@gmail.com चंद्रयान द्वितीय अभियान पर स्मार्ट विवि ने एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया, इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस प्रकार है- चंद्रयान द्वितीय अभियान में ठीक वैसे रिजल्ट नहीं मिले, जैसे रिजल्ट की उम्मीद थी. वैज्ञानिकों और नेताओं में यह अंतर होता है कि वैज्ञानिक अभियान के रिजल्ट अगर उम्मीद […]
वरिष्ठ व्यंग्यकार
puranika@gmail.com
चंद्रयान द्वितीय अभियान पर स्मार्ट विवि ने एक निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया, इसमें प्रथम पुरस्कार प्राप्त निबंध इस प्रकार है- चंद्रयान द्वितीय अभियान में ठीक वैसे रिजल्ट नहीं मिले, जैसे रिजल्ट की उम्मीद थी. वैज्ञानिकों और नेताओं में यह अंतर होता है कि वैज्ञानिक अभियान के रिजल्ट अगर उम्मीद माफिक न आएं, तो इवीएम को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.
यानी वैज्ञानिक दोबारा लगेंगे अपने काम में और अपनी उम्मीदों के मुताबिक रिजल्ट लाकर ही दिखायेंगे, पर चंद्रयान द्वितीय अभियान के कई ऐसे परिणाम आये, जो बहुत ही सुखद थे. कई दिनों से तमाम टीवी चैनलों पर चंद्रयान से जुड़ी कवरेज दिखायी गयी और पब्लिक को न्यूज चैनलों पर चलनेवाली राजनीतिक पार्टियों की सतत कचकच से मुक्ति मिली. जो टीवी एंकर दो दिन पहले उस पार्टी की अंदरूनी राजनीति के अंदर की खबरों का एक्सपर्ट था, वह आज एक झटके में स्पेस विशेषज्ञ बन गया. उस गुट से वह नेता निकलकर इस गुट में जा रहा है- टाइप खबरों को बांचनेवाला एंकर बता रहा था कि अब चंद्रयान चंद्रमा की इस साइड से उस साइड पर जा रहा है.
पिछले कुछ दिनों टीवी चैनलों पर फिजिक्स के विद्वान आये, अंतरिक्ष के विद्वान आये, उनका बोला हुआ सारा समझ न आया. पर सवाल है कि जिन नेताओं को बोला हुआ सारा समझ में आता है, तब भी क्या खास हो जाता है. फिजिक्स के विद्वान भी टीवी पर दिखते रहने चाहिए. नहीं तो, नयी पीढ़ी इस शक में रहती है कि टीवी पर लगातार आने के लिए या तो नेता होना जरूरी है या सास-बहू टाइप कचकच के एक्सपर्ट राजनीतिक प्रवक्ता होना.
इस तरह से नयी प्रेरणाएं चंद्रयान द्वितीय ने दीं, नये बच्चों को. चंद्रयान द्वितीय जैसे अभियान लगातार चलाये जाने चाहिए. इस अभियान ने भारतीय दर्शकों को ज्ञान के मौके दिये और इससे पाकिस्तान के दर्शकों को कॉमेडी के कई मौके भी मिल सकते हैं. पाकिस्तान में कई रचनात्मक कथावाचक टीवी चैनलों पर दिफाई तर्जियाकार, सुरक्षा विशेषज्ञ के तौर पर आते हैं, जो बताते हैं कि 1971 में पाकिस्तान ने भारत के चार टुकड़े कर दिये थे.
इनमें कोई कथावाचक दिफाई तर्जियाकार एकाध दिन में यह जरूर कहेगा कि पाकिस्तान की फौज के एक सिपाही ने गुलेल से एक पत्थर बांध कर ऊपर फेंका और चंद्रयान द्वितीय की दिशा बदल गयी. पाकिस्तानी टीवी पर ऐसी कथाएं चलती रहती हैं. पाकिस्तानी फौज चंद्रयान द्वितीय की दिशा बदल सकती है, पाकिस्तान की दशा अलबत्ता न पाक फौज से बदली जा रही है, ना ही इमरान खान से बदली जा रही है.
कुल मिला कर, सही है कि पाकिस्तान के टीवी दर्शक भी कुछ नयी कथाएं सुन पायेंगे. वे भी बोर हो जाते हैं रोज वही-वही सुन कर कि इमरान ने बिलावल जरदारी भुट्टो को करप्ट कहा और भुट्टो ने इमरान को निकम्मा कहा.
तो इससे साफ होता है कि चंद्रयान द्वितीय जैसे अभियानों से भारत और पाक दोनों देशों का भला होता है.
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