पटना : मंगोलिया की राजधानी उलानबाटर में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन "पर्यावरण जागरूकता" विषय पर बोलते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चुनौती का मुकाबला करने के लिए पर्यावरण संरक्षण को जीवन शैली का हिस्सा बनना पड़ेगा. हिंदू और बौद्ध परंपरा में लोग वृक्ष, जीव-जंतु, पहाड़, नदी की पूजा करते हैं. यहीं कारण है कि भारत एवं बौद्ध देशों ने पर्यावरण को अन्य संस्कृतियों की तुलना में सबसे कम प्रदूषित किया हैं.
केंद्र सरकार के जलशक्ति अभियान के साथ ही बिहार सरकार भी 02 अक्टूबर से ‘ जल जीवन हरियाली’ अभियान प्रारंभ करने जा रही है. बिहार के सभी पोखर, तालाब, आहर-पाइन को अतिक्रमण मुक्त कर 3 वर्षों में पुनर्जीवित किया जाएगा. राज्य में जल संचय एवं जल संरक्षण के साथ-साथ नदी, नहर, सड़क के किनारे बड़े पैमाने पर पौधारोपण किया जायेगा. पर्यावरण संरक्षण को स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनाया जाएगा.
सुशील मोदी ने मंगोलिया सरकार से आग्रह किया कि जिस तरह तीसरी वचौथी शताब्दी में मंगोलिया के छात्र प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए आते थे उसी प्रकार भारत एवं बिहार सरकार द्वारा पुनर्स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय में मंगोलिया के छात्रों को अध्ययन हेतु भेजें. मंगोलिया सरकार के प्रतिनिधि बोधगया में मंगोलिया द्वारा स्थापित बुद्ध मंदिर को जोड़ने वाली सड़क के निर्माण का आग्रह करने पर उन्होंने मंगोलिया से दूरभाष पर गया के जिलाधिकारी से बात कर सड़क यातायात को सुदृढ़ करने का आश्वासन दिया. साथ ही मंगोलिया के राष्ट्रपति की इस माह भारत यात्रा के दौरान बोधगया आने का भी आग्रह किया.