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मैं हर टेस्ट को आखिरी समझकर खेलता हूं : हनुमा विहारी

नयी दिल्ली :अक्सर क्रिकेटर अपने प्रदर्शन का श्रेय टीम में जगह पक्की होने को देते हैं लेकिन हनुमा विहारी अपने हर टेस्ट को ‘आखिरी टेस्ट’ समझकर खेलते हैं ताकि आत्ममुग्धता से बच सकें . आंध्र के इस 25 वर्षीय बल्लेबाज ने वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 2 – 0 से मिली जीत में 291 […]

नयी दिल्ली :अक्सर क्रिकेटर अपने प्रदर्शन का श्रेय टीम में जगह पक्की होने को देते हैं लेकिन हनुमा विहारी अपने हर टेस्ट को ‘आखिरी टेस्ट’ समझकर खेलते हैं ताकि आत्ममुग्धता से बच सकें . आंध्र के इस 25 वर्षीय बल्लेबाज ने वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 2 – 0 से मिली जीत में 291 रन बनाकर रोहित शर्मा की जगह अंतिम एकादश में उन्हें उतारने के टीम प्रबंधन के फैसले को सही साबित कर दिया . विहारी ने एक इंटरव्यू में कहा ,‘‘ बेशक मैं अपने प्रदर्शन से खुश हूं लेकिन मैं स्पष्ट सोच के साथ इस दौरे पर गया था .

मैंने मैच दर मैच रणनीति बनाई और हर मैच को अपने आखिरी मैच की तरह खेला. इससे मुझे इस सोच के साथ उतरने में मदद मिली कि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है .’ कप्तान विराट कोहली ने हाल ही में कहा था कि विहारी बल्लेबाजी करता है तो ड्रेसिंग रूम में सुकून का माहौल रहता है . उन्होंने विहारी को वेस्टइंडीज दौरे की खोज भी बताया . इस पर विहारी ने कहा ,‘‘ यदि चेंज रूम में सबको आप पर इतना भरोसा है तो और क्या चाहिए . यह सबसे बढ़िया तारीफ है और खुद कप्तान ने की है तो मुझे और क्या चाहिए .’

छह टेस्ट में एक शतक और तीन अर्धशतक समेत 456 रन बना चुके विहारी ने कहा ,‘‘ यह बरसों की कड़ी मेहनत का नतीजा है जो मैंने घरेलू क्रिकेट में की है . भारत के लिए खेलने से पहले मैंने 60 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं .’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में दबाव के हालात का सामना किया है जिससे मैं बड़ी चुनौतियों के लिए तैयार हुआ . आंध्र क्रिकेट संघ और चयन समिति के प्रमुख एमएसके प्रसाद को मैं धन्यवाद देना चाहता हूं .’ विहारी ने कहा कि उनके छोटे लेकिन प्रभावी अंतरराष्ट्रीय कैरियर का कारण चुनौतियों का डटकर सामना करने की उनकी क्षमता है . मेलबर्न में पारी का आगाज करने वाले इस बल्लेबाज ने कहा ,‘‘आस्ट्रेलिया में पारी की शुरूआत करना मेरी इसी मानसिकता की देन था . मैं स्वाभाविक रूप से सलामी बल्लेबाज नहीं हूं और वह बहुत बड़ी चुनौती थी .’

उन्होंने कहा ,‘‘ या तो मैं बैठकर रोता रहता कि मुझसे पारी का आगाज क्यों कराया जा रहा है या चुनौती का सामना करने के लिए खुद को तैयार करता . मैंने दूसरा विकल्प चुना .’ हैदराबाद के रहने वाले विहारी की बल्लेबाजी की शैली उनके शहर के स्टाइलिश बल्लेबाजों वीवीएस लक्ष्मण और मोहम्मद अजहरूद्दीन से जुदा है . उन्होंने कहा ,‘‘ मेरा हमेशा से विश्वास रक्षात्मक खेल पर फोकस करने पर रहा है . रक्षात्मक तकनीक सही होने पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आप किसी भी गेंदबाज पर दबाव बना सकते हैं . आक्रामक खेलने पर गेंदबाजों को मौके मिल जाते हैं .’ सिर्फ 12 बरस की उम्र में अपने पिता को खोने वाले विहारी ने कहा ,‘‘ मैं 12 बरस का ही था और मेरी बहन 14 बरस की जब मेरे पिता का देहांत हो गया . मेरी मां विजयलक्ष्मी गृहिणी है . वह काफी कठिन दिन थे .’ उन्होंने कहा ,‘‘ मेरी मां ने पिता की पेंशन पर मेरा घर चलाया . उन्होंने मुझे अपने सपने पूरे करने की सहूलियत दी और कभी हमें महसूस नहीं होने दिया कि हम अभाव में हैं . मुझे आज भी समझ में नहीं आता कि उन्होंने यह सब कैसे किया .’ उन्होंने कहा ,‘‘ अब मैंने हैदराबाद में घर बना लिया है . मैं अपनी मां को आराम देना चाहता हूं .’

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