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प्रभात खबर ऑन द स्पॉट : वार्ड में भरे हैं मरीज, शौचालय की टंकी से दुर्गंध, अल्ट्रासाउंड बंद, मेडॉल 24 घंटे में 10 घंटे दे रही सेवा

दुर्जय पासवान, गुमला गुमला डीसी शशि रंजन गुरुवार को दिन के 11.45 बजे से लेकर 1.00 बजे तक सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया. अस्पताल में कई कमियां मिली. शौचालय रूम खराब है. दुर्गंध निकलता है. मरम्मत कराने का निर्देश दिया. 100 बेड हैं और मरीज 200 हैं. डीसी ने छत के ऊपर 100 बेड […]

दुर्जय पासवान, गुमला

गुमला डीसी शशि रंजन गुरुवार को दिन के 11.45 बजे से लेकर 1.00 बजे तक सदर अस्पताल का औचक निरीक्षण किया. अस्पताल में कई कमियां मिली. शौचालय रूम खराब है. दुर्गंध निकलता है. मरम्मत कराने का निर्देश दिया. 100 बेड हैं और मरीज 200 हैं. डीसी ने छत के ऊपर 100 बेड का और भवन बनवाने का आश्वासन दिया. अल्ट्रासाउंड बंद व मेडाल में 24 घण्टे में मात्र 10 घंटे ही जांच होने पर चिंता प्रकट किया. इससे पहले डीसी के साथ प्रशिक्षु आईएएस मनीष कुमार व डीआरडीए निदेशक हैदर अली अस्पताल पहुंचे.

डीसी जब अस्पताल पहुंचे तो गेट के पास सिविल सर्जन खड़े थे. सीएस कहीं जाने की तैयारी में थे. लेकिन डीसी को अचानक अस्पताल में देखकर वे रूक गये. डीसी अस्पताल पहुंचे हैं. इस सूचना पर डीएस डॉक्टर आरएन यादव, डॉ कृष्णा कुमार सहित अन्य कर्मी भी डीसी के पास पहुंचे. अस्पताल के कर्मी अलर्ट हो गये. हर कोई अपने चेंबर में व्यस्त नजर आने लगा.

डीसी सबसे पहले ओपीडी गये. जहां सभी कमरे में डॉक्टर थे. मरीजों की लंबी कतार थी. डीसी ने दुर्गी देवी की बेटी संध्या कुमारी की परची देखकर जांच की. दुर्गी से डीसी ने अस्पताल से मिलने वाली सुविधा की जानकारी ली. इसके बाद वे जन-औषधि केंद्र पहुंचे. जहां दवा की उपलब्धता के बारे में कर्मचारी से जानकारी ली. दीवार पर जन औषधि की दवा का सूची चिपकाया हुआ था.

डीसी ने सूची की जांच की. उन्होंने सवाल किया कि इतना कम दवा क्यों है. कर्मचारी ने बताया कि जो दवा उपलब्ध है. उसकी सूची है. इसके बाद डीसी सर्जरी रूम गये. वहां स्ट्रैचर में मरीज माड़वारी कुम्हार से बात की. माड़वारी का पैर हादसे में टूट गया था. डीसी ने बेहतर इलाज करने के लिए कहा. डीसी ने अस्पताल के नि:शुल्क दवा वितरण करने गये. वहां दवाओं की सूची नहीं लगी थी. डीसी ने दवाओं की सूची दीवार में चिपाकने का निर्देश दिये.

दवा केंद्र के बगल में ही मरीजों को खाना परोसा जा रहा था. डीसी किचन रूम में घुस गये. मरीजों को मिल रहे खाना की जांच की. चावल, दाल के साथ बोदी व आलू की सब्जी मरीजों को दी जा रही है. डीसी ने पूछा कि मेन्यू के आधार पर भोजन मिल रहा है या नहीं. उन्होंने सप्ताह भर में सुबह व शाम को मिलने वाले भोजन के मेन्यू की जांच किये. कुछ त्रुटि पायी तो उसमें सुधार करने के लिए कहा. साथ ही मेन्यू के आधार पर भोजन नहीं मिलने पर संवेदक को हटाने के संकेत दिये.

ऑटो एनालाइजर की होगी खरीद

डीसी लैब टेक्नीशियन रूम पहुंचे. वहां मरीज जांच के लिए खड़े थे और लैब टेक्नीशियन एक-एक कर जांच के लिए मरीज के खून का सैंपल ले रहे थे. डीसी ने टेक्नीशियन से कुछ कमी हो तो जानकारी मांगी. इसपर टेक्नीशियन ने बताया कि ऑटो एनालाइजर मशीन की जरूरत है. इस मशीन से कई प्रकार की जांच होती है. डीसी ने कहा कि पत्र बनाकर दें. ताकि इसकी खरीद की जा सके.

आइसलाइन रेफ्रीजरेटर की जरूरत

डीसी जब लैब टेक्नीशियन रूम से निकले तो एड्स कंट्रोल केंद्र के परामर्शदाता युगांत कुमार दुबे ने डीसी को समस्या बताते हुए कहा कि सर पूर्व में पत्र लिखा गया है. परंतु अभी तक आइसलाइन रेफ्रीजरेटर की खरीद नहीं हुई है. जबकि आईएलआर की बहुत जरूरत है. डीसी ने कहा कि मैं देख लेता हूं. पत्र अगर आपने लिखा है तो इसकी जल्द खरीदारी की जायेगी.

आयुष्मान कार्ड बनने की ली जानकारी

डीसी ने आयुष्मान कार्ड बनाने वाले केंद्र का निरीक्षण किया. मौके पर महिला कर्मचारी गोल्डेन कार्ड बना रही थी. लेकिन नेट की स्पीड कम होने के कारण डीसी के पहुंचने के समय कार्ड नहीं बन रहा था. कर्मचारी ने डीसी से कहा कि नेट की स्पीड के कारण गोल्डेन कार्ड बनाने में परेशानी हो रही है. अस्पताल के बगल में जेल है. जहां जैमर लगा हुआ है. जिस कारण नेट का स्पीड नहीं बढ़ता है और बड़ी मुश्किल से कार्ड बनता है. इससे पीड़ित लाभुकों को घंटों तक इंतजार करना पड़ता है. डीसी ने नेट स्पीड की समस्या को दूर करने का आश्वासन दिया. साथ ही डीसी ने आयुष्मान कार्ड केंद्र किस रूम में बनता है. इसका एक बोर्ड अस्पताल के प्रवेश द्वार के समीप लगाने का निर्देश दिया.

टीवी मरीजों को अलग कमरे में रखने का निर्देश

पुरुष वार्ड में एक टीवी मरीज को भर्ती किया गया था. जबकि उसी वार्ड में बुखार, डायरिया मलेरिया के भी मरीज थे. डीसी ने जब दूसरे मरीजों के साथ टीवी मरीज को भी देखा तो उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को निर्देश दिया कि टीवी मरीजों को उनके लिए बने कमरों में ही रखा जाए. अगर इस प्रकार दूसरे मरीजों के साथ टीवी मरीजों को रखा जायेगा तो दूसरे मरीजों को परेशानी होगी. इसपर सीएस डॉक्टर सुखदेव भगत ने कहा कि यहां दो तीन दिन रखने के बाद टीवी मरीजों को उनके अलग कमरे में रखा जाता है.

11 कुपोषित बच्चों का हो रहा इलाज

कुपोषण केंद्र में 11 कुपोषित बच्चों का इलाज हो रहा था. डीसी ने कुपोषित बच्चों को देखा. साथ ही उनके स्वास्थ्य में हो रहे सुधार की जानकारी ली. डीसी ने कुपोषित बच्चे की मां संगीता कुमारी से जानकारी ली. संगीता ने कहा कि बच्चे के सेहत में सुधार हो रहा है. अस्पताल से सभी प्रकार की सुविधा मिल रही है. विजेता देवी ने कहा कि उसके बेटे का इलाज हो रहा है. डॉक्टर ने कहा दो तीन दिन में ठीक हो जायेगा. डीसी ने सीएस से कहा कि कुपोषण केंद्र में अगर कुछ जरूरत है तो उसकी सूची दें.

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