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पुलिस व डॉक्टर के पेच में आठ घंटे तक सदर अस्पताल में पड़ा रहा शव, परिजन रहे परेशान

आरा : सदर अस्पताल के चिकित्सक और भोजपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है. इसके लिए दोषी कौन है. इसका खामियाजा दूर-दाराज से आये मरीजों के परिजनों को भोगना पड़ रहा है. ये हाल सदर अस्पताल का है, जहां इमरजेंसी में सोमवार को आठ बजे से लेकर शाम छह बजे तक वृद्ध […]

आरा : सदर अस्पताल के चिकित्सक और भोजपुर पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़ा हो रहा है. इसके लिए दोषी कौन है. इसका खामियाजा दूर-दाराज से आये मरीजों के परिजनों को भोगना पड़ रहा है. ये हाल सदर अस्पताल का है, जहां इमरजेंसी में सोमवार को आठ बजे से लेकर शाम छह बजे तक वृद्ध का शव स्ट्रेचर पड़ पड़ा रहा.

पुलिस और डॉक्टर के कानूनी प्रक्रिया के पेच में मृतक के परिजन परेशान रहे कि पोस्टमार्टम हो और शव लेकर जाएं, लेकिन डॉक्टर ने कहा कि पंचनामा तैयार होगा, तब पोस्टमार्टम किया जायेगा. वहीं, पुलिस का कहना था कि जब तक डॉक्टर लिखकर नहीं देंगे कि रास्ते में ही वृद्ध की मौत हुई है, तब तक हम पंचनामा तैयार नहीं करेंगे.
बता दें कि सदर अस्पताल में नगर थाने की पुलिस वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर पोस्टमार्टम कराने के लिए पंचनामा तैयार करती है. हालांकि इसकी सूचना अस्पताल द्वारा देने के बाद ही पुलिस की टीम करती है, लेकिन सोमवार को पुलिस और डॉक्टर के पेच में फंसे परिजनों का यह हाल था कि लगभग आठ घंटे तक इमरजेंसी वार्ड में शव पड़ा रहा और उसका हाल चाल जाननेवाला कोई नहीं था.
एक दूसरे पर लोग फेंकते रहे, जिसके कारण परिजन दिनभर परेशान रहे. अंत में परिजन अपने नजदीकी थाने में जाकर पोस्टमार्टम कराने की गुहार लगाये. देर शाम तक इमरजेंसी में शव पड़ा हुआ था.
बता दें कि जगदीशपुर अनुमंडल के तियर थाना क्षेत्र के तियर गांव निवासी जय किशुन सिंह की मौत सांप काटने से हो गयी. परिजन झाड़ फूंक कराने के बाद इलाज के लिए सदर अस्पताल लाये, जहां रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया. जैसे ही डॉक्टरों ने मृत घोषित किया. परिजन कुछ देर के बाद मुआवजे को लेकर पोस्टमार्टम कराने की बात कहे.
इसके बाद डॉक्टर ने यह कहकर टाल दिया कि पुलिस का पंचनामा तैयार करवाइये पोस्टमार्टम किया जाये. पुलिस द्वारा कहा गया कि डॉक्टर द्वारा सूचना भेजवाइये इसके बाद पंचनामा तैयार होगा. इसी पेच में आठ घंटे तक शव पड़ा रहा. हालांकि इस घटना के बाद पुलिस और डॉक्टर की कार्यशैली पर प्रश्न चिह्न लग गया है. यह हाल एक दिन का नहीं है, बल्कि प्रतिदिन इस तरह की घटनाएं होती हैं.
इस संबंध में पुलिस का कहना है कि किसी भी प्रकार का शव का पंचनामा तैयार करने के बाद पोस्टमार्टम कराया जाता है, लेकिन कुछ मामलों में दूर-दाराज से आये शव को सदर अस्पताल में ही नगर थाने पुलिस द्वारा पंचनामा तैयार कर पोस्टमार्टम कराया जाता है, लेकिन उसके लिए डॉक्टर ओडी स्लिप (सूचना) जरूरी है. जबतक डॉक्टर द्वारा सूचना नहीं दी जायेगी तब तक पोस्टमार्टम का पंचनामा तैयार नहीं किया जाता है.
क्या है नियम
इस संबंध में डॉक्टरों का कहना है कि बिना पंचनामा के पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है. जबकि पुलिस दबाव देकर रात में भी पोस्टमार्टम कराती है, जिसके कारण डॉक्टरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. नियमत: शव का पोस्टमार्टम दिन के उजाले में किया जाता है, लेकिन पुलिस द्वारा विधि व्यवस्था का हवाला देते हुए रात में भी पोस्टमार्टम कराया जाता है.
बिना जिलाधिकारी के अनुमति के पोस्टमार्टम नहीं होता है. अमुमन पोस्टमार्टम तो कर दिया जाता है, लेकिन रिपोर्ट लिखने में काफी परेशानी होती है. रिपोर्ट में अनुमति का हवाला और समय भी लिखा जाता है. ऐसे में कोर्ट में गवाही देना पड़ता है और वहां पर तरह-तरह के सवाल खड़े होते हैं.
क्या कहते हैं प्रभारी अधीक्षक
इस संबंध में सदर अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ प्रभात प्रकाश ने बताया कि पुलिस से पंचनामा तैयार कराने के लिए परिजन तियर गये हुए हैं. शाम तक परिजन नहीं आये थे, जिसको लेकर परिजनों के आने का इंतजार किया जा रहा है. परिजनों के आने के बाद ही पोस्टमार्टम किया जायेगा.

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