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मेट्रो की खुदाई बनी लोगों की मुसीबत, दर्जन भर से ज्यादा इमारतें हिलीं, कइयों में दरार
कोलकाता : कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) व कोलकाता पुलिस में तालमेल के अभाव के कारण बऊबाजार में रहनेवाले सैकड़ों लोग अचानक बेघर हो गये हैं. इस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर के लिए टनल बोरिंग सिस्टम के कार्य के दौरान मध्य कोलकाता के बऊबाजार इलाके में स्थित 18 इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं. इमारतों की […]
कोलकाता : कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) व कोलकाता पुलिस में तालमेल के अभाव के कारण बऊबाजार में रहनेवाले सैकड़ों लोग अचानक बेघर हो गये हैं. इस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर के लिए टनल बोरिंग सिस्टम के कार्य के दौरान मध्य कोलकाता के बऊबाजार इलाके में स्थित 18 इमारतें बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुई हैं.
इमारतों की दीवारों पर दरारें पड़ गयी हैं. हालांकि किसी के भी हताहत होने की खबर नहीं है. करीब 300 लोगों को सुरिक्षत स्थानों पर पहुंचाया गया है. मेट्रो रेलवे के अधिकारियों के अनुसार घटना सुबह 6.45 बजे की है. इन इमारतों में रहनेवाले लोगों को तीन स्थानीय होटलों में ठहराया गया है. क्षतिग्रस्त इमारतों की हेल्थ चेकअप के लिए एक्सपर्ट कमेटी गठित की गयी है.
मेट्रो रेल के अधिकारियों के अलावा कोलकाता पुलिस, मेयर व कोलकाता नगर निगम के इंजीनियरों ने भी क्षतिग्रस्त इलाकों का दौरा किया. बऊबाजार के सेकड़ापाड़ा, दुर्गापितुरी लेन व गौरी दे लेन स्थित इमारतों को नुकसान पहुंचा है. इन इलाकों में रहनेवाले लोग खौफजदा हैं.
वहीं, क्षतिग्रस्त इलाकों में बिजली की आपूर्ति बंद कर दी गयी है. स्थानीय लोगों को आरोप है कि मेट्रो कार्य के शुरू होने से पहले किसी तरह की सूचना न तो मेट्रो रेल और न ही कोलकाता नगर निगम की ओर से दी गयी थी. हमारी इमारतों के क्षतिग्रस्त होने से अचानक हम पर आसमान टूट पड़ा है.
क्या है पूरा मामला
मेट्रो रेल के प्रबंध निदेशक मानस सरकार ने बताया कि मेट्रो कॉरिडोर के लिए टनल बोरिंग सिस्टम को तैयार करने के लिए खुदाई का काम चल रहा था.
इस दौरान जमीन के अंदर से पानी निकलने लगा, जिससे मिट्टी दरकने लगी और जमीन धंसने के कारण इमारतों को नुकसान पहुंचा है. उन्होंने कहा कि पानी के बहाव को रोकने के लिए मध्य रात्रि से ही मेट्रो रेल के इंजीनियर कोशिश कर रहे थे, लेकिन हम सफल नहीं हुए और सुबह 6.45 बजे पूरे इलाके को खाली करवाना पड़ा.
घटना स्थल पर पहुंचे मेयर फिरहाद हमीक ने बताया कि इस दुर्घटना को लेकर केएमआरसीएल से अधिकारियों के साथ बैठक हुई है. इस बैठक से पहले उन्होंने क्षतिग्रस्त लोगों से बात की. मेयर ने कहा कि 18 इमारतों को नुकसान पहुंचा है. गोयनका कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में कंट्रोल रूम खोला गया है. यहां कोलकाता पुलिस व मेट्रो रेल के अधिकारी 24 घंटे उपस्थित रहेंगे.
एक्सपर्ट कमेटी गठित
मेयर ने बताया कि केएमआरसीएल, कोलकाता नगर निगम व पुलिस के आला अधिकारियों के नेतृत्व में एक एक्सपर्ट कमेटी गठित की गयी है. किस इमारत को कितना नुकसान पहुंचा और इनकी मरम्मत संभव है भी या नहीं, आदि का पता लगाने के लिए यह कमेटी गठित की गयी है.
मेयर ने कहा कि पहले क्षतिग्रस्त इमारतों की मरम्मत पर विचार किया जायेगा. मरम्मत संभव न होने पर उक्त स्थान पर दोबारा इमारत बनाने के लिए एक्सपर्ट कमेटी विचार करेगी. अगर यह भी संभव नहीं हुआ, तो पीड़ित को किसी दूसरे स्थान पर मकान दिया जायेगा.
रहने व खाने पीने के व्यवस्था करेगा केएमआरसीएल : मेयर ने बताया कि प्रभावित लोगों के रहने व खाने-पीने की व्यवस्था केएमआरसीएल की ओर से की जा रही है. लोगों को लंबे समय तक होटलों में रखना संभव नहीं. एक्सपर्ट कमेटी क्षतिग्रस्त इमारतों की सेहत का जांच करेगी. तीन दिन बाद दोबारा कमेटी की बैठक होगी.
इमारतों की हालत ठीक नहीं होने पर सात दिन बाद अस्थायी रूप से पीड़ितों को किसी फ्लैट में ठहराया जायेगा.कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (केएमआरसीएल) के प्रबंध निदेशक मानस सरकार ने बताया कि मेट्रो के अब तक के इतिहास में यह पहली घटना है. जब मेट्रो कॉरिडोर के लिए टनल बोरिंग सिस्टम को तैयार करने के लिए खुदाई करने के दौरान जमीन धंसने की घटना हुई.
जमीन के अन्दर से पानी निकलने और जिससे मिट्टी दरकने के कारण इमारतों को नुकासन पहुंचा है. उधर, केएमआरसीएल के महाप्रबंधक एके नंदी ने पूरे घटना की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि पहले लोगों का जीवन है. लोगों के जीवन से बढ़ कर हमारे लिए कुछ नहीं है. लोगों को स्थानीय होटलों में रखा गया है. जिन इमारतों को नुकसान पहुंचा है उनका मरम्मत कार्य केएमआरसीएल करेगा.
बार-बार लग रहा था, जैसे भूंकप आया हो
तीन नंबर गौर दे लेन की रहनेवाली वंदना मंडल ने बताया कि शनिवार रात से ही बार-बार उन्हें लग रहा था कि घर हिल रहा है. सुबह जागने के बाद जब वह अपने कमरे का दरवाजे खोलने गयीं तो वह खुल नहीं रहा था, क्योंकि मकान जमीन में धंस गया था. किसी तरह धक्का मार कर दरवाजे को खोला. जब उन्होंने बाहर देखा तो लगा कि भूकंप आया हो. इमारतों की दीवारों पर दरारें पड़ी हुई थीं.मेट्रो की खुदाई के कारण सबसे अधिक नुकसान दुर्गापीतुरी लेन स्थित इमारतों को पहुंचा है. इस इलाके में स्थित अधिकतर इमारतों में दरारें पड़ गयी हैं.
कुछ इमारतें झुक गयी हैं तो कुछ इमारतों का हिस्सा टूट-टूट कर गिर रहा है. कोलकाता नगर निगम व कोलकाता पुलिस ने पूरे इलाके का कॉर्डन ऑफ (घेराबंदी) कर दिया गया है. क्षतिग्रस्त इलाके में लोगों की आवाजाही रोक दी गयी है. घटना स्थाल पर कोलकाता पुलिस, आपदा प्रबंधन व दमकल कर्मियों को तैनात किया गया.
वहीं स्थानीय लोगों का आरोप है कि मकान खाली कराने के दौरान घर में रखे जरूरी समानों को निकालने का भी मौका नहीं दिया गया. अफरा-तफरी में कुछ लोग अपना एटीएम कार्ड भी नहीं ले सके. स्थानीय लोगों को आरोप है कि मेट्रो रेल की ओर से पीड़ितों के लिए स्थानीय होटलों में रहने की व्यवस्था तो की गयी थी, लेकिन भोजन की व्यवस्था नहीं की गयी थी.
हालांकि बाद में कहा गया कि भोजन भी दिया जायेगा. इस संबंध में दुर्गापीतुरी लेन के रहनेवाली देवश्री राय ने बताया कि वह अपनी मां के साथ घर में रहती हैं. उनकी मां को मधुमेह है. सुबह अचानक नयना बंद्योपाध्याय मौके पर पहुंचीं और सभी घरों को खाली कराने के कार्य को शुरू करवा दिया. घर से निकलने की आपाधापी में देवश्री अपने सारे जरूरी सामान घर में रख कर निकल गयी. मां के डॉक्टर का प्रेसक्रिप्शन भी नहीं ले सकी.
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