फिल्म : साहो
निर्माता : टी सीरीज
निर्देशक : सुजीत
कलाकार: प्रभास, श्रद्धा कपूर, नील नितिन मुकेश, जैकी श्रॉफ, मंदिरा बेदी, मुरली शर्मा और अन्य
रेटिंग : डेढ़
उर्मिला कोरी
‘बाहुबली’, ‘बाहुबली 2’ के बाद प्रभास एक बार फिर दर्शकों से फिल्म ‘साहो’ के जरिये रूबरू हैं. उनकी फिल्म ‘साहो’ को सिनेमा की सबसे महंगी फिल्म कहा जा रहा था. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तकनीशियन और एक्शन डायरेक्टर्स को फिल्म के लिए अनुबंधित किया गया था, लेकिन फिल्म के लिए सबसे ज्यादा जो जरूरी था वो फिल्म की कहानी होती है. इस फिल्म के निर्माता निर्देशक पूरी तरह से इस बात को भूल गए हैं. हाल के समय में सलमान खान की ‘रेस 3’ और आमिर खान की ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ की गलती को यह फिल्म भी दोहराती है.
‘ऊंची दुकान फीका पकवान’ वाली कहानी पर आते हैं तो यह एक अंडर कवर पुलिस ऑफिसर अशोक (प्रभास) और अंडर कवर विलेन की कहानी है. एक बड़े डॉन के मरने के बाद उसकी कुर्सी की लड़ाई चल रही है. इसी बीच कहानी में 2500 करोड़ की चोरी भी हो जाती है. अशोक और उसके साथी मिलकर इस चोरी का पर्दाफाश करना चाहते हैं. फिर ट्विस्ट आ जाता है.
दरअसल, ढेर सारे सिर दर्द से भरे ट्विस्ट हैं. फिल्म की कहानी में जो अहम राज छुपाकर रखा गया है, वो खराब लेखन की वजह से फिल्म के शुरुआती दृश्य में ही साफ हो जाता है. फिल्म में दूर दूर तक कहीं भी लॉजिक नहीं है. फिल्म की कहानी जबरदस्ती पेचीदा बनाये रखने के एंगल से यह समझ ही नहीं आता है कि आखिरकार निर्देशक समझाना क्या चाहता है.
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किरदार भी ढेर सारे बस भर दिये गए हैं. एक वक्त के बाद समझना मुश्किल हो जाता है कौन कौन है और ये क्या कर रहे हैं. फिल्म जरूरत से ज्यादा लंबी हो गयी है जिससे और बोझिल हो जाती है. फिल्म के जिन एक्शन दृश्यों की चर्चा रिलीज से पहले से हो रही, वो भी वाउ फैक्टर वाले नहीं हैं. विदेशी हथियार जरूर नये हैं, लेकिन उड़ती और चकनाचूर होती गाड़ियां और अपने सुपरहीरो का कूदना-फांदना वही पुराना है.
अभिनय की बात करें, तो प्रभास अपनी एक्टिंग में जमे हैं. हां उनकी धीमी संवाद अदायगी थोड़ी अखरती है. श्रद्धा का किरदार फिल्म में कोई खास नहीं है. चंकी पांडे बेहतरीन रहे हैं. नील नितिन मुकेश का काम भी अच्छा है. बाकी कलाकारों की भीड़ का काम ठीक-ठाक है.
गीत-संगीत की बात करें, तो जैकलीन फर्नान्डिज का गीत ‘बैड बॉय’ और ‘इन्ना सोना’ याद रह जाता है और गाने कुछ ज्यादा अपील नहीं करते हैं. हां वो फिल्म की रफ्तार को जरूर धीमा कर जाते हैं. फिल्म के ग्राफिक्स और सिनेमाटोग्राफी अच्छी बन पड़ी है. कुल मिलाकर अगर आप प्रभास के जबरदस्त वाले फैन हैं, तो ही आप इस जबरदस्त सिरदर्द को झेल सकते हैं.
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