नयी दिल्ली : तीन साल में पहली बार इपीएफ पर ब्याज दर में वृद्धि होने जा रही है. श्रम मंत्रालय 2018-19 के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (इपीएफ) जमा पर 8.65 प्रतिशत की ब्याज दर को जल्द अधिसूचित करेगा. श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्रालय को इस ब्याज दर पर किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं है.
भविष्य निधि खाताधारकों के खाते में ब्याज का पैसा जमा करने के लिए श्रम मंत्रालय की अधिसूचना की जरूरत होती है. मंत्रालय ब्याज दर को लेकर अधिसूचना जारी करता है. इसके बाद ही भविष्य निधि के छह करोड़ से ज्यादा अंशधारकों को इसका फायदा होगा. इसके अलावा, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) इस ब्याज दर पर भविष्य निधि कोष की निकासी के दावों का निबटान कर सकेंगे.
फिलहाल, भविष्य निधि निकासी दावों के तहत इपीएफओ 2018-19 के लिए 8.55 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान कर रही है. इपीएफ जमा पर 8.55 प्रतिशत की ब्याज दर वित्त वर्ष 2017-18 के लिए तय की गयी थी. केंद्रीय श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने यहां फिक्की में एक कार्यक्रम से इतर संवाददाताओं को बताया, ‘वित्त मंत्रालय को 2018-19 के लिए इपीएफ जमा पर 8.65 प्रतिशत ब्याज देने से कोई दिक्कत नहीं है. मुझे यकीन है कि जल्द इसे अधिसूचित कर दिया जायेगा.’
इस बीच, निजी सुरक्षा उद्योग पर फिक्की की समिति के अध्यक्ष ऋतुराज सिन्हा ने कहा कि अर्थव्यवस्था में मौजूदा सुस्ती के बीच निजी सुरक्षा क्षेत्र में वृद्धि और रोजगार सृजन जारी है. जीएसटी, वेतन संहिता, छोटी कंपनियों के लिए कर्ज पहुंच से जुड़े मुद्दों को सुलझाने के लिए वरिष्ठ मंत्रियों से आश्वासन मिला है.
इपीएफओ की निर्णय लेने वाली संस्था केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने वर्ष 2018-19 के लिए इपीएफ पर ब्याज दर बढ़ाकर 8.65 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था. इपीएफ की ब्याज दर में तीन साल में यह पहली वृद्धि है. वित्त वर्ष 2017-18 में ईपीएफ पर ब्याज की दर 8.55 प्रतिशत थी.
इपीएफओ ने 2016-17 में ब्याज दर को घटाकर 8.65 प्रतिशत किया था, जो कि 2015-16 में 8.8 प्रतिशत थी. अप्रैल में, वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने 2018-19 के लिए इपीएफ पर 8.65 प्रतिशत का ब्याज देने के इपीएफओ के फैसले पर अपनी सहमति दी थी.
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