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कालाजार से बचाव के लिए अभियान शुरू

सीवान : कालाजार को लेकर जिले में अलर्ट जारी है. स्वास्थ्य विभाग इस रोग से समाज को सुरक्षित रखने के लिए त्वरित गति से उन्मूलन कार्यक्रम चला रहा है. जिले के विभिन्न गांवों में पहुंचकर सिंथेटिक पाइराथाइराइड का छिड़काव किया जा रहा है. इसको लेकर अभियान शुरू कर दिया गया है. 27 अगस्त से यह […]

सीवान : कालाजार को लेकर जिले में अलर्ट जारी है. स्वास्थ्य विभाग इस रोग से समाज को सुरक्षित रखने के लिए त्वरित गति से उन्मूलन कार्यक्रम चला रहा है. जिले के विभिन्न गांवों में पहुंचकर सिंथेटिक पाइराथाइराइड का छिड़काव किया जा रहा है. इसको लेकर अभियान शुरू कर दिया गया है. 27 अगस्त से यह अभियान शुरू किया गया है, जो 60 दिनों तक चलेगा.

टीम का हुआ गठन : इसके लिए टीम का गठन कर कार्य शुरू कर दिया गया है. अभियान को सफ़ल बनाने के लिए सभी स्वास्थ्यकर्मियों को सहयोग प्रदान करने के लिए निर्देशित भी किया गया है. सभी टीम लीडर को निर्देश दिया गया है कि कार्य का साप्ताहिक रिपोर्ट जिला मलेरिया कार्यालय को उपलब्ध करायेंगे. इस अभियान का निगरानी सीधे स्टेट ऑफिस से किया जा रहा है.
ऐसे फैलता है रोग : कालाजार रोग लिशमेनिया डोनी नामक रोगाणु के कारण होता है, जो बालू मक्खी के काटने से फैलता है. साथ ही यह रोग एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी प्रवेश कर जाता है. दो सप्ताह से अधिक बुखार व अन्य विपरीत लक्षण शरीर में महसूस होने पर अविलंब जांच कराना अति आवश्यक है. सदर अस्पताल में इलाज का समुचित प्रबंध है. यहां मरीजों का एक ही दिन में इलाज कर दिया जाता है. बताया जाता है कि कालाजार का मक्खी नमी व अंधेरे वाले स्थान पर ज्यादा फैलती है.
मरीजों को चिह्नित करेंगी आशा : प्रशिक्षित आशा के द्वारा मरीजों को चिह्नित किया जायेगा और नजदीक के पीएचसी तक लाने एवं उनका ठीक होने तक ख्याल रखने पर प्रति मरीज 600 प्रोत्साहन राशि भी दी जायेगी. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी ने बताया कि प्रति मरीज 7100 की श्रम क्षतिपूर्ति राशि भी दी जायेगी.
यह राशि भारत सरकार एवं राज्य सरकार की तरफ से दी जाती है. मरीजों के लिए 6600 और आशा के लिए 100 की राशि मुख्यमंत्री कालाजार राहत अभियान के अंतर्गत वहीं प्रति मरीज एवं आशा को 500 भारत सरकार की तरफ से दिया जाता है.
कालाजार के लक्षण
यदि किसी व्यक्ति को दो हफ्ते से ज्यादा से बुखार हो, उसकी तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो और उपचार से ठीक न हो हो तो उसे कालाजार हो सकता है.
पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस (पीकेडीएल) एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है.
दो हफ्ते से ज्यादा समय से बुखार, खून की कमी (एनीमिया), जिगर और तिल्ल्ली का बढ़ना, भूख न लगना, कमजोरी तथा वजन में कमी होना है.
सूखी, पतली, परतदार त्वचा तथा बालों का झड़ना भी इसके कुछ लक्षण है.
उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा भी काली पड़ जाती है.
क्या कहते हैं अधिकारी
कालाजार की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर है. जिले में स्वास्थ्य टीम उन्मूलन कार्यक्रम चला रही है. रोग के लक्षण मिलते ही सदर अस्पताल में जांच कराकर समुचित इलाज मरीज करा सकते हैं. अस्पताल में इलाज की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
डॉ मणिराज रंजन, जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी, सीवान

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