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टाटा स्टील में ‘जॉब फाॅर जॉब’ पर ग्रहण, बंद होगी स्कीम

जमशेदपुर : टाटा स्टील में संचालित ‘जाॅब फार जॉब’ (नौकरी छोड़ो नौकरी पाओ) स्कीम पर ग्रहण लग गया है. अब यह स्कीम बंद होने जा रही है. कंपनी प्रबंधन ने टाटा वर्कर्स यूनियन के शीर्ष नेतृत्व से स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वह भविष्य में स्कीम को जारी नहीं रख सकता. वर्तमान में […]

जमशेदपुर : टाटा स्टील में संचालित ‘जाॅब फार जॉब’ (नौकरी छोड़ो नौकरी पाओ) स्कीम पर ग्रहण लग गया है. अब यह स्कीम बंद होने जा रही है. कंपनी प्रबंधन ने टाटा वर्कर्स यूनियन के शीर्ष नेतृत्व से स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वह भविष्य में स्कीम को जारी नहीं रख सकता. वर्तमान में चल रही सुनहरे भविष्य की योजना टू के अंतर्गत मिल रहे ‘जॉब फाॅर जॉब’ स्कीम को अंतिम लाभ माना जा सकता है.

टाटा स्टील में 20 अगस्त से सुनहरे भविष्य की योजना-2.0 को लागू किया गया. यह स्कीम 20 सितंबर तक प्रभावी है. इस योजना में इएसएस के साथ ‘जॉब फाॅर जॉब’ स्कीम भी लागू है.
सुनहरे भविष्य की योजना पार्ट टू के नाम से पेश नई ईएसएस में तीन विकल्प रखे गये हैं. इसी तरह ‘जॉब फाॅर जॉब’ योजना के तहत 55 साल की उम्र होने से पहले कर्मी अपनी नौकरी किसी आश्रित को दे सकता था. इस योजना में चार संशोधन किये गये हैं.
कंपनी में कार्यरत कर्मचारी 55 साल के पहले योजना का लाभ ले सकता है. इएसएस लेने वाले कर्मी 55 साल के पहले आश्रित को नौकरी दे सकते हैं. हालांकि, कंपनी प्रबंधन और टाटा वर्कर्स यूनियन का शीर्ष नेतृत्व स्कीम बंद होने के संबंध में अाधिकारिक तौर पर कुछ नहीं बोल रहे हैं.
कंपनी प्रबंधन ने टाटा वर्कर्स यूनियन को बताया अपना फैसला
20 अगस्त से लागू सुनहरे भविष्य की योजना 2.0 20 सितंबर तक प्रभावी
हाल के कुछ महीने में कोक प्लांट में हुई घटनाओं ने प्रबंधन को नाराज किया
…इसलिए ‘नौकरी छोड़ो-नौकरी पाओ’ स्कीम पर संकट
कंपनी प्रबंधन ने ‘जॉब फाॅर जॉब’ स्कीम से अाये कर्मचारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन कराया. इसमें कई कर्मियों के काम में भारी लापरवाही उजागर हुई. हाल के कुछ महीने में कोक प्लांट में कर्मचारियों से जुड़ी दो घटनाओं ने प्रबंधन को और नाराज कर दिया. लिहाजा अब वह इस मामले में सख्त फैसले की तैयारी में है.
कहा जा रहा है कि प्रबंधन सुनहरे भविष्य की योजना में दिये जा रहे ‘नौकरी छोड़ो-नौकरी पाओ’ स्कीम को बंद कर सकता है. योजना के तहत मिलने वाले दूसरे विकल्प को आंशिक संशोधन के साथ यथावत रखा जा सकता है.
स्कीम में मिल रही थीं ये सुविधाएं
पहले उच्च शिक्षा होने पर आश्रित को निचले स्तर के ग्रेड में नौकरी मिल रही थी. इसमें सुधार कर ट्रेड अप्रेंटिस की ट्रेनिंग देकर एनएस-4 में नियुक्ति हो रही थी.
पहले पुत्र, पुत्री या दामाद को नौकरी दे सकते थे. इसमें अब बहू को भी नौकरी का हकदार बना दिया गया था.
आश्रित को नौकरी देने पर 60 साल तक कर्मी को हर माह 12 हजार रुपये मिल रहे थे.
कर्मचारी का क्वार्टर नौकरी के बाद आश्रित को मिल रहा था.

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