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शिक्षक दिवस पर सरकारी कार्यक्रमों का बहिष्कार करेंगे ”शिक्षक”, लड़ेंगे सड़क की लड़ाई, कहा…

पटना :पुराने शिक्षकों की तरह वेतनमान सेवा शर्त एवं सारी सुविधाएं देने सहित सात सूत्री मांगों को लेकर बिहार में संचालित 32 नियोजित एवं नियमित प्रारंभिक एवं माध्यमिक उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों के संगठनों का संयुक्त मंच बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले शिक्षक दिवस के मौके पर पांच सितंबर को पटना के […]

पटना :पुराने शिक्षकों की तरह वेतनमान सेवा शर्त एवं सारी सुविधाएं देने सहित सात सूत्री मांगों को लेकर बिहार में संचालित 32 नियोजित एवं नियमित प्रारंभिक एवं माध्यमिक उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों के संगठनों का संयुक्त मंच बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले शिक्षक दिवस के मौके पर पांच सितंबर को पटना के गांधी मैदान में मुंह पर काली पट्टी बांध कर गांधी मूर्ति के समक्ष महाधरना देंगे. इसमें सभी नियोजित एवं नियमित शिक्षकों के शामिल होंगे.बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति पटना जिले के संयोजक प्रेमचंद्र ने यह जानकारी दी.

इस संबंध में प्रेमचंद्र ने कहा कि न्यायालय की लड़ाई हम भले ही हार गये हैं, लेकिन सड़क की लड़ाई हम अवश्य जीतेंगे. क्योंकि, बिहार के सभी शिक्षक अब एक बैनर के नीचे आ गये हैं. उन्होंने कहा कि सड़क की लड़ाई अभी बाकी है. अब अलग-अलग संघ लड़ाई नहीं लड़ रहा है. सभी संघ एक हो गये हैं. सभी संघों का संयुक्त मंच बिहार राज्य शिक्षक संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले लड़ेंगे. हम सड़क की लड़ाई एकता के बल पर अवश्य जीतेंगे.

पांच सितंबर को गांधी मैदान में बिहार सरकार द्वारा शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सभी सरकारी समारोहों का बहिष्कार करने का निर्णय किया है. साथ ही राज्य सरकार द्वारा शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में सम्मानित किये जाने के लिए चयनित सभी प्रारंभिक, माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक के शिक्षकों से अपील की गयी है कि वे शिक्षा एवं शिक्षकों के सम्मान के रक्षार्थ सरकार द्वारा दिये जानेवाले सम्मान का भी बहिष्कार करें. साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार सरकार हमारी मांगों को नहीं मानती है और शिक्षकों को प्रताड़ित करने का काम जारी रखती है, तो मजबूरन निकट भविष्य में शिक्षक बिहार के शैक्षणिक चक्का जाम को विवश हो जायेंगे. उन्होंने कहा कि ‘जब तक शिक्षक भूखा है, ज्ञान का सागर सूखा है.’ उन्होंने मुख्यमंत्री से भी अपील की है यथाशीघ्र शिक्षकों की मांग को स्वीकार कर पुराने शिक्षकों की तरह ‘समान काम के लिए समान वेतन समान’ सेवा शर्त एवं सारी सुविधाएं मुहैया करायी जाये.

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