<figure> <img alt="इमरान ख़ान" src="https://c.files.bbci.co.uk/1110C/production/_108400996_af33dbbc-c21e-4927-a8c6-8ed01ee4d87c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पाकिस्तान ने सार्वजनिक तौर पर संकेत दिए हैं कि वह कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) में ले जाने की योजना बना रहा है.</p><p>आईसीजे में कश्मीर को संभावित मामला बनाने की मौजूदा वजहें हैं- भारत सरकार ने <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49328592?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अनुच्छेद 370</a> को निष्प्रभावी बनाकर संविधान की ओर से मिले कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया है, इसके बाद पूरे इलाक़े का संपर्क दुनिया से कटा हुआ है और यहां की कुछ ही ख़बरें बाहर की दुनिया तक पहुंच रही हैं.</p><p>हालांकि इस संभावित मामले के बारे में अभी बेहद सीमित जानकारी उपलब्ध है लेकिन इस पर बात करने के लिए कुछ मुद्दों को समझना भी जरूरी है.</p><h1>आईसीजे की कार्यवाही </h1><p>पहला सवाल तो यही है कि कौन अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में जा सकता है और कैसे जा सकता है? </p><p>आईसीजे एक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय है, नाम से ज़ाहिर है यहां देशों के बीच के विवादों का निपटारा किया जाता है. किसी देश की ओर से अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन करने पर भी मामला न्यायालय के सामने लाया जा सकता है. </p><p>लेकिन यह कोई मानवाधिकार न्यायालय नहीं है और व्यक्तिगत तौर पर कोई इस न्यायालय में अपील दाखिल नहीं कर सकता.</p><p>आईसीजे में किसी मामले की सुनवाई होने से पहले उसे कई चरणों से होकर गुजरना होता है. इसमें पहला चरण यही है कि यह देखा जाता है कि क्या मामला न्यायालय के दायरे में आता है या नहीं. इससे तय होता है कि मामले की सुनवाई होगी या नहीं. </p><figure> <img alt="इमरान ख़ान" src="https://c.files.bbci.co.uk/4010/production/_108400461_f346b7ec-7dca-480a-a1b1-5a28cdb9562a.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>आम तौर पर दो तरीकों से इसे किया जाता है- पहले तरीके में आर्टिकल 36 (2) के तहत देखा जाता है कि न्यायालय के अनिवार्य अधिकार क्षेत्र या दायरे में क्या क्या आता है. यानी अगर दो देशों के बीच किसी मुद्दे पर विवाद हो तो वे दोनों न्यायालय में अपील कर सकते हैं. </p><p>लेकिन कश्मीर और 370 के मसले पर दोनों देशों की अपनी अपनी सीमाएं हैं, जब तक वे इस मामले को अदालत में ले जाने पर सहमत नहीं होते तब तक इस मसले पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय सुनवाई नहीं कर सकती.</p><p>अब बचा दूसरा तरीका जिसके मुताबिक आर्टिकल 36 (1) के तहत यह कहा जाए कि किसी देश ने किसी खास संधि का उल्लंघन किया है, तब इस मसले की सुनवाई आईसीजे में हो सकती है. इसी तरीके के इस्तेमाल से भारत जाधव मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में ले गया जिसमें कहा गया है कि पाकिस्तान ने वियना संधि के मुताबिक जाधव को कान्सुअलर की सुविधा मुहैया नहीं कराई. </p><p>पहले तरीका जिसमें आर्टिकल 36 के तहत अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का अनिवार्य अधिकार क्षेत्र आता है, पर भारत के सहमत होने की कोई उम्मीद नहीं है, ऐसे में पाकिस्तान को दूसरे तरीके से मामले को उठाना होगा, पाकिस्तान किस संधि के उल्लंघन की बात न्यायालय के सामने रखेगा, यह देखना अभी बाकी है. </p><hr /><p><strong>ये भी पढ़ें-</strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49425584?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर के नाम पर पाक में वायरल फ़र्ज़ी ‘ख़बरें’</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-tra-49410453?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर का गाँव जिसे भारत ने पाकिस्तान से छीन लिया </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49416921?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर: ट्रंप ने कहा स्थिति ‘विस्फोटक’, फिर की मध्यस्थता की पेशकश</a></li> </ul><hr /><p>वैसे मौजूदा <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49042298?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जाधव मामले</a> से अलग भी दोनों देशों के आपसी मसलों की सुनवाई अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में हुई है. हालांकि दो ऐसे मामले थे जिनमें सुनवाई शुरुआत स्तर से आगे नहीं बढ़ पाई थी. </p><p>एक मामला तो आईसीएओ काउंसिल के अधिकार क्षेत्र (भारत बनाम पाकिस्तान) था, जिसमें अपील वापस ले ली गई थी. इसके अलावा एक मामला पाकिस्तान के युद्धबंदियों (पाकिस्तान बनाम भारत) का था जिसकी अपील भी वापस ले ली गई थी. </p><p>वहीं 10 अगस्त, 1999 की घटना जिसमें भारत के कच्छ क्षेत्र में पाकिस्तानी नौ सेना के पेट्रोल एयरक्राफ्ट को भारत के मिग-21 ने मार गिराया था का मामला भी (पाकिस्तान बनाम भारत) अंतरराष्ट्रीय न्यायालय तक पहुंचा था लेकिन आईसीजे को पता चला कि यह उनके अधिकार क्षेत्र का मामला नहीं है तो फिर कार्यवाही को समाप्त मान लिया गया था. </p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/C2EC/production/_108400994_3f4a4bf7-84f6-410a-a333-18eb208d49a3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>कश्मीर का संभावित नया मामला, आईसीजे के उस फैसले के एक महीने के बाद ही आया है, जिसमें 17 जुलाई, 2019 को <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49019507?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कुलभूषण जाधव मामले </a>में भारत के पक्ष में फैसला हुआ था. शुरुआत में पाकिस्तान ने यह संकेत दिया था कि वह अदालत के आदेश का पालन करेगा लेकिन नई परिस्थितियों में वह ऐसा करेगा, इसमें संदेह है. </p><h1>आईसीजे में जाने का परिणाम </h1><p>आईसीजे में जाने के कुछ क़ानूनी परिणाम तो होते ही हैं, साथ ही साथ उस क़ानूनी कार्रवाई से अंतरराष्ट्रीय परिणाम भी सामने आते हैं. </p><p>जहां तक क़ानूनी मसला है, आईसीजे में उन्हीं दो तरीकों से जाया जा सकता है, जिसका जिक्र ऊपर किया गया है. कश्मीर के मसले में पाकिस्तान ने अपनी दलील को अब तक सार्वजनिक नहीं किया है, लेकिन अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वह इस इलाक़े में मानवाधिकार के उल्लंघन और इसके लिए अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के प्रति देशों के दायित्व को मुद्दा बना सकता है.</p><p> ऐसे में जब तक कश्मीर में मौजूदा कार्रवाई जारी रहती है- मसलन सूचनाओं के प्रवाह पर पाबंदी, हजारों लोगों को हिरासत में लिया जाना और उल्लंघनों के दूसरे आरोप आते रहेंगे- तब तक इस मामले को मजबूती मिलती रहेगी. </p><p>अगर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र का नहीं पाकर, इस पर सुनवाई से इनकार भी करता है तो भी अदालत में रुख़ करने भर से भी दोनों देशों में विवाद बढ़ सकता है.</p><p>जब ध्यान दोनों देशों के संबंधो, क्षेत्र की शांति और सुरक्षा पर है उस वक्त में साधारण कश्मीरियों की स्थिति पर लोगों का ध्यान नहीं है. </p><p>यह पहला मौका है जब मानवाधिकार मामलों के संयुक्त राष्ट्र के राजदूतों ने बीते दो साल में कश्मीर में मानवाधिकार मामलों के उल्लंघन को लेकर रिपोर्टें दी हैं. </p><p>विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने कश्मीर की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंता जताई है. संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद ने कुछ ही दिनों पहले इस मसले पर शक्तिशाली देशों के प्रतिनिधियों की बैठक बुलाई थी. बंद दरवाज़े वाली मीटिंग, ज्यादा आधिकारिक बातचीत के दौर में नहीं जा सकी लेकिन यह बैठक भी बेहद अहम है, क्योंकि ऐसी बैठक इस क्षेत्र को लेकर चालीस साल से भी पहले हुई थी. </p><p>आखिर में, इस बात की परवाह किए बिना कि आईसीजे इस मामले को अपने अधिकार क्षेत्र वाले चरण में ख़ारिज कर सकता है, यह उल्लेखनीय तो बन ही गया है. इस पूरे मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण होना जारी है जिससे इस इलाके में मानवाधिकार मामले के ज्यादा उल्लंघन की आशंका भी बढ़ रही है.</p><p>ऐसी स्थिति में दुनिया भर का ध्यान इस क्षेत्र की ओर लगा रहेगा, इसमें कोई शक नहीं है और यह भी हो सकता है कि यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों की कार्रवाई का क्षेत्र बन जाए.</p><p><strong>(ये लेखिका के निजी विचार हैं)</strong></p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) में पाकिस्तान की सुनवाई होगी भी या नहीं?
<figure> <img alt="इमरान ख़ान" src="https://c.files.bbci.co.uk/1110C/production/_108400996_af33dbbc-c21e-4927-a8c6-8ed01ee4d87c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पाकिस्तान ने सार्वजनिक तौर पर संकेत दिए हैं कि वह कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय अदालत (आईसीजे) में ले जाने की योजना बना रहा है.</p><p>आईसीजे में कश्मीर को संभावित मामला बनाने की मौजूदा वजहें हैं- भारत सरकार ने <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49328592?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अनुच्छेद 370</a> को निष्प्रभावी बनाकर संविधान […]
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