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होटल बुकिंग में कालाबाजारी रोकने के लिए टास्क फोर्स का होगा गठन

हल्दिया : पश्चिम बंगाल के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में शामिल है दीघा लेकिन यहां के होटलों में कमरे की बुकिंग के लिए कालाबाजारी आम बात है. लोगों को आसानी से यहां कमरे नहीं मिलते. इसे रोकने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के मुख्य सचिव मलय दे को टास्क फोर्स गठन करने का […]

हल्दिया : पश्चिम बंगाल के सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में शामिल है दीघा लेकिन यहां के होटलों में कमरे की बुकिंग के लिए कालाबाजारी आम बात है. लोगों को आसानी से यहां कमरे नहीं मिलते.

इसे रोकने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य के मुख्य सचिव मलय दे को टास्क फोर्स गठन करने का निर्देश दिया है. बुधवार को दीघा में प्रशासनिक बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह बातें कहीं. उन्होंने टास्क फोर्स में पूर्व मेदिनीपुर के जिलाधिकारी, जिला पुलिस अधीक्षक, स्थानीय सांसद व विधायक को भी शामिल करने का निर्देश दिया.
उल्लेखनीय है कि दीघा के होटलाें में हमेशा ही तय कीमत से दोगुना व तीन गुना किराया लेने का आरोप लगता आया है. वहीं, पूजा के दौरान यहां की स्थिति ही अलग होती है. उन्होंने कई बार होटल मालिकों को इसे लेकर सचेत किया है, लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया.
अब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पर नियंत्रण के लिए टास्क फोर्स गठन करने का फैसला किया है. उन्होंने दीघा के साथ-साथ शंकरपुर, मंदारमणि और ताजपुर इलाके में भी होटल किराया नियंत्रित करने का निर्देश दियाा.
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने होटल मालिकों को वेबसाइट तैयार कर डाटा बैंक बनाने का परामर्श दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बार पूजा में बंगाल के लोग जम्मू-कश्मीर नहीं जायेंगे, वह दीघा घूमने आयेंगे. मुख्यमंत्री द्वारा लगाये गये आरोपों को दीघा-शंकरपुर होटल संगठन के अध्यक्ष सुशांत पात्र ने भी स्वीकार किया.
जब मुख्यमंत्री ने दुकान में बनायी चाय…
हल्दिया. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तीन दिनों से पूर्व मेदिनीपुर जिले के दौरे पर हैं और अपने इस दौरे में वह इस बार गांववालों से भी जाकर मिल रही हैं. बुधवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दीघा के पास स्थित दत्तापुर गांव पहुंचीं. मुख्यमंत्री वहां एक चाय दुकान में गयीं और वहां स्वयं चाय बना कर लोगों को पिलायी. साथ ही गांव के बच्चों के बीच मुख्यमंत्री ने टॉफियां बांटीं.
मुख्यमंत्री ने लोगों से उनकी समस्याओं के बारे में पूछा. स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्हें राशन सही प्रकार से नहीं मिलता है. राशन प्रत्येक सप्ताह वितरण करने का नियम है, लेकिन यहां लोगों को 15 दिन के अंतराल पर राशन मिलता है. इसके बाद मुख्यमंत्री ने मामले की जांच के आदेश दिये. साथ ही मुख्यमंत्री ने वहां के लोगों के लिए पक्का मकान बनाने का आश्वासन दिया.
मुख्यमंत्री पर हमले के 29 वर्ष पुराने मामले को खत्म करना चाहती है राज्य सरकार
कोलकाता : वर्ष था 1990. 16 अगस्त को तत्कालीन कांग्रेस नेता ममता बनर्जी एक जुलूस का नेतृत्व कर रही थीं. हाजरा में राधाकृष्ण मंदिर के करीब अचानक उनपर हमला हो गया. हमले में उनके सिर पर गंभीर चोट लगी थी. ममता बनर्जी को करीब एक महीने तक नर्सिंग होम में रहना पड़ा था.
भवानीपुर थाने में 330 नंबर इस मामले की सुनवाई के तहत 1994 में छह दिसंबर को ममता बनर्जी ने अलीपुर अदालत में गवाही दी थी. लेकिन उसके बाद लंबा वक्त गुजर गया. इस बीच, घटना के समय ममता बनर्जी के साथ मौजूद चश्मदीद गवाह दिव्येंदू विश्वास, अनूप चटर्जी, दिलीप मजूमदार व अन्य पांच का निधन भी हो गया.
29 वर्ष बाद इस वर्ष 29 मार्च को मामला सुनवाई के लिए फिर से अलीपुर के चौथे एडीजे अदालत में आया. तय हुआ कि ममता बनर्जी की गवाही के बाद उनका क्रॉस एग्जामिनेशन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से लिया जायेगा. हालांकि बुधवार को जब मामला फिर से सुनवाई के लिए पेश हुआ, तब भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था नहीं थी.
इसके बाद सरकारी वकील ने अदालत में आवेदन पेश किया कि घटना को 29 वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है. मुख्य चश्मदीद गवाहों की मौत हो चुकी है. पहले ही काफी विलंब हो चुका है. मामला यदि और चलता है, तो सभी पक्षों को इससे मानसिक परेशानी होगी. इस आवेदन के बाद अदालत ने ‘एविडेंस क्लोज ’ किया.
अब आगे की कार्यवाही के तहत आरोपियों का पक्ष जाना जायेगा और फिर फैसला सुनाया जायेगा. राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मामले का मुख्य आरोपी लालू आलम है. मामले के अन्य आरोपी फरार हैं. लिहाजा मामले से कोई सार्थक नतीजा निकलता नहीं दिखायी देता, इसलिए वह इस मामले को खत्म करना चाहते हैं.

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