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तीन बेटे व मां दर-दर भटकने को है मजबूर

तरूण संघ स्थित शिवमंदिर में दिन काटने की विवशता है उसके सामने कोर्ट के आदेश पर एक बेटा देता है खर्च, आश्रयदाता पर लगाया आरोप आसनसोल : वार्ड संख्या 51 अंतर्गत श्रीपल्ली उद्यन संघ निवासी इला गांगुली (80) को परिजनो की उपेक्षा के कारण तरूण संघ स्थित शिवमंदिर में दिन काटने की विवशता है. स्थानीय […]

तरूण संघ स्थित शिवमंदिर में दिन काटने की विवशता है उसके सामने

कोर्ट के आदेश पर एक बेटा देता है खर्च, आश्रयदाता पर लगाया आरोप

आसनसोल : वार्ड संख्या 51 अंतर्गत श्रीपल्ली उद्यन संघ निवासी इला गांगुली (80) को परिजनो की उपेक्षा के कारण तरूण संघ स्थित शिवमंदिर में दिन काटने की विवशता है. स्थानीय निवासियो ने बताया कि इला अपने छोटे बेटे अनिर्वाण गांगुली के साथ श्रीपल्ली में रहती थी. बीते वर्ष उसके लडके ने घर से निकाल दिया. वह दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर हो गयी. उनके एक पडोसी अर्पिता बनर्जी ने उनको एक खाली पड़े मकान के एक कमरे रहने के लिये आश्रम दिया.

उनके तरह से लड़के के उपर भरण पोष्ण के लिये केस फाइल कर दिया. कोर्ट के निर्देश पर उनका बेटा उनको प्रति महीने पैसे देने लगा. अर्पिता इन दोनो के बीच मध्यस्थता करने लगी. कोर्ट से अदा की गयी रकम में से 25 सौ रूपये वह इला को देती थी. उसी आय के रूपये से कोर्ट केस का खर्च भी चलता था. बुधवार की रात को जब वह घर से निकलकर तरूण संघ मंदिर में रात को ठहर गयी. सुबह स्थानीय लोगो के पूछताछ करने पर उसने पूरा बाकया बताया. स्थानीय लोगो ने पार्षद देवाशीष बनर्जी को मामले की जानकारी और सहयोग करने की पेशकश की.

न्होने उसे उठाकर वापस उसी कमरे में ले जाने का निर्णय लिया. वहां कमरे में ताला लगा था. लोगो ने ताला तोड दिया. ताला तोडने के दौरान अर्पिता ने विरोध जताना शुरू कर दिया. श्रीपल्ली के लोगो ने वह भिड़ गयी. पुन: वह रात नौ बजे वहां से निकलकर मंदिर में पहुंच गयी. उसके बाद एक बल्ब तथा मोमबत्ती देकर वापस भेजा गया.

इला ने बताया कि अर्पिता ने ही उसके भरण पोषण का केस कर इंतजाम किया है. जिसकी पूरी रकम वृद्धा को नहीं मिलती है. इला को बंद कर कमरे में रखा जाता है. जिसके कारण वह वहा से भाग निकली है. वह रहने के लिये छत तथा शांति से दो जून का खाना की तलाश कर रही है. देवाशीष बनर्जी ने कहा कि ईला वृद्ध और लाचार महिला है.

परिजनो की उपेक्षा के कारण अरपिता उसे रखकर स्वार्थ साध रही है. उसके तीन लड़के गौतम गांगुली, उत्तम गांगुली तथा अनिर्वाण गांगुली है. सभी अपने तरीके से जीवन जी रहे है. अनिवार्ण गांगुली ने बताया कि वह अपनी माता को साथ रखने को तेयार थे. वही उनके साथ नही रहना चाहती है. अपने रहने के कमरे में ताला जड़ कर दर दर भटक रही है. वह एक निजी संस्था में कार्य करते है. कोर्ट में केस होने के बाद से जैसे तैसे कभी पांच हजार रूपये प्रति महीने देते हैं.

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