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शव ले जाने के लिए ना वाहन मिला और ना स्ट्रेचर, पोस्टमार्टम रूम के बाहर घंटे भर तक गोद में शव लिये खड़े रहे परिजन, फिर…

सहरसा : मानवता को शर्मसार करनेवाली घटना एक बार फिर सामने आयी है. अस्पताल प्रबंधन द्वारा मृत बच्चे के परिजनों को शव वाहन तक मुहैया नहीं कराया गया. इसके बाद शव को बाइक से ही पोस्टमार्टम रूम तक परिजन लेकर गये. बात यहीं तक नहीं रही. पोस्टमार्टम रूम तक पहुंचने के बाद दरवाजा तक किसी […]

सहरसा : मानवता को शर्मसार करनेवाली घटना एक बार फिर सामने आयी है. अस्पताल प्रबंधन द्वारा मृत बच्चे के परिजनों को शव वाहन तक मुहैया नहीं कराया गया. इसके बाद शव को बाइक से ही पोस्टमार्टम रूम तक परिजन लेकर गये. बात यहीं तक नहीं रही. पोस्टमार्टम रूम तक पहुंचने के बाद दरवाजा तक किसी ने नहीं खोला. बाद में परिजनों ने खुद से ही पोस्टमार्टम रूम का दरवाजा खोला और शव को अंदर रखा.

परिजनों के मुताबिक, प्रबंधन से उन लोगों ने स्ट्रेचर की मांग भी की, लेकिन उन्हें स्ट्रेचर भी नहीं दिया गया. इस दौरान बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के बाहर करीब एक घंटे तक हाथ में लिये परिजन खड़े रहे.

जानकारी के मुताबिक, मत्स्यगंधा के समीप किराये के मकान में रहनेवाले दिलीप ठाकुर के पुत्र आयुष की मौत आये आंधी-तूफान से हो गयी थी. बच्चे को इलाज के लिए परिजन अस्पताल ले गये थे, जहां उसकी मौत हो गयी. परिजनों के मुताबिक, अस्पताल में शव वाहन मौजूद था, लेकिन आयुष के परिजनों को ना तो शव वाहन उपलब्ध कराया गया और ना ही पोस्टमार्टम रूम तक शव ले जाने के लिए स्ट्रेचर ही दिया गया.

घटना के संबंध में अस्पताल के प्रबंधक विनय रंजन से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि उन्हें घटना की जानकारी मिली है. मामले की छानबीन की जा रही है.

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