फुलवारीशरीफ : रविवार को पटना के फुलवारीशरीफ में निकला 201वां माता की डॉली (खप्पड़) पूजा में अनुशासन से लबरेज रोमांचित कर देने वाला अलौकिक दृश्य देख शहरवासी गौरवान्वित हो रहे थे. हिंदू समुदाय के साथ इस वर्षों पुराने पुरखों के जमाने से चली आ रही परंपरा को निभाने में मुस्लिम भाइयों ने भी बढ़-चढ़कर सहयोग दिया. संध्या के साढ़े सात बजते ही मंदिर के पुजारी जितमोहन पंडित निकले.
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फुलवारी में निकली 201वां माता की डाली, जुटे हजारों लोग
फुलवारीशरीफ : रविवार को पटना के फुलवारीशरीफ में निकला 201वां माता की डॉली (खप्पड़) पूजा में अनुशासन से लबरेज रोमांचित कर देने वाला अलौकिक दृश्य देख शहरवासी गौरवान्वित हो रहे थे. हिंदू समुदाय के साथ इस वर्षों पुराने पुरखों के जमाने से चली आ रही परंपरा को निभाने में मुस्लिम भाइयों ने भी बढ़-चढ़कर सहयोग […]
पूजारी जी आगे-आगे हाथ में जलता हुआ खप्पर लेकर दौड़ते और उनके पीछे हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब हाथों में पारंपरिक हथियार, तलवार, भाला त्रिशूल लिये माता के जयकारे लगाते खप्पड़ दौड़ परिक्रमा शुरू कर देते हैं. इस दौरान जय माता दी के जयकारे से चारों दिशाएं गूंजने लगती है. करीब 61 हजार से अधिक श्रद्धालुओं का सैलाब अपने शहर की दो सौ साल पुरानी आस्था और परंपरा को आज भी जिस उत्साह से निभा रहे थे उसका स्वरूप देख लोग आश्चर्यचकित थे.
सात बजकर बीस मिनट पर आस्था की एक अनोखी तस्वीर शहर के प्रखंड मुख्यालय के सामने स्थित मां काली मंदिर से निकलते हुए जिन हजारों आंखों ने देखा वे अपने को धन्य महसूस करे रहे थे. श्री देवी स्थान माता मंदिर से शुरू हुई खप्पर परिक्रमा जहां-जहां से गुजरी माहौल भक्तिमय हो उठा.
पूजा में हजारों की संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं. माता काली के मंदिर से निकलकर टमटम पड़ाव, चौराहा गली, सदर बाजार, प्रखंड मुख्यालय मोड़ होकर वापस मंदिर पहुंचा. लगभग डेढ़ किलोमीटर तक नगर भ्रमण के बाद खप्पड़ की परिक्रमा वापस मंदिर में आकर संपन्न हुई.
पूजा-अर्चना के बाद आधी रात तक प्रसाद वितरण हुआ. सुबह से ही मंदिर में पूजन हवन चल रहा था. मंत्री श्याम रजक और सांंसद राम कृपाल यादव ने माता की पूजा-अर्चना की. आयोजन में राम धनी प्रसाद अध्यक्ष, देवेंद्र प्रसाद सचिव स्थानीय विधायक सह मंत्री श्याम रजक, नप चेयरमैन आफताब आलम पटना सदर एसडीओ, बीडीओ जफरुद्दीन आदि ने सहयोग िकया.
महामारी बीमारी से मुक्ति को िनकाली जाती है डाली
कथा है कि 1818 ई पूर्व फुलवारीशरीफ में महामारी बीमारी फैली थी. जिसमें सैकड़ों की मृत्यु हो गयी थी. तब मंदिर के पुजारी झमेली बाबा को देवी माता सपना दिया की मां देवी की पूजा तथा खप्पर निकालों, खप्पर से निकाली हुई सुगंध जहां तक जायेगी वहां तक महामारी बीमारी से मुक्ति मिल जायेगी.
उस वक्त बीमारी से छुटकारा पाने के लिए हर गांव के देवी माता के मंदिर से खप्पर निकालकर गांव की परिक्रमा कर दूसरे गांव में रख दिया जाता था. इस पर दूसरे गांव में खप्पर रखने से आपस में विवाद होने लगा तब फुलवारी संगत में एक ऐसी देवी मां की मंदिर की स्थापना हुई जिसमें सातों देवियों की प्रतिमाएं (पिंडी) तथा एक और देवी मां की पिंडी रखी गयी है.
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