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डीएसपी, दारोगा व मजहर समेत नौ पर एफआइआर कर मौन है पुलिस

बेतिया :साठी थाना के फर्जी रेपकांड मामले पुणे के व्यवसायी जरार शेरखर को फंसाकर जेल भेजने के मामला एक बार फिर चर्चा में है. इस प्रकरण में डीएसपी निसार अहमद को निलंबित तो कर दिया गया है, लेकिन डीएसपी व अन्य नौ के खिलाफ दर्ज मामले में पुलिस ने चुप्पी साध रखी है. इस मामले […]

बेतिया :साठी थाना के फर्जी रेपकांड मामले पुणे के व्यवसायी जरार शेरखर को फंसाकर जेल भेजने के मामला एक बार फिर चर्चा में है. इस प्रकरण में डीएसपी निसार अहमद को निलंबित तो कर दिया गया है, लेकिन डीएसपी व अन्य नौ के खिलाफ दर्ज मामले में पुलिस ने चुप्पी साध रखी है. इस मामले में गिरफ्तार किये गये जरार शेरखर की मां नुसरत शेरखर ने एफआईआर कराई थी, लेकिन एक माह बाद भी न तो आरोपियों की गिरफ्तारी की जा सकी है और न तो अनुसंधान में ही कोई प्रगति है. ऐसे में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं.

जानकारी के अनुसार, गिरफ्तार जेरार शेरखर की मां डॉ. नुसरत शेरखर के आवेदन के आधार पर तत्कालीन एसडीपीओ निसार अहमद समेत नौ लोगो को नामजद करते हुए साठी थाने में एक प्राथमिकी 7 जुलाई को हीं दर्ज की गयी. इसमें निसार अहमद, दारोगा विनोद कुमार सिंह, मजहर आलम, रियाज, फारुक, कुंदन सिंह, विकास सांवत समेत कथित पीड़िता व एक अधिवक्ता को नामजद किया गया है.
जरार की मां नुसरत शेरखर ने स्पष्ट शब्दों में आवेदन में आरोप लगाया है कि गिरफ्तारी के बाद एसडीपीओ ने उनके बेटे को मुक्त करने के लिए 50 लाख की मांग की थी और जब इनकी मांग को पूरा नहीं किया गया तो इनलोगों ने साजिश के तहत जेल भेज दिया. इधर, एसडीपीओ समेत नौ लोगो के विरूद्ध दर्ज मामले का अनुसंधान बेतिया के मुख्यालय डीएसपी को सौंपा गया है, लेकिन मामले को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने ठंढ़े बस्ते में डाल दिया है. बहरहाल, मामले में पुलिस की रहस्यमय चुप्पी सबको हैरत में डाल रहा है.
क्या है मामला
जानकारी के अनुसार, पुणे महाराष्ट्र निवासी जरार शेरखर के विरुद्ध साठी थाने में मार्च में एक दुष्कर्म की प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस मामले में नरकटियागंज के एसडीपीओ रहे निसार अहमद के निर्देश पर साठी थाना के अनुसंधानकर्ता दारोगा विनोद सिंह, सहयोगी कुंदन के साथ जाकर उसे पुणे से गिरफ्तार कर लिया और न्यायिक अभिरक्षा में मंडल कारा बेतिया भेज दिया था. मामले में जब परिजनों ने बिहार सरकार के वरीय पुलिस पदाधिकारियों से संपर्क साधा तो पुलिस की सक्रियता बढ़ी.
इसमें अपर पुलिस महानिदेशक विधि व्यवस्था ने भी आकर मामले की जांच की तो मामला संदिग्ध निकला. बाद में अनुसंधानकर्ता विनोद कुमार सिंह एवं सिपाही जवान कृष्णा कुमार को पुलिस अधीक्षक ने निलंबित कर दिया. वहीं एसडीपीओ भी निलंबित कर दिये गये. जबकि गिरफ्तार जरार शेरखर जून में जेल से रिहा किये गये. इसी मामले में जरार की मां ने एफआईआर कराई है.
इस संदर्भ में कुछ भी नहीं बोल सकता
मामला जानकारी में हैं, लेकिन मैं इस संदर्भ में कुछ भी नहीं बोल सकता हूं. उच्चाधिकारियों के निर्देश पर अनुसंधान में आगे की कार्रवाई की जाएगी. अभी कोई सुपरविजन रिपोर्ट, गिरफ्तारी या चार्जशीट नहीं हुई है.
अरुण कुमार सिंह, अनुसंधानक सह मुख्यालय डीएसपी

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