पटना : सूबे का मुख्य विपक्षी दल राजद इन दिनों दोराहे पर खड़ा है. पार्टी सुप्रीमो जेल में हैं. वहीं, पार्टी के कार्यकर्ता असमंजस में हैं. पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने जिनको पार्टी चलाने की जिम्मेदारी दी वे लोकसभा चुनाव के बाद से ही अज्ञातवास में हैं.सांगठनिक रूप से पार्टी को मजबूत करने के लिए सदस्यता अभियान शुरू हो गया है, लेकिन सदस्यता अभियान के शुरुआत के मौके पर ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सहित लालू परिवार कोई भी सदस्य के शामिल नहीं होने पर विधायक से लेकर आम कार्यकर्ता निराश हैं. पर, पार्टी के नेता इस मसले पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
- पार्टी को मजबूत करने के लिए सदस्यता अभियान शुरू
- सदस्यता अभियान में शािमल नहीं हुए लालू परिवार के सदस्य
- सबसे ज्यादा विधायक हैं राजद के पास
राजद न सिर्फ राज्य का मुख्य विपक्षी दल है, बल्कि सबसे विधायक इसी दल के हैं. लेकिन, इन दिनों मुश्किल के दौर से यह पार्टी गुजर रही है. लोकसभा चुनाव में मिली असफलता के बाद पार्टी को फिर से खड़ा करने की कोई कवायद नहीं दिख रही है.
लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद पार्टी को चलाने की जिम्मेदारी तेजस्वी पर आयी, लेकिन लोकसभा में मिली करारी हार के बाद से ही वे करीब-करीब अज्ञातवास में हैं. कभी कहा जाता है कि वे अपना इलाज करा रहें, तो कभी कहा जाता है कि वे बड़े मिशन में लगे हैं.
लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव की पार्टी में वैसी स्वीकार्यता नहीं है. पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को बड़ी उम्मीद थी कि पार्टी के सदस्यता अभियान के मौके पर तेजस्वी यादव रहेंगे, लेकिन वे इसमें शामिल नहीं हुए. इससे पार्टी में खलबली मची हुई है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जवाब देेते नहीं बन रहा है.
अगले साल होना है विधानसभा चुनाव
अगले साल राज्य में विधानसभा चुनाव होना है. जदयू ने इसकी तैयारी मिशन मोड में शुरू कर दिया है. भाजपा भी राष्ट्रवाद और केंद्र की मोदी सरकार को लेकर चुनावी मोड में आ गयी है. वहीं, राज्य के मुख्य विपक्षी दल राजद में कोई हलचल नहीं है. तेजस्वी यादव के अज्ञातवास में रहने से पार्टी के विधायक 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर असमंजस में हैं.
राजद के वोट बैंक के सहारे अपने को मजबूत मान रहे विधायक भी अपने को नेतृत्व विहीन मान रहे हैं. चर्चा पर यकीन करें तो कई विधायक दूसरे दलों के संपर्क में हैं. राजद के सहयोगी दल भी मौजूदा हालात से सकते में हैं.