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‘पूरा कश्मीर ही जेल में तब्दील हो गया है, एक खुली जेल…’

<figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/3E67/production/_108257951_soldiers2_edit.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Abid Bhat</footer> <figcaption>कश्मीरियों का कहना है कि वो एक खुली जेल में रहने को मजबूर हैं.</figcaption> </figure><p>श्रीनगर शहर के बीचोबीच खान्यार इलाक़ा है जो भारत विरोधी प्रदर्शनों के लिए बदनाम है. 24 घंटे कर्फ़्यू होने की वजह से यहां पहुंचने के लिए हमें क़रीब एक दर्जन बैरीकेड को […]

<figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/3E67/production/_108257951_soldiers2_edit.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Abid Bhat</footer> <figcaption>कश्मीरियों का कहना है कि वो एक खुली जेल में रहने को मजबूर हैं.</figcaption> </figure><p>श्रीनगर शहर के बीचोबीच खान्यार इलाक़ा है जो भारत विरोधी प्रदर्शनों के लिए बदनाम है. 24 घंटे कर्फ़्यू होने की वजह से यहां पहुंचने के लिए हमें क़रीब एक दर्जन बैरीकेड को पार करना पड़ा. </p><p>एक बैरिकेड के पास जैसे ही हम पहुंचे, मैं कुछ तस्वीरें लेने के लिए अपनी कार से उतरी. उसी समय गली से कुछ लोग ये शिक़ायत करने के लिए निकल आए कि वो घेरेबंदी जैसे हालात में रह रहे हैं. </p><p>इस समूह के सबसे उम्रदराज़ व्यक्ति ने कहा, &quot;सरकार की ओर से ये भयंकर ठगी है.&quot;</p><p>अर्द्धसैनिक पुलिस ने हमें वहां से हटाने की कोशिश की लेकिन वो आदमी अपनी बात कह देना चाहता था. उसने चिल्लाते हुए कहा, &quot;आप हमें दिन में बंद रखते हैं, आप हमें रात में भी बंद रखते हैं.&quot;</p><p>पुलिस का कहना था कि इस समय कर्फ़्य़ू है और उन्हें तुरंत अपने घर के अंदर चले जाना चाहिए. लेकिन वो बुज़ुर्ग व्यक्ति पुलिसकर्मी को चुनौती देने के अंदाज़ में वहीं खड़ा रहा.</p><p>ठीक इसी समय मुझे वहां से चले जाने को कहा गया. लेकिन जबतक हम वहां से जाते, गोद में अपने छोटे बेटे को उठाए एक नौजवान ने मुझसे कहा कि ‘वो भारत से लड़ने के लिए बंदूक उठाने को तैयार है.’ </p><p>उसने कहा, &quot;ये मेरा इकलौता बेटा है. ये बहुत छोटा है अभी, लेकिन मैं इसे भी बंदूक उठाने के लिए तैयार करूंगा.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49300904?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’आर्टिकल 370 पर बीजेपी ने सहयोगियों को भरोसे में नहीं लिया'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49303173?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन, पुलिस ने दागे आंसू गैस के गोले’: रिपोर्ट </a></li> </ul><h1>ग़म और ग़ुस्सा</h1><p>वो नौजवान इतना आक्रोशित था कि उसने ये भी ध्यान नहीं दिया कि वो ये सब पुलिसकर्मी के सामने ही कह रहा है. </p><p>मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी में ऐसे लोगों से मैं मिली जिन्होंने कहा कि वो सुरक्षा बलों के डर के साए में अब और रहना नहीं चाहते. पिछले 30 सालों से कश्मीर में हिंसा जारी है.</p><p>लेकिन दिल्ली के फ़ैसले के बाद, जिसे लोग ‘तानाशाही वाला फरमान’ कह रहे हैं, इससे वो लोग भी हाशिये पर धकेल दिए गए हैं जिन्होंने कभी भी अलगाववाद का समर्थन नहीं किया था. </p><p>उनका कहना है कि कश्मीर और भारत दोनों के लिए इसके बहुत गंभीर परिणाम निकलेंगे.</p><p>जहां भी मैं गई ये भावना बहुत प्रबल दिखी, डर और चिंता के साथ गुस्सा और केंद्र सरकार के फ़ैसले के विरोध का पक्का इरादा दिखा. </p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=l7HpeKtYPVg">https://www.youtube.com/watch?v=l7HpeKtYPVg</a></p><p>बीते सोमवार सुबह से ही श्रीनगर पूरी तरह बंद है और शहर पूरी तरह भुतहा सा दिख रहा है. दुकानें, स्कूल, कॉलेज और ऑफ़िस सभी कुछ बंद हैं और सड़क पर आवाजाही ठप है.</p><p>सड़कों पर जगह जगह रेज़र वॉयर के तारों से बैरिकेड लगाया गया है और सुनसान सड़कों पर हज़ारों बंदूकधारी सुरक्षाकर्मी गश्त लगा रहे हैं. सारे शहरी अपने घरों में बंद हैं. </p><p>लगभग एक हफ़्ता होने को आए, अभी तक यहां के दो पूर्व मुख्यमंत्री हिरासत में हैं और जबकि तीसरे जोकि राज्य से वर्तमान में सांसद भी हैं, उन्हें उनके घर पर ही नज़रबंद करके रखा गया है.</p><p>सैकड़ों अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया है जिनमें सामाजिक कार्यकर्ता, उद्योग जगत के लोग और प्रोफ़ेसर शामिल हैं. इन्हें अस्थाई जेलों में रखा गया है. </p><p>रिज़वान मलिक कहते हैं कि ‘पूरा कश्मीर ही जेल में तब्दील हो गया है, एक खुली जेल.'</p><p>सोमवार को जब संसद में गृहमंत्री अमित शाह ने कश्मीर पर अपनी योजना रखी उसके 48 घंटे के अंदर ही रिज़वान दिल्ली से श्रीनगर की उड़ान पकड़ कर यहां आ गए थे. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49288237?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर मुद्दे पर क्या बोले तालिबान</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49181288?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर घाटी में लोगों के मन में डर क्यों बैठ रहा है</a></li> </ul><figure> <img alt="रिज़वान मलिक" src="https://c.files.bbci.co.uk/29BD/production/_108258601_edit-interviewee1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Abid Bhat</footer> <figcaption>रिज़वान मलिक</figcaption> </figure><h1>सामान्य लोगों में भी असंतोष</h1><p>उन्होंने कहा कि अपने परिजनों से अंतिम बार बीते रविवार की रात उनकी बात हो पाई थी. इसके कुछ ही घंटे बाद सरकार ने इंटरनेट समेत संचार के सभी माध्यमों पर रोक लगा दी. पूरी तरह से सूचनाओं का ब्लैकआउट कर दिया गया और चूंकि वो अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार के यहां नहीं पहुंच सके, वो अपने घर लौट आए. </p><p>श्रीनगर में अपने पैतृक घर पर उन्होंने मुझे बताया, &quot;ये ज़िंदगी में पहली बार हुआ कि किसी से संपर्क साधने का कोई उपाय नहीं है. इससे पहले मैने ऐसा कुछ नहीं देखा.&quot;</p><p>मलिक इस बात से आक्रोशित हैं कि भारत ने बिना राज्य के लोगों से सलाह लिए, कश्मीर का विशेष दर्ज़ा ख़त्म कर दिया, जिसके तहत इस इलाक़े को एक हद तक स्वायत्तता हासिल थी और जिसकी वजह से इस इलाक़े का रिश्ता शेष भारत से नत्थी था.</p><p>वो ऐसे व्यक्ति नहीं है जिनका अलगाववाद में भरोसा हो या कभी बाहर निकले हों और प्रदर्शन के दौरान सेना पर पत्थर फेंके हों. वो 25 साल के युवा हैं जो दिल्ली में अकाउंट की पढ़ाई करते हैं. वो कहते हैं कि वो लंबे समय से ‘भारत के विचार’ में भरोसा रखते थे क्योंकि उन्हें इसकी आर्थिक सफलता की कहानी में यक़ीन था. </p><p>वो कहते हैं, &quot;अगर भारत चाहता है कि हम ये विश्वास करें कि ये एक लोकतंत्र है, तो वे खुद को मूर्ख बना रहे हैं. कश्मीर का भारत के साथ एक लम्बे समय से तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं. लेकिन हमारा विशेष दर्ज़ा ही वो पुल था जो हम दोनों को जोड़ता था. इसे ख़त्म करके उन्होंने हमारी पहचान छीन ली है. किसी भी कश्मीरी के लिए ये अस्वीकार्य है.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49279020?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">विकास के मोर्चे पर क्या वाक़ई पिछड़ा है जम्मू-कश्मीर?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49279019?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर पर क्यों मुश्किल है पाकिस्तान की राह</a></li> </ul><figure> <img alt="श्रीनगर" src="https://c.files.bbci.co.uk/1757/production/_108257950_soldiers_edit.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Abid Bhat</footer> </figure><p><strong>'</strong><strong>ख़बर सुनकर हाथ कांपने लगा</strong><strong>'</strong></p><p>मलिक कहते हैं कि जब ये प्रतिबंध हटेगा और लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने के लिए उतरेंगे तो हर कश्मीरी उनका साथ देगा, &quot;ये कहा जाता था कि हर परिवार में एक भाई अलगाववादियों के साथ है और दूसरा भाई मुख्यधारा (भारत) के साथ. अब भारत सरकार ने इन दोनों भाईयों को एकजुट कर दिया है.&quot;</p><p>कश्मीर यूनिवर्सिटी में आर्किटेक्ट की छात्रा 20 साल की उनकी बहन रुख़सार रशीद कहती हैं कि जब उन्होंने टीवी पर गृहमंत्री का भाषण सुना तो उनका हाथ कांपने लगा और पास बैठी उनकी मां ने रोना शुरू कर दिया. </p><p>राशिद कहती हैं, &quot;वो कह रही थीं कि इससे तो मौत अच्छी होगी. मैं बेचैनी में टहल रही थी. मेरे दादा दादी जो शहर के बाटमालू इलाक़े में रहते हैं, वो कहते हैं कि ये अफ़ग़ानिस्तान बन गया है.&quot;</p><p>इस बड़े कदम से पहले भारत ने कश्मीर के अपने नियंत्रण वाले हिस्से में अपनी तैयारी करनी शुरू कर दी थी. सरकार ने पिछले महीने कश्मीर में 35 हज़ार अतिरिक्त सुरक्ष बल भेजने की घोषणा की. ये वो इलाक़ा है जो पहले से ही दुनिया का सबसे सैन्यीकृत इलाक़ा है. इसे लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद है और दोनों ही परमाणु हथियार संपन्न देश हैं. </p><p>पिछले सप्ताह, अमरनाथ यात्रा को बीच में ही ख़त्म करने की घोषणा सरकार ने कर दी क्योंकि प्रशासन ने चरमपंथी हमले की आशंका जताई थी. </p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49255668?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जब कश्मीरियों की आवाज़ ने बदल दी थी हिंदुस्तान की क़िस्मत</a></p><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/128C7/production/_108257957_curfew_–1edit.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Abid Bhat</footer> </figure><h1>प्रदर्शन की ख़बरें</h1><p>इसके बाद होटल, हाउसबोट, डल लेक सबकुछ बंद करने के आदेश दे दिए गए और पर्यटकों से तुरंत वापस जाने के लिए कहा गया. </p><p>तबतक कश्मीर में हर किसी को इस बात का अंदेशा हो गया था कुछ बड़ा होने वाला है, लेकिन जिन दर्जनों लोगों से मैंने बात की, उन्हें भी नहीं लगा था कि दिल्ली इतना बड़ा और एकतरफ़ा कदम उठाते हुए संविधान के एक हिस्से को ही समाप्त कर देगी. </p><p>संचार साधनों का पूरी तरह ब्लैकआउट का मतलब था कि कोई भी भरोसेमंद सूचना का न मिलना और जो भी ख़बर मिल रही थी वो लोगों से मिल रही थी.</p><p>इस अभूतपूर्व बंदी के बावजूद, हम श्रीनगर और अन्य जगहों पर प्रदर्शन और सुरक्षा बलों पर पत्थरबाज़ी की ख़बर रोज़ सुनते थे.</p><p>हमने सुना की एक प्रदर्शनकारी को सुरक्षाबलों ने दौड़ा लिया और बचने के लिए वो नदी में कूद गया. उसकी मौत हो गई. बहुत से लोग घायल हुए और कई अस्पताल पहुंचे.</p><p>लेकिन भारत सरकार ये दिखाने की भरपूर कोशिश कर रही है कि कश्मीर में सबकुछ ठीक है. </p><p>बुधवार को टीवी चैनलों ने दिखाया कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल शोपियां की सड़कों पर कुछ लोगों के साथ लंच कर रहे हैं. शोपियां वही इलाक़ा है जिसे भारतीय मीडिया में ‘चरमपंथ का गढ़’ बताया जाता है. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49273698?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अनुच्छेद 370 की मीडिया कवरेज से कैसे ग़ायब रही कश्मीर की आवाज़?</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49273259?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीरियों से क्या कह रहे थे अजीत डोभाल</a></li> </ul><p>ये दुनिया को बताने की कोशिश थी कि सबसे कठिन इलाक़े में भी सरकार के कदम का लोग भरपूर समर्थन कर रहे हैं और शांति छाई हुई है. </p><p>लेकिन कश्मीरी इसे एक नाटक बताते हुए ख़ारिज करते हैं. </p><p>रिज़वान मलिक कहते हैं, &quot;अगर लोग ख़ुश हैं तो उन्हें कर्फ़्यू की क्यों ज़रूरत है? संचार ब्लैकआउट क्यों लागू है.&quot;</p><p>श्रीनगर के हर हिस्से में यही सवाल दुहराया जा रहा है- घरों में, सड़कों पर, पुराने शहर के संवेदनशील इलाक़ों में जिसे स्थानीय लोग डाउनटाउन कहते हैं और दक्षिणी ज़िले पुलवामा में, जहां बीते फ़रवरी में सुरक्षा बलों पर एक बड़ा हमला हुआ था और जिससे भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध तक की नौबत आ गई थी. </p><p>जब मैं इलाके से होकर जा रही थी, सड़क किनारे खड़े लोग या गाड़ियों में जा रहे लोगों ने बात करन के लिए मेरी कार रोकी. </p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49267846?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अनुच्छेद 370 बेअसर करने पर बोला ब्रिटेन </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49262405?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अनुच्छेद 370 में कांग्रेस ने भी लगाई थी कई सेंध</a></li> </ul><figure> <img alt="कश्मीर" src="https://c.files.bbci.co.uk/18493/production/_108257499_tourists_-5.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Abid Bhat</footer> </figure><h1>अभूतपूर्व हालात</h1><p>उनका कहना था कि कश्मीरी आवाज़ को लगातार दबाया जा रहा है और उनकी बात सुनी जानी चाहिए. </p><p>उन्होंने मुझे बताया कि वो कितना आक्रोशित हैं और भारी खूनखराबे का अंदेशा जताया. </p><p>पुलवामा में रहने वाले एक वकील ज़ाहिद हुसैन डार कहते हैं, &quot;इस समय कश्मीर पूरी तरह बंद है. जब बंदी हटेगी तब परेशानी शुरू होगी. एक बार जब राजनीतिक और अलगाववादी नेता हिरासत या नज़रबंदी से रिहा होंगे, प्रदर्शन की अपील होगी और लोग बाहर निकलेंगे.&quot;</p><p>कुछ भारतीय मीडिया में रिपोर्ट आई है कि चूंकि अभी तक कश्मीर घाटी में कोई बड़ा प्रदर्शन नहीं हुआ है, इसका मतलब है कि लोगों ने सरकार के फैसले को स्वीकार कर लिया है. </p><p>लेकिन जिस कश्मीर को मैंने देखा, वो अंदर ही अंदर उबल रहा है. मैं इस इलाके में 20 सालों से रिपोर्टिंग के लिए आती रही हूं लेकिन इस क़िस्म का गुस्सा और असंतोष जो लोग ज़ाहिर कर रहे हैं, वो अभूतपूर्व है. </p><p>यहां अधिकांश लोग कह रह हैं कि वो सरकारी फैसले के रद्द किए जाने और कश्मीर के विशेष दर्ज़े को बहाल किए जाने से कम किसी चीज़ पर नहीं मानेंगे. </p><figure> <img alt="मुस्कान लतीफ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/B397/production/_108257954_woman-interviewee.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Abid Bhat</footer> <figcaption>मुस्कान लतीफ़ का कहना है कि कश्मीर में तनाव और बढ़ सकता है.</figcaption> </figure><p>लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार को अपने फैसले वापस लेने के लिए नहीं जाना जाता है और इसकी वजह से घाटी में ये अंदर ही अंदर डर है कि सरकार उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करेगी जो इसका विरोध करेंगे. </p><p>गुरुवार को मोदी ने अपने विवादास्पद फैसले का बचाव किया. उन्होंने इसे नए युग की शुरुआत कहा और कश्मीर में रोज़गार के अवसरों और विकास का वादा किया. </p><p>हालांकि यहां बहुत से लोग पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. और ये कश्मीरियों या भारत के लिए बहुत अच्छा संकेत नहीं है. </p><p>हाईस्कूल की छात्रा मुस्कान लतीफ़ इन हालात को ‘तूफ़ान से पहले की शांति’ कहती हैं. </p><p>वो कहती हैं, &quot;ऐसा लगता है कि समंदर ख़ामोश है लेकिन जल्द ही सुनामी आने वाली है.&quot;</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a 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