नयी दिल्ली : विश्व तीरंदाजी ने भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) के निलंबन को ‘सशर्त’ वापस लेने का संकेत देते हुए कहा कि इसके लिए उसे इस महीने के अंत तक अपनी व्यवस्था ठीक करनी होगी.
विश्व तीरंदाजी का यह फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय के शुक्रवार के उस निर्देश के बाद आया जिसमें अदालत ने निलंबित एएआई के चुनाव कराये जाने तक उसकी व्यवस्था देखने के लिये खेल मंत्रालय को पांच सदस्यीय अस्थायी समिति गठिन करने का निर्देश दिया.
न्यायालय के इस निर्देश के बाद विश्व तीरंदाजी के महासचिव टॉम डिलेन ने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के महासचिव राजीव मेहता को पत्र लिख कर समिति के चार सदस्यों के नामों का सुझाव देते हुए कहा कि इसकी अध्यक्षता जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के सेवानिवृत मख्य न्यायधीश बीडी अहमद को सौपी जाए.
डिलेन ने मेहता को लिखा है, अगर इस मामले में तेजी से सुधार होता है और अगस्त के अंत तक व्यवस्था में सही होती है तो विश्व तीरंदाजी इस महीने के आखिर में एएआई के निलंबन को सशर्त हटा सकता है.
विश्व तीरंदाजी ने अस्थायी समिति के लिए जिन चार नामों का सुझाव दिया है उनमें आईओए से मेहता, खेल मंत्रालय से आर राजगोपाल के साथ एएआई के विरोधी खेमों के बीवीपी रावत और वीरेन्द्र सचदेवा शामिल हैं. अस्थायी समिति का काम भारतीय खेल कोड और विश्व तीरंदाजी के संविधान के मुताबिक एएआई का संविधान तैयार करना और चुनाव करवाना हैं.
डेलिन ने लिखा, निलंबन हटाने के लिए इस व्यवस्था को विश्व तीरंदाजी से मंजूरी मिलना जरूरी होगा. यह समिति नवंबर में बैंकाक में होने वाली एशियाई चैम्पियनशिप और तोक्यो ओलंपिक 2020 की तैयारियों और टीम चयन के अलावा महासंघ के जरूरी कामकाज को देखेगी.इससे पहले राहुल मेहरा बनाम केंद्र सरकार एंव अन्य की जनहित याचिका की शुक्रवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और नज्मी वाजिरी की दिल्ली उच्च न्यायालय की विशेष पीठ ने निर्देश दिया कि समिति का गठन कम से कम 23 अगस्त तक कर दिया जाये और यह अपनी बैठक 24 अगस्त को कर ले.
मेहरा ने लिखा, समिति का गठन भारतीय तीरंदाजी संघ के फिर विश्व तीरंदाजी महासंघ (डब्ल्यूएएफ) में अच्छी स्थिति बनाना सुनिश्चित करने के लिये किया गया है ताकि हमारे तीरंदाजों को आगामी क्वालीफाइंग टूर्नामेंट और तोक्यो ओलंपिक में भारतीय ध्वज के अंतर्गत भारत का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति मिले.