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आदिवासी दिवस पर विशेष: तवज्जो की दरकार

सोनम तारगे, स्पीति सिविल सोसाइटी, हिमाचल हिमाचल के तीन जिले किन्नौर, लाहौल स्पीति और चंबा जिले का एक तहसील आदिवासी इलाका है. हालांकि यहां सरकार ने थोड़ा विकास किया है. लेकिन अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में ये क्षेत्र बहुत पिछड़े हैं. यहां एमबीबीएस डॉक्टर तो हैं, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट […]

सोनम तारगे, स्पीति सिविल सोसाइटी, हिमाचल
हिमाचल के तीन जिले किन्नौर, लाहौल स्पीति और चंबा जिले का एक तहसील आदिवासी इलाका है. हालांकि यहां सरकार ने थोड़ा विकास किया है. लेकिन अभी भी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है.
शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में ये क्षेत्र बहुत पिछड़े हैं. यहां एमबीबीएस डॉक्टर तो हैं, लेकिन रेडियोलॉजिस्ट नहीं हैं. ऐसे में अगर अल्ट्रासाउंड या एक्स-रे भी कभी कराना होता है तो 400-450 किलोमीटर दूर शिमला जाना पड़ता है. ठंड के मौसम में स्थिति और भी खराब हो जाती है. बर्फ गिरने से सड़कें पूरी तरह बंद हो जाती हैं और हम हिमाचल के बाकी हिस्से से कट जाते हैं. स्पीति में 28 गांव और लाहौल का पूरा इलाका ही आठ महीने के लिए बंद हो जाता है. संचार के मामले में भी ये इलाके पिछड़े हैं. देश के बाकी इलाकों में 4जी चल रहा है और हम अभी भी 1जी पर अटके हैं.
यहां 2जी तो है लेकिन उसका नेटवर्क नहीं हैं. हमारे यहां पर्यटन का काफी स्कोप है. लोग-बाग भी जून की गर्मी से राहत पाने के लिए लाहौल, किन्नौर आना चाहते हैं, लेकिन बर्फ के कारण सड़कें बंद रहती हैं. जब खुलती हैं, तब तक छुट्टियां खत्म हो जाती हैं. ऐसे में हमारे पर्यटन का बहुत नुकसान होता है. हमारी मांग है कि सड़कें अच्छी तरह से बनायी जायें, ताकि पर्यटक हम तक पहुंच सकें. बड़ी समस्या है जमीन पर दावेदारी की. पुराने जमाने में लोगों को कानून का पता ही नहीं था कि राजस्व विभाग में आवेदन देना होता है कि वह जमीन मेरी है. ऐसे में सालों-साल फसल उगाने के बाद भी वह जमीन जनजातियों की नहीं रही.

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