लंदनः पाकिस्तानी मूल की शिक्षा अधिकार कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भी कश्मीर मुद्दे पर बयान जारी किया है. मलाला ने गुरुवार को कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान निकाले जाने की अपील की और कहा कि ‘हम सभी शांति के साथ रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि ‘एक दूसरे को नुकसान पहुंचाने’ की कोई आवश्यकता नहीं है.
भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 को निरस्त कर दिया है और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया है. इसके जवाब में, पाकिस्तान ने बुधवार को भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था और भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करने का फैसला किया था. उसने भारत के कदम को ‘एकतरफा और अवैध’ बताया था.
मलाला ने ट्वीट किया, ‘जब मैं बच्ची थी, जब मेरी मां और मेरे पिता बच्चे थे, जब मेरे दादा-दादी, नाना-नानी युवा थे, कश्मीर के लोग तभी से संघर्ष की स्थिति में जी रहे हैं. सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाली मलाला (22) ने कहा कि वह कश्मीर की फिक्र करती हैं क्योंकि ‘दक्षिण एशिया मेरा घर है, एक ऐसा घर जिसे मैं कश्मीरियों समेत 1.8 अरब लोगों के साथ साझा करती हूं.
मलाला ने कहा कि यह क्षेत्र विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं, व्यंजनों और परम्पराओं का प्रतिनिधित्व करता है. उन्होंने उम्मीद जताई कि ‘हम सभी शांति के साथ रह सकते हैं.’ मलाला ने कहा, ‘इस बात की कोई आवश्यकता नहीं है कि हम पीड़ा सहें और एक दूसरे को नुकसान पहुंचाएं.’ उन्होंने कहा कि उन्हें कश्मीर में मुख्य रूप से महिलाओं और बच्चों की चिंता है क्योंकि उन्हें ‘हिंसा का आसानी से शिकार बनाया जा सकता है और इस संघर्ष में उन्हें ही सर्वाधिक नुकसान होने की आशंका है.’
उन्होंने सभी दक्षिण एशियाई देशों, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और प्राधिकारियों से उनकी पीड़ा पर प्रतिक्रिया देने की अपील की. मलाला ने कहा, ‘हमारे बीच कोई भी मतभेद क्यों न हो… हमें कश्मीर में सात दशक पुराने संघर्ष को शांतिपूर्वक सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.