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दवा के साथ मेडिकल वेस्ट, तो टाइफाइड की जगह दी जा रही थी मलेरिया की दवा

बोकारो :क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट की टीम ने मंगलवार को बोकारो को-ऑपरेटिव कॉलोनी और सिटी सेंटर सेक्टर चार में संचालित चार निजी अस्पतालों व एक पैथोलॉजी सेंटर का निरीक्षण किया. इस दौरान कहीं ऑपरेशन थियेटर में कुव्यवस्था मिली तो कहीं फायर मशीन की स्थिति खराब. कहीं दवा के साथ ही रखी मिली बॉयो मेडिकल वेस्टेज. कहीं […]

बोकारो :क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट की टीम ने मंगलवार को बोकारो को-ऑपरेटिव कॉलोनी और सिटी सेंटर सेक्टर चार में संचालित चार निजी अस्पतालों व एक पैथोलॉजी सेंटर का निरीक्षण किया. इस दौरान कहीं ऑपरेशन थियेटर में कुव्यवस्था मिली तो कहीं फायर मशीन की स्थिति खराब. कहीं दवा के साथ ही रखी मिली बॉयो मेडिकल वेस्टेज.

कहीं आयुष्मान के मरीजों को भोजन नहीं. और तो और टाइफाइड के मरीजों को मलेरिया की दवा देते पकड़ा गया. जांच टीम में शामिल एक्ट के नोडल पदाधिकारी डॉ राहुल कुमार, डीपीएम पी कुमार, डीडीएम कुमारी कंचन, एपीडेमोलॉजिस्ट पवन श्रीवास्तव अपराहृन चार बजे को-ऑपरेटिव कॉलोनी पहुंचे और नारायणी अस्पताल का निरीक्षण किया.

टीम को यहां गंदगी के साथ-साथ हर जगह एक्ट का उल्लंघन मिला. मरीजों से जुड़ी सही-सही रिकाॅर्ड नहीं मिला. इसके बाद टीम सेवा सदन पहुंची तो यहां दवा के साथ बायोमेडिकल वेस्टेज रखा मिला. इस पर टीम ने कड़ी हिदायत दी. साथ ही आयुष्मान भारत के मरीजों भोजन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. दोनों अस्पतालों के निबंधन कागजात की भी जांच की, जो सही मिली. टीम ने कुमार डॉयग्नोस्टिक सेंटर में जांच होने वाले विभिन्न तरह की रिपोर्ट को देखा. साथ ही साफ-सफाई करने की हिदायत दी. अधिक समय तक लैब में खून-पेशाब बिना कारण के नहीं रखने की बात कही.
वृंदावन अस्पताल : सरकारी चिकित्सक आते हैं दोनों समय : सिटी सेंटर स्थित वृंदावन अस्पताल टीम पहुंची तो अस्पताल के मैनेजर सूरज कुमार ने बताया कि 20 बेड का अस्पताल है. दो मरीज बच्चे भर्ती हैं. इन्हें टाइफाइड हुआ है. डॉ मुश्ताक देख रहे हैं. कागजात देखने पर पता चला कि दोनों बच्चों को मलेरिया की दवा चल रही है. कोई जांच रिपोर्ट नहीं है. मरीज के परिजनों को कोई जानकारी नहीं दी गयी है. डॉ कुमार ने डीपीएम को निर्देश दिया कि गोमिया में पदस्थापित सरकारी चिकित्सक डॉ मुश्ताक के बारे में पता करें कि वह दोनों वक्त मरीजों को यहां कैसे देखने आते हैं? इनकी ड्यूटी का टाइम क्या है. सदर अस्पताल के बजाय निजी अस्पताल में मरीजों को क्यों भेजा.
राज नर्सिंग होम : साफ-सफाई पर दी कड़ी हिदायत : राज नर्सिंग होम में टीम ने प्रसव कक्ष, वार्ड सहित अन्य कमरों की जांच की. इस दौरान कमरे से आने वाली बदबू से टीम परेशान हुई. इलाजरत मरीजों से सुविधाओं के बारे में पूछा. टंगे हुए फायर सिलिंडर को देखा तो काफी पुराना लग रहा था. एक्सपायरी डेट भी नहीं दिखी. टीम ने नर्स को साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने को कहा. नर्सिंग होम संचालक को कार्यरत नर्स ने टीम के आने की सूचना दी. निरीक्षण करने के बाद चिकित्सक पहुंचे.

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