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खटारा वाहन : बदरंग हो रहे शहर, बिगड़ रहा स्वास्थ्य

सीवान : सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़े रहे खटारा वाहन जहां लोगों का स्वास्थ्य बिगाड़ रहे हैं, वहीं शहर को भी बदरंग बना रहे हैं. हालात यह है कि एक ओर जहां विभाग मौन साधे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर वाहन मालिक नियमों को ताक पर रख दिये हैं. वाहनों को पूरी तरह फिट कर […]

सीवान : सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़े रहे खटारा वाहन जहां लोगों का स्वास्थ्य बिगाड़ रहे हैं, वहीं शहर को भी बदरंग बना रहे हैं. हालात यह है कि एक ओर जहां विभाग मौन साधे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर वाहन मालिक नियमों को ताक पर रख दिये हैं. वाहनों को पूरी तरह फिट कर सड़क पर उतारने की जिम्मेदारी मोटर यान निरीक्षक की होती है.

वाहन मालिक एक छोटी सी रकम खर्च कर आराम से फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त कर लेते हैं. इस गंभीर समस्या को हल करने के बजाय परिवहन विभाग कागज पर ही पूरी जांच कर लेता है. शहरों के अलावे ग्रामीण इलाके में ऐसे वाहनों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. जहरीला धुआं उगलते ये वाहन लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं.
निर्धारित अवधि में होता है फिटनेस की जांच : परिवहन विभाग की बातों पर गौर करें तो व्यावसायिक तथा निजी वाहनों के फिटनेस की जांच निर्धारित अवधि के अंदर कराने का नियम है. इस कार्य के लिए जिला परिवहन कार्यालय में काउंटर भी खुला हुआ है लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है. फिटनेस प्रमाणपत्र देने की व्यवस्था के बीच, हर इलाके में ऐसे सैकड़ों गाड़ियां दौड़ती मिल जायेंगी, जो फिटनेस के मानक पर खरा नहीं उतरती हैं.
इसके अलावे बैकलाइट, फॉग लाइट तथा कलर रिफ्लेक्टर लगाये बगैर भी वाहन धड़ल्ले से चलाये जा रहे हैं. ऐसे वाहनों में दो पहिया से लेकर चारपहिया वाहन शामिल हैं. काला धुआं सांस से फेफड़ा में उतर कर कई जनित रोगों को जन्म देता है.
परिचालन बंद करने का है नियम
विभाग की माने तो फिटनेस मानक पर खरा नहीं उतरनेवाले वाहनों के परिचालन पर रोक लगाने का प्रावधान है. परंतु जिला परिवहन कार्यालय में ऐसा कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि जिले में अबतक कितने वाहनों को फिटनेस के नाम पर रोका गया है.
क्या हैं फिटनेस जांच के नियम
नये वाहनों की दो साल बाद होती है फिटनेस जांच
पुराने वाहनों को हरेक वर्ष लेना होता है प्रमाणपत्र
गाड़ियों को प्रमाणपत्र देने के पूर्व चला कर देखना है अनिवार्य
ब्रेक व इंजन सहित अन्य की होती है जांच
गाड़ी का देना होता है टैक्स टोकन
इंश्योरेंस देखने के बाद देना है प्रमाणपत्र
प्रदूषण जांच रिपोर्ट है प्रमाणपत्र के पूर्व जरूरी
पिछले साल के फिटनेस प्रमाणपत्र को साथ लगाना जरूरी
यह है हकीकत
सड़क पर दौड़ रहे हैं डगमगा बस, पिकअप व ऑटो
सैकड़ों वाहनों में नहीं है ब्रेक लाइट व इंडिकेटर
काउंटर पर आवेदन देने मात्र से हो जाती है जांच
फिटनेस देने के पूर्व नहीं होती है वाहनों की सही जांच
धुआं उगलते मैजिक व विक्रम बनी ग्रामीण इलाके की पहचान
मुख्यालय में भी धड़ल्ले से दौड़ते हैं धुआं देते वाहन
क्या कहते हैं पदाधिकारी
ससमय गाड़ियों के फिटनेस की जांच करायी जाती है. बिना जांच फिटनेस प्रमाणपत्र देने का सवाल ही नहीं है. जो गाड़ी देखने से खटारा लगती है, और उसके मालिक फिटनेस का प्रमाणपत्र देते हैं तो जांच कर कार्रवाई की जायेगी.
कृष्ण मोहन प्रसाद, डीटीओ, सीवान

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