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कोलकाता में रह रहे कश्मीरी पंडितों की जगी आस- फिर से पा सकेंगे अपना खोया आशियाना

कोलकाता :1989-90 में कश्मीर में ‘बट्टा’ (पंडितों) कश्मीर छोड़ो के जेहादी आह्वान के बाद लाखों कश्मीरी पंडित अपना घर, कारोबार और धन संपत्ति छोड़कर देश के विभिन्न भागों में बसने के लिए बाध्य हुए थे. उनमें से ज्यादातर परिवार दिल्ली सहित उत्तर भारत में बसे थे, लेकिन सैकड़ों परिवारों ने कोलकाता को भी अपना आशियाना […]

कोलकाता :1989-90 में कश्मीर में ‘बट्टा’ (पंडितों) कश्मीर छोड़ो के जेहादी आह्वान के बाद लाखों कश्मीरी पंडित अपना घर, कारोबार और धन संपत्ति छोड़कर देश के विभिन्न भागों में बसने के लिए बाध्य हुए थे. उनमें से ज्यादातर परिवार दिल्ली सहित उत्तर भारत में बसे थे, लेकिन सैकड़ों परिवारों ने कोलकाता को भी अपना आशियाना बनाया था और अब भी कश्मीरी पंडितों के लगभग सौ परिवार कोलकाता में रह रहे हैं.

पर, अब भी उनका दिल कश्मीर में ही बसता है. घर लौटने की चाहत उनके दिलों में बसी है. सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 को रद्द करने की घोषणा के बाद उन कश्मीरी पंडितों की फिर से अपने आशियाने में लौटने की चाहत लौट आयी है.

सपना सच प्रतीत होने लगा है. कश्मीरी पंडितों के संगठन ‘कश्मीर सभा’ के सदस्यों, परिवारों और पदाधिकारियों में केंद्र सरकार के फैसले से खुशी की लहर दौड़ गयी है. कश्मीर सभा के सचिव नरेंद्र कौल ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा : केंद्र सरकार का यह फैसला ऐतिहासिक है. इस फैसले से केवल कश्मीर के पंडित ही नहीं, बल्कि पूरा देश खुश है. मेरी सुबह से कई लोगों से बातचीत हुई है. सभी खुश हैं. कभी हम लोगों को कश्मीर से पलायन के लिए विवश किया गया था, लेकिन इस फैसले के बाद अब फिर से हम लोग कश्मीर लौट पायेंगे.

अभी तक देश के दूसरे भाग के लोग कश्मीर में जमीन-जायदाद नहीं खरीद पाते थे, लेकिन अब वे भी कश्मीर में जमीन-जायदाद खरीद पायेंगे. देश के अन्य भागों की तरह ही कश्मीर का भी विकास होगा. देश का तिरंगा और संविधान भी अब कश्मीर का तिरंगा और संविधान होगा. उन्होंने 1989-90 के जेहादी फतवे और पंडितों को खदेड़ने के फरमान का जिक्र करते हुए कहा : उस समय मस्जिदों में लिस्ट टांग दी गयी थी. नारा दिया गया था ‘बट्टा’ (पंडितों) कश्मीर छोड़ो. इसके बाद बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित कश्मीर छोड़ने के लिए बाध्य हो गये थे.

जिन लोगों ने विरोध किया था, उन पर अत्याचार किये गये थे. हम अपनी ही जमीन पर बेगाने हो गये थे. कौल कहते हैं : कभी कश्मीर पंडितों का गढ़ हुआ करता था. ब्राह्मणों की उत्पत्ति कश्मीर में ही हुई है. कश्मीर के इतिहास में हिंदू पंडितों का बहुत योगदान रहा है. हिंदू धर्म के विकास में भी कश्मीरी पंडितों का काफी योगदान रहा है. कश्मीर सदा से ही भारत का अभिन्न अंग रहा है. उन्होंने कहा : कश्मीर की हालत बहुत की खराब है. वहां रोजगार नहीं है. युवा बेरोजगार हैं. इस फैसले से कश्मीर में उद्योग-धंधे लगेंगे, तो मुस्लिम युवाओं को भी रोजगार मिलेगा.

कश्मीर सभा की अध्यक्ष बीणा मिश्री ने कश्मीर से भगाये जाने का दु:ख का जिक्र करते हुए कहा : कश्मीर में हमारे घर लूट लिये गये थे. घरों को जला दिया गया था. हम सबकुछ कश्मीर में छोड़कर भागने के लिए बाध्य हुए थे. 70 सालों तक हम लोगों की किसी ने नहीं सुनी थी. हम लोग बेसहारा और निराश हो गये थे. कितने आवेदन किये थे? कितनी फरियाद की थी? लेकिन कोई हमारा नहीं सुन रहा था. मोदी जी का बहुत-बहुत धन्यवाद. अब हम वापस अपने घर जा पायेंगे. वहां हमारी जमीन-जायदाद और संपत्तियां पड़ी हैं. जिन पर मुसलमानों ने कब्जा कर रखा है. वे हमें वापस मिल पायेगी.

मुझे उम्मीद है कि कश्मीर के हिंदू और मुसलमान सभी साथ रहेंगे और शांति लौटेगी. कश्मीर फिर से चमन बनेगा. कश्मीर सभा के कोषाध्यक्ष रतन मौजा का कहना है : हम लोग काफी खुश हैं. आज हमारे लिए उत्सव का दिन है. घर-घर में खुशियां छायी हुई हैं. 24 अगस्त को जन्माष्टमी उत्सव है. कश्मीर भवन में इस उत्सव का प्रत्येक वर्ष धूमधाम से पालन किया जाता है और परिवारों का ‘गेट टू गेदर’ भी होता है. धारा 370 के रद्द होने का उत्सव का पालन जन्माष्टमी के उत्सव के दिन धूमधाम से किया जायेगा.

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