पटना : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के फैसले के बाद आरजेडी के साथ-साथ बीजेपी के सहयोगी दल जेडीयू के नेताओं ने भी कड़ा एतराज जताया है. वहीं, जेडीयू नेता ने पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार को एक बार पुन: फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील भी कर दी है.
जानकारी के मुताबिक, बिहार के उद्योग मंत्री श्याम रजक ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35 (ए) हटाये जाने के फैसले को ‘भारतीय इतिहास का सबसे काला दिन’ बताया है. साथ ही कहा है कि आज सरकार ने संविधान की हत्या की है. उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 के साथ छेड़छाड़ संविधान के साथ खिलवाड़ है. पार्टी इसका कड़ा विरोध करती है. वहीं, हाल ही में जेडीयू के प्रवक्ता पद से इस्तीफा देनेवाले पार्टी नेता ने कहा है कि ‘देश हित में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार जी से अपील है कि अनुच्छेद 370 पर जो बिल आया है, उस पर पार्टी के पूर्व के स्टैंड पर पुनर्विचार होना चाहिए. देश और बिहार की जनता और जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की जनता की भावनाओं का सम्मान सर्वोपरि है. उसको ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाये.’
देश हित में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष @NitishKumar जी से अपील हैं की धारा 370 पे जो बिल आया हैं उस पे पार्टी के पूर्व के स्टैंड पर पुनःविचार होना चाहिए ।देश और बिहार की जनता और जम्मू कश्मीर और लद्दाख़ की जनता की भावनाओं का सम्मान सर्वोपरि हैं उसको ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाए
— Dr Ajay Alok (@alok_ajay) August 5, 2019
आरजेडी ने जताया विरोध
आरजेडी के प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को जम्मू-कश्मीर से हटाये जाने के मोदी सरकार के फैसले को ‘संविधान की हत्या’ करार दिया है. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार द्वारा कश्मीर के लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है. कश्मीर में भय और आतंक का माहौल है. केंद्र सरकार कश्मीर को बर्बाद कर देना चाहती है. आपातकाल की स्थिति पैदा कर दी गयी है. साथ ही कहा कि अनुच्छेद 370 के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जायेगी. यह कश्मीरियों के साथ साजिश है. पार्टी नेता आलोक मेहता ने कहा है कि केंद्र सरकार का यह फैसला देशहित में नहीं है. देश में आरएसएस का हिडेन एजेंडा लागू हो रहा है. केंद्र सरकार का यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. पार्टी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर संवेदनशील राज्य है. इसे संविधान के जरिये कुछ रियायत हासिल है. इसका ध्यान रखा जाना चाहिए. प्रधानमंत्री को राजधर्म निभाना चाहिए. कश्मीर वासियों को ऐसा नहीं लगना चाहिए कि उनके साथ नाइंसाफी की जा रही है.