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पटना : प्रस्ताव भेजें, पीयू को केंद्रीय विवि का दर्जा दिलाने में मदद करूंगा : नायडू

पटना विवि की सेंट्रल लाइब्रेरी व पटना हाइस्कूल के शताब्दी समारोह आयोजित पटना : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने से संबंधित प्रस्ताव तैयार करके राज्य सरकार केंद्र को भेजे. इसके बाद मैं अपने स्तर से इसमें रुचि लेकर इसके लिए जो उचित होगा, वह करूंगा. […]

पटना विवि की सेंट्रल लाइब्रेरी व पटना हाइस्कूल के शताब्दी समारोह आयोजित
पटना : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा देने से संबंधित प्रस्ताव तैयार करके राज्य सरकार केंद्र को भेजे.
इसके बाद मैं अपने स्तर से इसमें रुचि लेकर इसके लिए जो उचित होगा, वह करूंगा. केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री को बुलाकर इस मसले पर बात करूंगा. इसके लिए क्या प्रावधान है, उस पर बात करके आगे की प्रक्रिया की जायेगी. संवैधानिक तौर पर देश के दूसरे प्रमुख होने के नाते मुझसे जो बन सकेगा, इसके लिए वह अवश्य करूंगा. उपराष्ट्रपति पटना विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी के 100 वर्ष पूरे होने के मौके पर साइंस कॉलेज मैदान में रविवार को आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे. समारोह में उन्होंने पटना विवि की लाइब्रेरी के 100 वर्ष पूरे होने पर डाक आवरण या लिफाफा व विवि की स्मारिका को किया जारी किया.
इसके अलावा प्राथमिक शिक्षा पर अंग्रेजी में लिखी ‘शिक्षा की कार्यप्रणाली’ पुस्तक का किया विमोचन और पटना विश्वविद्यालय के जनरल को भी किया जारी. वह पटना विश्वविद्यालय का दौरा करने वाले वीवी गिरि के बाद दूसरे उपराष्ट्रपति हैं. इसके अलावा उपराष्ट्रपति पटना हाइस्कूल के शताब्दी समारोह में भी शामिल हुए और कंकड़बाग में एक निजी अस्पताल का उद्घाटन किया.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि पटना विवि की केंद्रीय लाइब्रेरी के लिए राज्यपाल प्रस्ताव भेजे कि क्या-क्या बेहतर हो सकता है. इस मामले को लेकर केंद्रीय मंत्री से बात करेंगे. इसके लिए जो भी बेहतरीन होगा, वह करेंगे. उन्होंने वीसी राय, अनुग्रह नारायण सिंह समेत कई लोगों के नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि पटना विश्वविद्यालय से कई महान हस्तियाें ने ज्ञान अर्जन किया है.
इनमें केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी समेत अन्य भी शामिल हैं, जिनकी देश की राजनीति में उल्लेखनीय योगदान है. उनके संबोधन के दौरान विश्वविद्यालय के कई छात्रों ने हाथों में पोस्टर लेकर पटना यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलाने को लेकर नारेबाजी भी की.
उपउपराष्ट्रपति ने कहा कि बिहार के भोजन की खासतौर से प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां की मछली बेहतरीन होती है. उन्होंने कहा कि जिस समय इस विश्वविद्यालय में 1974 के दौरान छात्रों के आंदोलन की रूपरेखा बन रही थी, उसी दौरान वह भी आंध्र विश्वविद्यालय में बतौर छात्र नेता आंदोलन की तैयारी कर रहे थे.
इसमें वह जेल भी गये थे. उन्होंने पुस्तक और ज्ञानार्जन को आज के डिजिटल युग में भी प्रासंगिक बताते हुए कहा कि आज गूगल का जमाना है, लेकिन इसको चलाने के लिए भी गुरु चाहिए. वह गुरु पुस्तकें हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि लाइब्रेरी को ऑनलाइन नेटवर्क से जोड़ने से छात्रों को काफी फायदा हुआ है. लाइब्रेरी का विस्तार ग्रामीण स्तर तक होना चाहिए. उन्होंने आम लोगों से कहा कि चार-सी के आधार पर ही किसी नेता को परख कर वोट करें. इनमें कैरेक्टर (चरित्र), कैलिबर (क्षमता), कंडक्ट (बरताव) और कैपेसिटी (योग्यता) शामिल हैं.
लेकिन, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजकल लोग दूसरे चार-सी यानी कैश (मुद्रा), कास्ट (जाति), कॉम्यूनलिटी (संप्रदायिकता) और क्रिमिनलिटी (अपराध) पर ज्यादा ध्यान देते हैं. पहली वाली चार-सी पुस्तकों से ही मिलेंगी. उन्होंने युवाओं से कहा कि चार चीजों- मां, जन्मभूमि, मातृभाषा और मातृभूमि को कभी नहीं भूलना चाहिए. उन्होंने इसका विस्तार से कारण भी समझाया.
छात्रों को योग करने, पौष्टिक और बेहतर भोजन लेने सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि इंस्टैंट फूड या जंक फूड से बचें, क्योंकि इससे बीमारियां होती हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी योजना जनता की भागीदारी के बिना नहीं चल सकती है. स्वच्छता अभियान अकेले पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार की योजना नहीं है.
उन्होंने बिहार की कई स्तर पर प्रशंसा करते हुए कहा कि यह ज्ञान और अध्यात्म की भूमि है. चाणक्य, कौटिल्य जैसी महान विभूतियों की इस भूमि ने पूरे विश्व में सदैव ज्ञान और विद्या का प्रसार किया है. इतिहासकार फाहियान और ह्वेनसांग ने इसका उल्लेख किया है. प्राचीन नालंदा, विक्रमशिला विवि के भग्नावशेष इसकी कहानी बयां करते हैं.
पटना : 4C : कैरेक्टर, कैलिबर, कंडक्ट और कैपेसिटी के अाधार पर नेताओं को परखें
बिहारी होने पर गर्व होना चाहिए
पटना : उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने पटना हाइस्कूल के शताब्दी समारोह में कहा कि बिहार के लोगों को बिहारी होने पर गर्व होना चाहिए. बिहार के बिना भारत अधूरा है और भारत के बिना बिहार बेमानी (अस्तित्वहीन) है. भारतीयता आपकी ताकत है. बिहारी होना आत्मसम्मान की बात है. बिहार महात्मा बुद्ध और महावीर स्वामी जैसे महापुरुषों की धरती है.
उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि नयी पीढ़ी को मातृभूमि और मातृभाषा दोनों पर गर्व करना चाहिए. इसलिए बिहारियों को अपने घरों में भोजपुरी,मैथिली उसी तरह बोलनी चाहिए, जैसे दूसरे राज्यों के लोग अपने घरों में अपनी मातृभाषा बोलते हैं. भाषा और भावना के बीच गहरा नाता है.
उसी से सही अभिव्यक्ति संभव है. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा हमेशा मातृभाषा में होनी चाहिए. उसके बाद बेशक जरूरत के हिसाब से कोई भी भाषा सीखी जानी चाहिए. वेंकैया नायडू ने कहा कि हमें ब्रिटिश शिक्षा पद्धति से मुक्त होना है. इसके लिए राष्ट्रीय नयी शिक्षा नीति- 2019 लायी जा रही है. इसमें बिहार के प्रबुद्ध जनों को सुझाव देना चाहिए. उन्होंने कहा कि मूल्य आधारित, विज्ञानपरक और समावेशी शिक्षा की जरूरत है.
नयी शिक्षा नीति में इन बातों का समावेश किया गया है. अब तकनीकी डिग्री वालों से ज्यादा कौशल रखने वाले युवाओं की जरूरत है. इस दौरान उन्होंने ‘मम्मी-डैडी’ कल्चर से मुक्त होने का आग्रह किया. कॉन्वेंट शिक्षा पद्धति पर प्रहार करते हुए कहा कि देश के और राज्यों के मुख्य पदों पर जो भी लोग काबिज हैं, उनका कान्वेंट एजुकेशन से कोई लेना-देना नहीं है. दरअसल जो देश को समझेगा, देश उसे मान देगा. उन्होंने कहा कि बिहार की धरती पर आनंद कुमार जैसे शिक्षक पैदा हुए, जिनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है.
किसी स्कूल के लिए शताब्दी समारोह बड़ी उपलब्धि
उपराष्ट्रपति ने कहा, पटना हाइस्कूल के लिए शताब्दी समारोह मामूली बात नहीं है. स्वाधीनता आंदोलन में यहां का बच्चा शहीद हो चुका है. यहां आकर मैं गौरवशाली महसूस कर रहा हूं. इस स्कूल के बच्चे वर्तमान में सिक्किम के राज्यपाल और केंद्रीय गृह सचिव तक हैं. उनके ही आग्रह पर यहां आया हूं. इस अवसर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार,राज्यपाल फागू चौहान, उपमुख्यमंत्री, पूर्व वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी व अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे.

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