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आशुतोष चतुर्वेदी प्रधान संपादक, प्रभात खबर ashutosh.chaturvedi @prabhatkhabar.in जब किसी के सर्विस के मामले में धार्मिक आधार पर फैसला किया जाने लगे, तो निश्चित रूप से यह गहरी चिंता का विषय है. इसे एक महज एक अलग-थलग घटना मान कर नजरअंदाज किया जाना उचित नहीं है. इसमें छुपे संकेत देश के लिए ठीक नहीं हैं. […]

आशुतोष चतुर्वेदी
प्रधान संपादक, प्रभात खबर
ashutosh.chaturvedi
@prabhatkhabar.in
जब किसी के सर्विस के मामले में धार्मिक आधार पर फैसला किया जाने लगे, तो निश्चित रूप से यह गहरी चिंता का विषय है. इसे एक महज एक अलग-थलग घटना मान कर नजरअंदाज किया जाना उचित नहीं है.
इसमें छुपे संकेत देश के लिए ठीक नहीं हैं. पिछले दिनों ऑनलाइन खाना पहुंचाने वाली कंपनी जोमैटो एक विवाद में घिर गयी. मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले अमित शुक्ला ने जोमैटो से खाना मंगाया. जब उन्हें पता चला कि खाना पहुंचाने वाला शख्स मुसलमान है, तो उसने जोमैटो से हिंदू डिलिवरी ब्वॉय भेजने को कहा. जब कंपनी ने ऐसा करने से मना कर दिया, तो अमित शुक्ला ने खाना लेने से ही मना कर दिया.
इसके बाद उन्होंने ट्वीट किया कि उन्होंने जोमैटो का ऑर्डर रद्द कर दिया है. उन्होंने लिखा- मेरा खाना गैर हिंदू व्यक्ति के हाथों भेजा था और कहा कि वे इसे न तो बदल सकते हैं और न ही ऑर्डर रद्द करने पर पैसा वापस कर सकते हैं. मैंने कहा कि आप मुझे खाना लेने के लिए बाध्य नहीं कर सकते हैं. मुझे पैसा वापस नहीं चाहिए, बस ऑर्डर रद्द करो. जोमैटो ने इस ट्वीट का जवाब दिया कि खाने का कोई धर्म नहीं होता है. खाना खुद ही एक धर्म है.
जोमैटो के संस्थापक दीपेंद्र गोयल ने ट्वीट किया कि हमें भारत की विविधता और अपने उपभोक्ताओं पर गर्व है. अपने सिद्धांतों के कारण यदि हमारे कारोबार को कुछ नुकसान भी होता है, तो उन्हें उसका अफसोस नहीं होगा. इस मामले में जोमैटो के डिलिवरी ब्वॉय फैयाज का प्रतिक्रिया भी सामने आयी है. फैयाज ने इस पूरे घटनाक्रम के बाद कहा कि इस घटना से मुझे काफी दुख पहुंचा है, लेकिन मैं क्या कर सकता हूं. हम काफी गरीब लोग हैं और हमारे साथ ऐसा होता रहता है.
लेकिन, जोमैटो के जवाब के बाद कि खाने का कोई धर्म नहीं होता, खाना खुद एक धर्म है, यह विवाद और गहरा गया. कुछेक ग्राहकों ने सोशल मीडिया पर जमैटो के खिलाफ पोस्ट में लिखा कि जोमैटो हलाल मीट की मांग स्वीकार करता है. कई ग्राहकों ने ट्विटर पर स्क्रीनशॉट शेयर किये, जिनमें जोमैटो ने नॉन-हलाल मीट देने के लिए ग्राहकों से माफी मांगी थी.
इतना ही नहीं, जोमैटो के बहिष्कार की अपील भी सामने आयी. कंपनी ने हलाल मीट को लेकर सफाई दी है कि यह टैग एप की ओर से नहीं, बल्कि रेस्तरां की ओर से लगाया जाता है. जोमैटो ने कहा कि वह सभी धर्मों का सम्मान करता है और यही वजह है कि ग्राहकों की जरूरत के हिसाब से सभी संभावित विकल्प उनको उपलब्ध कराता है, ताकि वे अपनी पसंद का खाना चुन सकें. इसलिए इसमें जैन थाली, शाकाहारी खाना और नवरात्रि थाली जैसे टैग भी दिखते हैं.
अगर ग्राहक को एप से कोई गलत ऑर्डर मिलता है, तो हम उसकी जिम्मेदारी लेते हैं. जोमैटो के संस्थापक दीपेंद्र गोयल ने स्पष्ट किया है कि जोमैटो पर ऐसे लोगों की कोई जगह नहीं है, जो धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं. उन्होंने ऐसे ग्राहकों से एप छोड़ने को कहा, जो धर्म के आधार पर डिलिवरी बॉय चुनने का विकल्प चाहते हैं.
पिछले साल अप्रैल में एक शख्स ने मुस्लिम ड्राइवर होने के कारण टैक्सी की बुकिंग रद्द कर दी थी. हालांकि ये घटनाएं थोड़ी पुरानी हैं, लेकिन ये भी काफी चर्चा में रहीं थीं. पहली घटना में ईद मनाने के बाद पत्रकार असद अशरफ ने दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर स्थित अपने घर जाने के लिए ओला कैब ली थी. दिल्ली का जामिया नगर मुस्लिम बाहुल्य इलाका है. कैब में बैठने के थोड़ी देर बाद ही उन्हें लगा कि ड्राइवर सही दिशा में नहीं ले जा रहा है. असद अशरफ ने जब इस बारे में कैब के ड्राइवर से पूछा, तो उसने कहा कि वह वहां नहीं जायेगा.
असद का कहना है कि इसके बाद ड्राइवर उन्हें एक सुनसान जगह पर उतार कर भाग गया. घटना के एक दिन बाद कैब कंपनी ने माफी मांगी और ट्वीट कर कहा कि वह किसी भी तरह का भेदभाव को स्वीकार नहीं करती है और घटना में शामिल ड्राइवर को सेवा से हटा दिया गया है. दूसरी घटना एक टेलीकॉम कंपनी से संबंधित थी. एक लड़की ने कंपनी को ट्वीट किया- मैंने डीटीएच से जुड़ी एक शिकायत की, लेकिन सर्विस इंजीनियर ने मेरे साथ बुरा सलूक किया.
इस ट्वीट पर जवाब दिया गया- हम जल्द आपसे इस शिकायत के संदर्भ में बात करेंगे- शोएब. इसके जवाब में लड़की ने ट्वीट किया- प्रिय शोएब, आप मुस्लिम हैं और मेरा अनुरोध है कि मुझे एक हिंदू प्रतिनिधि उपलब्ध कराया जाए. इसके बाद टेलीकॉम कंपनी की ओर से एक हिंदू शख्स ने जवाब दिया. इस बातचीत का स्क्रीनशॉट वायरल हो गया और दोनों तरफ से इस पर प्रतिक्रियाएं आने लगीं. कुछ लोग लड़की के पक्ष में खड़े थे, तो कुछ उसके विरोध में थे.
इन घटनाओं की मिसाल मैंने इसलिए दी, क्योंकि ये घटनाएं हम सबके लिए चिंता का विषय हैं. घटनाएं बताती है कि अविश्वास का भाव कितने गहरे तक जा पहुंचा है. इन घटनाओं से सीधे तौर से हम और आप जैसे आम लोग जुड़े हैं. प्राथमिक रूप से इनसे कोई राजनेता नहीं जुड़ा है. आसपास की घटित हो रही इन घटनाओं से आभास होता कि अविश्वास की यह भावना समाज में कितने गहरे तक जा पहुंची है, जबकि असहिष्णुता भारतीय लोकतंत्र की मूल भावना नहीं है.
भारतीय लोकतंत्र धार्मिक समरसता और विविधता में एकता की मिसाल है. यहां अलग-अलग जाति, धर्म, संस्कृति को मानने वाले लोग वर्षों से बिना किसी भेदभाव के रहते आये हैं. भारत जैसी विविधिता दुनिया में कहीं देखने को नहीं मिलती. यह भारत की बहुत बड़ी पूंजी है और यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि इसे बचा कर रखें, लेकिन दुर्भाग्य यह है कि ऐसे मामले रह-रह कर हमारे सामने आ रहे हैं.
अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य पर अगर नजर डालें, तो हम पायेंगे कि पूरी दुनिया उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. हमारा यह सौभाग्य है कि अब तक हम इस सबसे प्रभावित नहीं हुए हैं, लेकिन यह बात भी हम सब लोगों को साफ होनी चाहिए कि आर्थिक हो या फिर सामाजिक, किसी भी तरह की प्रगति शांति के बिना हासिल करना नामुमकिन है.
इसलिए यह हम सबके हित में है कि अपने सामाजिक ताने-बाने को हर कीमत पर बनाये रखें. महात्मा गांधी का जन्मदिवस 2 अक्तूबर नजदीक आ रहा है और हम सब उनके जन्म के 150 वर्ष का उत्सव मनाने जा रहे हैं. महात्मा कहा करते थे कि हिंसा हिंदुस्तान के दुखों का इलाज नहीं है. हिंदुस्तान अगर प्रेम के सिद्धांत को अपने धर्म के एक सक्रिय अंश के रूप में स्वीकार करे और उसे अपनी राजनीति में शामिल करे, तो स्वराज स्वर्ग से हिंदुस्तान की धरती पर उतर आयेगा.

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