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पटना : मरीजों के भोजन पर नहीं होगा कोई समझौता, अब खाने का ठेका 90 रुपये से कम पर नहीं

पटना : सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के भोजन का टेंडर 90 रुपये प्रति मरीज से कम नहीं होगा. इस राशि में मरीजों को नाश्ता व भोजन उपलब्ध कराना है. सरकार द्वारा हर भर्ती मरीज को 100 रुपये प्रतिदिन का भोजन उपलब्ध कराना है. मरीज के भोजन पर ठेकेदारों की नजर है. ठेकेदार सरकार की […]

पटना : सरकारी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के भोजन का टेंडर 90 रुपये प्रति मरीज से कम नहीं होगा. इस राशि में मरीजों को नाश्ता व भोजन उपलब्ध कराना है. सरकार द्वारा हर भर्ती मरीज को 100 रुपये प्रतिदिन का भोजन उपलब्ध कराना है. मरीज के भोजन पर ठेकेदारों की नजर है.
ठेकेदार सरकार की निर्धारित दर से 40 फीसदी कम दर पर भोजन उपलब्ध कराने की जुगाड़ में रहते हैं. आउटसोर्सिंग एजेंसी के टेंडर को लेकर सिविल सर्जनों ने स्वास्थ्य विभाग को अवगत कराया है. सिविल सर्जनों का कहना है कि सरकार द्वारा दी जा रही रही राशि से कम राशि में मरीजों को भोजन देने से गुणवत्ता प्रभावित होगी.
60-70 रुपये का ही डाल देते हैं टेंडर
राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों के पथ्य की
व्यवस्था खुद उसके कैंटीन द्वारा उपलब्ध करायी जाती है. इसमें हर मरीज को 100 रुपये के भोजन उपलब्ध कराने के लिए भोजन सामग्री का टेंडर किया जाता है. सामग्री खरीद के बाद तैयार नाश्ता-खाना मरीजों को दिया जाता है.
सबसे अधिक परेशानी जिलों में आउटसोर्सिंग के माध्यम से भोजन उपलब्ध कराने को लेकर हो रही है. अस्पतालों में कैंटीन नहीं रहने से राज्य के 36 जिला अस्पताल और 534 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा 55 अनुमंडलीय अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों को आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम भोजन उपलब्ध कराया जाता है. राज्य के इन छोटे अस्पतालों में आउटसोर्सिंग एजेंसी द्वारा 100 रुपये के भोजन की दर 60-70 रुपये का टेंडर
डाल देते हैं. न्यूनतम दर रहने के कारण उस एजेंसी को भोजन उपलब्ध कराने का दबाव रहता है. सिविल सर्जनों द्वारा इस समस्या को स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में ध्यान आकृष्ट कराया गया. विभाग द्वारा इस समस्या के निदान का निर्देश दिया गया है.
एक समान टेंडर होने पर अन्य मानकों की जांच
यह निर्धारित किया गया है कि अब किसी भी आउटसोर्सिंग एजेंसी को न्यूनतम 90 रुपये प्रति मरीज की दर से कम का टेंडर स्वीकार नहीं किया जायेगा.
इसके अनुपालन की जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग के उप सचिव, सभी सिविल सर्जनों, अधीक्षकों और उपाधीक्षकों को दिया गया है. अब किसी भी एजेंसी को 90 रुपये से कम दर पर टेंडर स्वीकार नहीं किया जायेगा. एक समान टेंडर होने पर स्थानीय सिविल सर्जन अन्य मानकों पर उसकी जांच कर, एजेंसी का चयन करेंगे.

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