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राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2019 को राज्यसभा से मंजूरी

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2019 को आज राज्‍यसभा से मंजूरी मिल गयी है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने द्वारा बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश किया. लेकिन विधेयक के प्रावधानों से राज्यों के अधिकार कम होने और इन प्रावधानों के, केन्द्र की ओर उन्मुख होने का आरोप लगाते हुये विपक्षी […]

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग विधेयक 2019 को आज राज्‍यसभा से मंजूरी मिल गयी है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने द्वारा बृहस्पतिवार को राज्यसभा में पेश किया.

लेकिन विधेयक के प्रावधानों से राज्यों के अधिकार कम होने और इन प्रावधानों के, केन्द्र की ओर उन्मुख होने का आरोप लगाते हुये विपक्षी दलों ने इस विधेयक को स्थायी समिति के समक्ष विचारार्थ भेजने की मांग पर अड़े रहे.

विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुये कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ने स्थायी समिति के 56 में से जिन सात सुझावों को आंशिक रूप से स्वीकार किया है, उससे भारतीय चिकित्सा परिषद पर नकारात्मक असर पड़ेगा. रमेश ने दलील दी कि स्वास्थ्य राज्य सूची का विषय है जबकि चिकित्सा शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है.

प्रस्तावित विधेयक में एनएमसी के निदेशक मंडल में राज्यों का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का मुद्दा उठाते हुये उन्होंने कहा कि इसके गठन में खामी है. उन्होंने कहा कि बोर्ड में राज्यों के असमान प्रतिनिधित्व के प्रावधानों की वजह से उड़ीसा जैसे छोटे राज्यों के प्रतिनिधियों को इसमें शामिल होने का अवसर 12 साल बाद मिल सकेगा.

उन्होंने कहा कि 25 सदस्यीय बोर्ड में 14 केन्द्र के, छह सदस्य राज्यों के और पांच नामित सदस्यों का प्रावधान है. इसे बदल कर उन्होंने राज्यों के प्रतिनिधियों की संख्या 15 करने का सुझाव दिया.

रमेश ने सरकारी और निजी मेडिकल कालेजों में सीटों की संख्या और शुल्क संबंधी प्रावधानों को भी दोषपूर्ण बताते हुये इन्हें तार्किक बनाने की मांग की. उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में पूरे देश में स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम (एमबीबीएस) की 76 हजार सीट हैं. इनमें 40 हजार सरकारी मेडिकल कालेज में और 36 हजार निजी मेडिकल कालेज में हैं.

इस विधेयक में सरकारी और निजी मेडिकल कालेजों में 50 प्रतिशत सीटें निर्धारित करने की सीमा को बदल कर उन्होंने सरकारी कालेजों में सीटों की संख्या 75 प्रतिशत किये जाने का सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि यह विधेयक चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में निजीकरण के दरवाजे खोलेगा.

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