नयी दिल्ली: युवाओं में बड़े सामाजिक बदलाव के प्रति जागरुकता लाने और सामाजिक कार्यों के प्रति नेतृत्वक्षमता विकसित करने के मकसद से गांधी फेलोशिप की शुरुआत की गयी थी. इसका उद्देश्य युवाओं को समाज में सकारात्मक बदलाव की प्रक्रिया का हिस्सा बनाना है. इसके तहत युवकों को ग्रामीण इलाके के स्कूलों में शिक्षकों और प्रधानाध्यापकों के साथ काम करने और शिक्षण प्रक्रिया में उनकी सहायता करने की जिम्मेदारी दी जाती है.
साल 2008 में राजस्थान से हुई थी शुरुआत
गांधी फेलोशिप की शुरुआत साल 2008 में राजस्थान के झूंझुनू जिले में 11 फेलो के पहले बैच के साथ शुरू हुआ था. साल 2009 में इस कार्यक्रम का विस्तार अहमदाबाद में 23 फेलो के बैच के साथ हुआ. साल 2010 में इसका विस्तार 35 फेलो के तीसरे बैच के साथ मुंबई तक हो गया. साल 2012 में 134 छात्र इस फेलोशिप कार्यक्रम का हिस्सा बने. साल 2016 में इसमें स्टूडेंट्स की संख्या बढ़कर 200 हो गयी. वहीं साल 2017 में गांधी फेलोशिप कार्यक्रम में 747 स्टूडेंट्स शामिल हो गए.
इस फेलोशिप कार्यक्रम के तहत वैसे युवाओं की तलाश की जाती है जिनके पास सामाजिक बदलाव के प्रति विश्लेषणात्मक सोच हो. मेधावी हो और शिक्षा सहित बदलाव की अन्य प्रक्रियाओं में भागीदार बनने और नेतृत्व करने की क्षमता हो. गांधी फेलोशिप कार्यक्रम के लिए स्नातक या मास्टर्स डिग्री प्राप्त युवा आवेदन कर सकते हैं. लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद योग्य उम्मीदवारों का चयन किया जाता है.
गांधी फेलोशिप में चयनित स्टूडेंट्स को क्या मिलता है
गांधी फेलोशिप के लिए चयनित उम्मीदवारों को प्रतिमाह 14000 रुपये का स्टाइपेंड दिया जाता है. इनमें से सात हजार रुपये नगद दिए जाते हैं और बाकि का सात हजार रुपया उनके खाते में जमा करा दिया जाता है जो दो साल पूरा होने के बाद मिलता है. इसके अलावा स्टूडेंट्स को प्रतिमाह 600 रुपये फोन बिल के तौर पर दिए जाते हैं साथ ही निशुल्क रहने-खाने की सुविधा मिलती है.
गांधी फेलोशिप के तहत ये कार्यक्रम चलाए जाते हैं
स्कूल लीडरशिप डेवलेपमेंट प्रोग्राम (SLDP): इस कार्यक्रम के अंतर्गत फेलो में पर्सनल लीडरशिप, इंस्ट्रक्शनल लीडरशिप और इंस्टीट्यूशनल लीडरशिप को विकसित किया जाता है. कार्यक्रम राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा और उत्तराखंड के 12 जिलों के 1300 स्कूलों में चलाया जा रहा है. इसके तहत प्रत्येक फेलो को पांच स्कूल दिए जाते हैं.
डिस्ट्रिक ट्रांसफॉरमेशन प्रोग्राम (DTP): हम जानते हैं कि प्रत्येक जिला स्वाभाविक तौर पर ब्लॉक और कलस्टर्स में बंटा हुआ है. इस कार्यक्रम के तहत फेलो स्टूडेंट्स सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के साथ मिलकर शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने, ड्रॉपआउट आंकड़ों को रोकने तथा अभिभावकों को शिक्षा के प्रति जागरुक करने की दिशा में काम करते हैं. फेलो केवल यही नहीं करते बल्कि उन्हें वहां मौजूद सामाजिक सुधार या शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों के साथ सामंजस्य बिठाकर प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में सुधार की दिशा में काम करना होता है.
स्टेट ट्रांसफॉर्मेशन प्रोग्राम (STP): इसका उद्देश्य राज्यभर के तमाम जिलों के सरकारी स्कूलों तथा शिक्षा अधिकारियों के साथ मिलकर काम करना है. इसके तहत सरकारी प्राथमिक स्कूलों में पढ़ाई को आनंद और गर्व का विषय बनाने के लिए प्रयास किया जाता है. फिलहाल ये कार्यक्रम 10 राज्यों में चलाया जा रहा है. गांधी फेलोशिप के बारे में और अधिक जानकारी के लिए इसकी ऑफिशियल वेबसाइट http://www.gandhifellowship.org को विजिट करें.