रांची/चान्हो : झारखंड में विपक्षी दलों के नेताओं का नया ठिकाना बनने वाला है पतरातू गांव. रांची जिला के चान्हो में स्थित इस गांव में पिछले दिनों एक किसान का शव मनरेगा योजना के तहत बने उसके अपने कुआं से बरामद हुआ था. अधिकारियों ने कहा कि नशे में वह कुआं में गिर गया, जबकि परिजनों का कहना था कि मनरेगा योजना के करीब डेढ़ लाख रुपये नहीं मिलने की वजह से उसने कुआं में कूदकर जान दे दी. इसके बाद से ही विरोधी दलों के नेताओं ने राज्य सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी सोमवार को प्रतापपुर गांव पहुंचे और दिवंगत किसान के परिजनों से मिले.
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झाविमो सुप्रीमो बाबूलाल मरांडी ने परिजनों को ढाढस बंधाया और आश्वासन दिया कि उनके परिवार को न्याय दिलाने के लिए वह सरकार पर दबाव बनायेंगे. मरांडी के साथ उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और झारखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की भी थे. इससे एक दिन पहले रविवार को मुख्य विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता हेमंत सोरेन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि किसान की आत्महत्या रघुवर दास सरकार की नाकामी का प्रमाण है.
श्री सोरेन ने कहा था कि राजधानी रांची के निकट चान्हो के पतरातू गांव में किसान लखन महतो ने मनरेगा के माध्यम से कुआं का निर्माण करवाया था. पूरा भुगतान नहीं मिलने की वजह से उसने आत्महत्या कर ली. भ्रष्टाचार पर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर तंज कसते हुए नेता प्रतिपक्ष श्री सोरेन ने कहा था कि सरकार कमीशन के चक्कर में किसानों की जान ले रही है. उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार के उदासीन रवैये के कारण झारखंड में किसानों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ रही है. दूसरी तरफ, सरकार कमल क्लब बनवाने में व्यस्त है.
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श्री सोरेन ने कहा कि सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए जिस तरह भूख से हुई मौत को बीमारी से हुई मौत बताती रही है, उसी तरह किसान लखन महतो की आत्महत्या को नशे के कारण हुई मौत बता रही है. झामुमो सुप्रीमो ने लखन महतो की मौत की उच्चस्तरीय जांच एवं मनरेगा राशि भुगतान में हुई देर के लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों को चिह्नित कर उन्हें बर्खास्त करने की मांग भी की.
उधर, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विरोधी दलों पर किसान की मौत का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है. पार्टी के प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन सहित तमाम विपक्षी दलों के नेताओं पर को इस मुद्दे पर आड़े हाथ लिया. कहा की लखन महतो की मौत को आत्महत्या का रूप देकर और कर्ज से जोड़कर विपक्ष जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहा है. प्रतुल ने कहा की 27 जुलाई, 2019 को लखन महतो के पुत्र सूरज कुमार ने चान्हो थाना में केस (केस नंबर 119/19 चान्हो) दर्ज कराया था, जिसमें उन्होंने स्पष्ट लिखा था कि उनके पिता की मौत कुआं में गिरने से हुई है. इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है.
श्री शाहदेव ने कहा कि जिस कुआं को लेकर तरह-तरह के आरोप लग रहे हैं, उसकी कुल लागत 3.54 लाख रुपये थी. इसमें लेबर चार्ज एवं सामग्री (मटेरियल) के रूप में 2.01 लाख रुपये का भुगतान लखन महतो को किया जा चुका था. शेष राशि सीधे सप्लायर को दी जानी थी और उससे लखन महतो का कोई लेना-देना नहीं था. महतो परिवार के पास अपना पक्का मकान है. करेले और अदरक की अच्छी खेती भी है, जिससे परिवार को ठीक-ठाक आमदनी होती है. उनके घर में पर्याप्त मात्रा में अनाज भी मिला.
इसलिए विपक्ष के द्वारा अनर्गल बयानबाजी करना अशोभनीय है. श्री शाहदेव ने कहा कि इससे पहले भी विपक्ष ने भूख और कर्ज की वजह से मौत के अनेक आरोप लगाये, जो बाद में झूठे निकले. इस बार भी विपक्षी दल बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं. सरकार की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से हताशा और निराशा में विरोधी दल ऐसे आरोप लगा रहे हैं.