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मॉब लिंचिंग पर PM मोदी को 49 हस्तियों ने लिखा पत्र, 61 लोगों ने किया विरोध

मुंबई : देश में अल्पसंख्यकों की पीट-पीटकर हत्या किये जाने और घृणा अपराधों के बढ़ते मामलों को लेकर 49 हस्तियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र के जवाब में देश की 61 हस्तियों ने चुनिंदा बातों पर आक्रोश जताने और झूठी कहानियां गढ़ने का विरोध किया. भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी, […]

मुंबई : देश में अल्पसंख्यकों की पीट-पीटकर हत्या किये जाने और घृणा अपराधों के बढ़ते मामलों को लेकर 49 हस्तियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र के जवाब में देश की 61 हस्तियों ने चुनिंदा बातों पर आक्रोश जताने और झूठी कहानियां गढ़ने का विरोध किया.

भारतीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के प्रमुख प्रसून जोशी, बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत, फिल्मकार मधुर भंडारकर, विवेक अग्निहोत्री, शास्त्रीय नृत्यांगना सोनल मानसिंह समेत जानी मानी 61 हस्तियों ने एक बयान में कहा है कि 23 जुलाई को कुछ स्वयंभू संरक्षकों और विवेकपूर्ण लोगों ने चुनिंदा बातों पर चिंता व्यक्त की और उन्होंने स्पष्ट रूप से राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण रवैया और मकसद दिखाया. बयान में कहा, उसका (23 जुलाई को लिखे पत्र का) मकसद भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करना और भारतीयता का मूल समझे जाने वाले सकारात्मक राष्ट्रवाद एवं मानवतावाद की नींव पर शासन करने के प्रधानमंत्री के अथक प्रयास को नकारात्मक रूप से पेश करना है.

उसने कहा कि उसमें कुछ चुनिंदा बातों पर आक्रोश व्यक्त किया गया है जो, एक राष्ट्र और लोगों के रूप में हमारी सामूहिक कार्यप्रणाली के लोकतांत्रिक स्वभाव एवं मानदंडों को बदनाम करने के इरादे से एक झूठे किस्से का प्रचार करने का प्रयास था. गौरतलब है कि 23 जुलाई को फिल्मकार मणि रत्नम, अनुराग कश्यप, श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन, गायिका शुभा मुद्गल, इतिहासकार रामचंद्र गुहा सहित 49 हस्तियों ने पत्र लिखकर धर्म के आधार पर घृणा अपराधों को लेकर चिंता व्यक्त की थी. इसमें ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को लेकर हो रही घटनाओं का भी जिक्र किया गया था. 61 लोगों के हस्ताक्षर वाले शुक्रवार को जारी बयान में 23 जुलाई को पत्र लिखने वालों से सवाल किया गया कि वे तब खामोश क्यों थे, जब हाशिये पर खिसक गये लोग और जनजातीय लोग नक्सलियों के शिकार हुए.

बयान में कहा गया, वे तब खामोश रहे जब अलगाववादियों ने कश्मीर में स्कूलों को आग के हवाले करने का फरमान जारी किया, वे तब खामोश रहे, जब भारत के टुकड़े-टुकड़े करने की मांग की गयी, वे तब खामोश रहे जब आतंकवादियों एवं आतंकवादी समूहों के नारे देश के कुछ बड़े विश्वविद्यालयों में गूंजे थे. इन 61 लोगों में शांतिनिकेतन में विश्व भारती के देवाशीष भट्टाचार्य, अवध विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज दीक्षित, डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के अनिर्बान गांगुली और साथ ही सांसद स्वप्न दासगुप्ता और कलाकार बिस्वजीत चटर्जी जैसी तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हैं.

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