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80 किमी की रफ्तार से हुगली नदी के नीचे से गुजरेगी मेट्रो, जापान के सहयोग से बन रहा है टनेल

कोलकाता : भारत में नदी के नीचे चलनेवाली पहली मेट्रो रेल लाइन का काम लगभग पूरा हो गया है. भारत में पहली बार नदी के नीचे ट्रांसपोर्ट टनेल बनायी गयी है. यहां अप और डाउन लाइन पर दो सुरंगें बनायी गयी हैं. सुरंग को पानी के रिसाव से बचाने के लिए तीन स्तर के सुरक्षा […]

कोलकाता : भारत में नदी के नीचे चलनेवाली पहली मेट्रो रेल लाइन का काम लगभग पूरा हो गया है. भारत में पहली बार नदी के नीचे ट्रांसपोर्ट टनेल बनायी गयी है. यहां अप और डाउन लाइन पर दो सुरंगें बनायी गयी हैं. सुरंग को पानी के रिसाव से बचाने के लिए तीन स्तर के सुरक्षा कवच बनाये गये हैं.

इस सुरंग में 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से मेट्रो ट्रेन चलेेेेगी. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को ट्वीट किया कि भारतीय रेल के अंतर्गत कार्य करनेवाली कोलकाता मेट्रो ने देश की पहली ऐसी ट्रांसपोर्ट टनेल बनायी है, जो नदी के अंदर से होकर गुजरेगी. यह टनेल विश्व की सर्वोत्कृष्ट तकनीक से बनायी गयी है. शीघ्र ही इस पर यात्रियों के लिए रेल यातायात शुरू किया जायेगा.

उल्लेखनीय है कि इस प्रोजेक्ट पर साल 2009 से काम चल रहा है. उम्मीद की जा रही है कि 2021 में यह पूरी लाइन शुरू हो जायेगी. इसी लाइन पर भारतीय रेल के हावड़ा और सियालदह स्टेशन मौजूद होंगे. रेलवे को उम्मीद है कि साल 2035 तक रोजाना करीब 10 लाख लोग कोलकाता मेट्रो की इस लाइन का इस्तेमाल कर सकेंगे.
उल्लेखनीय है कि कोलकाता मेट्रो की इस नयी लाइन के फेज-1 पर जल्द ही मेट्रो सेवा शुरू होने जा रही है. सेक्टर-5 से साॅल्टलेक स्टेडियम यानी करीब पांच किलोमीटर लंबी इस मेट्रो लाइन पर कमिश्नर रेलवे सेफ्टी की जांच मंगलवार को पूरी हो चुकी है. उम्मीद है कि जल्द ही इसे मंजूरी मिल जायेगी.
उसके बाद इस सेक्शन पर मेट्रो की सेवाएं आमलोगों के लिए शुरू की जायेंगी. हुगली टनेल पूरी होने से नदी के पश्चिमी ओर स्थित हावड़ा स्टेशन पूर्व में स्थित महाकरण, सियालदह, फूलबागान, साॅल्टलेक स्टेडियम, बंगाल केमिकल्स, सिटी सेंटर, सेंट्रल पार्क, करुणामयी और साॅल्टलेक सेक्टर-5 स्टेशनों से जुड़े जायेंगे. इन स्टेशनों के बीच रोजाना हजारों कोलकाता वासियों का आवागमन होता है. हावड़ा और सियालदह स्टेशनों के बीच मेट्रो संपर्क स्थापित होने से उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और नदिया जिले के हजारों यात्रियों का दैनिक सफर आसान हो जायेगा.
जापान के सहयोग से बन रहा है टनेल
कोलकाता मेट्रो रेल के दूसरे चरण की परियोजना जापान के सहयोग से पूरी की जा रही है. इस पर आनेवाली लगभग 5000 करोड़ रुपये की लागत जापान बैंक आॅफ इंटरनेशनल को-आॅपरेशन (जेबीआइसी) के वित्तीय सहयोग से पूरी की जा रही है. दूसरा चरण लगभग 16.34 किलोमीटर लंबा है, जिसमें कुल 12 स्टेशनों का निर्माण होगा. इनमें आधे जमीन के भीतर तथा आधे खंभों पर (एलीवेटेड) होंगे. हुगली सुरंग के साथ ही कोलकाता का नाम लंदन, न्यूयार्क, सैन फ्रांसिस्को, सिंगापुर और हांगकांग जैसे विश्व के उन विकसित शहरों की श्रेणी में शामिल हो गया है, जहां मेट्रो की लाइन नदी के नीचे से निकाली गयी है.
सुरक्षा के इंतजाम: टनेल के भीतर दोनों ओर राहत, बचाव कार्यों तथा यात्रियों की आपातकालीन निकासी के लिए रास्ते होंगे. इसके अलावा वेंटिलेशन व अग्नि सुरक्षा के सारे इंतजाम भी किये जायेंगे. इसके लिए हावड़ा व महाकरण स्टेशनों के बीच की वेंटिलेशन शॉफ्ट के अलावा स्ट्रैंड रोड पर अतिरिक्त वेंटिलेशन साफ्ट बनायी जा रही है.
वहीं, सुंरग के पानी का रिसाव रोकने के लिए दुनिया की सबसे बेहतरीन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. इसे पानी के रिसाव से बचाने के लिए तीन स्तर के सुरक्षा कवच बनाये गये हैं. इस सुरंग में 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से मेट्रो ट्रेन दौड़ पायेगी.
हुगली नदी के नीचे दोहरी सुरंग
देश की पहली अंडरवाटर टनेल कोलकाता में हुगली नदी के नीचे बन रही है. कोलकाता मेट्रो के दूसरे चरण के तहत इस सुरंग का निर्माण जापान के सहयोग से भारतीय रेल द्वारा किया जा रहा है. इसके पूरा होने पर कोलकाता का नाम विश्व के उन चुनिंदा महानगरों में शामिल हो जायेगा, जहां मेट्रो की लाइन नदी के नीचे से गुजरी है. रेलवे बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, हुगली नदी के नीचे बनायी जा रही दोहरी सुरंग की लंबाई 520 मीटर है. प्रत्येक टनेल का भीतरी व्यास साढ़े 5.55 मीटर तथा दीवार की मोटाई 275 मिलीमीटर है. ये नदी की तलहटी से 13 मीटर नीचे है. एक सुरंग का काम 21 अप्रैल, 2016 को तथा दूसरी का 12 जुलाई को हावड़ा मैदान से प्रारंभ हुआ था. लेकिन विभिन्न अड़चनों के कारण इन्हें नदी तक पहुंचने में वक्त लग गया.

16 किमी लंबा है इस्ट-वेस्ट मेट्रो रूट

कोलकाता मेट्रो का इस्ट-वेस्ट प्रोजेक्ट करीब 16 किलोमीटर लंबा है, जो साॅल्टलेक स्टेडियम से हावड़ा मैदान तक फैला है. साॅल्टलेक सेक्टर-5 से सॉल्टलेक स्टेडियम​ के बीच इस लाइन पर करुणामयी, सेंट्रल पार्क, सिटी सेंटर और बंगाल केमिकल मेट्रो स्टेशन मौजूद हैं. कोलकाता मेट्रो भारतीय रेल के अधीन आता है और रेलवे इस पूरे प्रोजक्ट पर 8572 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. इस सुरंग को बनाने में रूस और थाइलैंड के विशेषज्ञों से सलाह ली गयी है.

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