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देश में सबसे ज्यादा गरीब झारखंड में, 37 फीसदी लोग BPL सूची में

मिथिलेश झा रांची : गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) सबसे ज्यादा लोग झारखंड (Jharkhand) में हैं. यहां 37 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line) हैं. बिहार (Bihar) में 33.7 फीसदी बीपीएल (BPL) परिवार हैं, तो पश्चिम बंगाल (West Bengal) में 20 फीसदी. बंगाल (Bengal) में राष्ट्रीय औसत से […]

मिथिलेश झा

रांची : गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) सबसे ज्यादा लोग झारखंड (Jharkhand) में हैं. यहां 37 फीसदी लोग गरीबी रेखा से नीचे (Below Poverty Line) हैं. बिहार (Bihar) में 33.7 फीसदी बीपीएल (BPL) परिवार हैं, तो पश्चिम बंगाल (West Bengal) में 20 फीसदी. बंगाल (Bengal) में राष्ट्रीय औसत से कम गरीब हैं. कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) की एक रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है. गरीबी रेखा की सीमा तय करने के लिए डॉ सुरेश डी तेंडुलकर (Dr Suresh D Tendulkar) की अध्यक्षता में बने एक्सपर्ट ग्रुप की अनुशंसा को आधार मानकर मंत्रालय ने बीपीएल परिवारों (BPL Families) का आंकड़ा जारी किया है.

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मंत्रालय की रिपोर्ट ‘एग्रिकल्चरल स्टैटिस्टिक्स एट ए ग्लांस 2017 (Agricultural Statistics at a Glance 2017) के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2004-05 में झारखंड में 45.3 फीसदी परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे थे. इसमें 51.6 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र (Rural Area) में और 23.8 फीसदी शहरी क्षेत्र (Urban Area) में रह रही थी. वर्ष 2009-10 में बीपीएल परिवारों (BPL Families) की संख्या घटकर 39.1 फीसदी रह गयी. इनमें 41.6 फीसदी ग्रामीण और 31.1 फीसदी शहरी आबादी थी.

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वर्ष 2004-05 और 2009-10 के दौरान झारखंड के गांवों में रहने वाले गरीबों की आबादी 10 फीसदी घटी जबकि शहरों में गरीबों की संख्या 7.3 फीसदी बढ़ गयी. वर्ष 2009-10 में शहरों में 31.1 फीसदी बीपीएल परिवार हो गये, जबकि गांवों मेें 41.6 फीसदी गरीब रह गये. वर्ष 2009-10 में झारखंड में शहरी और ग्रामीण आबादी को मिलाकर कुल 39.1 फीसदी बीपीएल परिवार रह गये.

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वर्ष 2009-10 और 2011-12 के दौरान बीपीएल परिवारों की संख्या में 2.1 फीसदी की कमी दर्ज की गयी. इनमें 40.8 फीसदी ग्रामीण और 24.8 फीसदी शहरी आबादी थी. आंकड़ों पर गौर करें, तो इस दौरान झारखंड ने गरीबी खत्म करने की दिशा में तेजी से काम किया. इन तीन सालों में झारखंड में 6.3 फीसदी परिवार गरीबी रेखा से बाहर आ गये.

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