नयी दिल्ली : टॉप कंज्यूमर फोरम राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने कहा कि यदि ग्राहक बैंक में चेक जमा कराता है और वह खो जाता है, तो फिर चाहे वह बाउंस चेक ही क्यों न हो, ग्राहक को उसकी क्षतिपूर्ति देना बैंक की जिम्मेदारी है. आयोग ने भुगतान से नकारे गये चेक के खो जाने पर बैंक ऑफ बड़ौदा को ग्राहक को तीन लाख रुपये से ज्यादा का भुगतान करने का निर्देश दिया है.
इसे भी देखें : चेक बाउंस होने पर 20 फीसदी पैसा अदालत में कराना होगा जमा, जानिये…
आयोग ने माना कि बैंक ने न केवल यह चेक खो दिया, बल्कि शिकायतकर्ता (चितरोडिया बाबूजी दीवानजी) को चेक रिटर्न मेमो भी नहीं दिया, जबकि वह इस मामले को लेकर लगातार बैंक के संपर्क में थे. इस वजह से दिवानजी को 3.6 लाख रुपये का नुकसान हुआ. एनसीडीआरसी ने कहा कि दीवानजी बाउंस चेक की वापसी और चेक रिटर्न मेमो को लेकर इस मामले में लगातार बैंक के संपर्क में थे. दुर्भाग्य से बैंक से चेक खोया है. शिकायतकर्ता को न तो बाउंस चेक मिला और न ही चेक में अंकित 3,60,000 रुपये की राशि.
आयोग की पीठासीन सदस्य न्यायमूर्ति दीपा शर्मा और सदस्य सी विश्वनाथ ने गुजरात राज्य उपभोक्ता आयोग के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि चेक याचिकाकर्ता बैंक से खोया है, तो नुकसान की भरपाई करने की जिम्मेदारी भी बैंक की है. राज्य आयोग ने 20 जनवरी 2016 को दीवानजी की अपील को स्वीकार करते हुए बैंक को 3,60,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया था और जिला फोरम के आदेश को रद्द कर दिया था.
दीवानजी ने 11 सितंबर 2010 को बैंक की विसनगर की मार्किट यार्ड शाखा में 3,60,000 रुपये का चेक जमा किया था. यह चेक उन्हें किसी और से मिला था. चेक बाउंस हो गया और बैंक ने भुगतान करने से मना कर दिया, लेकिन यह चेक शिकायतकर्ता तक वापस नहीं पहुंचा. शिकायतकर्ता न तो बैंक से बांउस चेक वापस मिला और न ही राशि मिल पायी.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.