नयी दिल्ली : धनबाद के केंद्रीय अस्पताल में इलाजरत वरिष्ठ नेता व जनवादी कामरेड एके राय के निधन पर राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने शोक जताया है. अपने शोक संदेश में हरिवंश ने कहा है कि कामरेड श्री राय का जाना सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि देश की वैचारिक राजनीति के लिए नुकसान है.
झारखंड आंदोलन के मशहूर नेता रहे श्री राय धनबाद से तीन बार लोकसभा सांसद रहें, झारखंड मुक्ति मोर्चा के गठन में शिबू सोरेन और स्व. विनोद बिहारी महतो के साथ उनकी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, इमरजेंसी में वे जेल में रहे यह सब तो उनकी एक पहचान है. पर, इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद राजनीति में आये श्री राय ने निजी जीवन मूल्यों, अपनी सृजनशीलता और जनपक्षधरिता से भारतीय राजनीति में अपनी अलग जगह बनायी.
वे वैचारिक रूप से कम्युनिस्ट नेता थे. समतावादी विचारों और राजनीतिक धारा के प्रबल समर्थक. श्री राय का व्यक्तित्व ऐसा था कि वैचारिक या राजनीतिक असहमति रखनवाले भी न सिर्फ उनका आदर करते रहे बल्कि उनसे सीखते भी रहे. अपने विचारों के प्रति वे इतने दृढ़ और संकल्पवान थे कि कई बार अकेले पड़ने पर भी बिना किसी के साथ की परवाह किये वे अपनी बात पर अड़े रहते थे.
वह थे तो साम्यवादी पर उनका निजी जीवन गांधीवादी रहा. न अपनी संपत्ति, न कोई निजी संग्रह. श्री हरिवंश ने कहा कि विचारों और सरोकारों का मेल करवाकर राजनीति को कैसे उसके असल उद्देश्य या मकसद की ओर ले जाया जाता है, कामरेड राय ने आजीवन वही किया. उन्होंने मजदूरों के हक व कल्याण के लिए ऐतिहासिक लड़ाई लड़ी. वह हमेशा प्रेरणा के स्रोत बने रहेंगे.