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बिचड़े सूखने की स्थिति में, खेतों में पड़ी दरार

इटकी : क्षेत्र में इस वर्ष बारिश रूठ सी गयी है. 20 जुलाई तक औसतन आधी बारिश भी नहीं हुई है. जिससे धान रोपने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है. किसान खेतों में तैयार बिचड़ों को सिर्फ देखने को मजबूर हैं. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष करीब 1300 हेक्टेयर में […]

इटकी : क्षेत्र में इस वर्ष बारिश रूठ सी गयी है. 20 जुलाई तक औसतन आधी बारिश भी नहीं हुई है. जिससे धान रोपने का कार्य शुरू नहीं हो पाया है.
किसान खेतों में तैयार बिचड़ों को सिर्फ देखने को मजबूर हैं. कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष करीब 1300 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य है. इसके लिए किसानों ने बिचड़ा तैयार कर लिया है, लेकिन बारिश धोखा दे रही है. विभाग से प्राप्त आंकड़े के अनुसार 20 जुलाई तक मात्र 200.9 मिमी बारिश हुई है. जबकि धान रोपाई के लिए कम से कम 360 मिमी बारिश की आवश्यकता है.
बारिश के अभाव में बिचड़े सूखने की स्थिति में हैं. वहीं खेतों में दरार पड़ गयी है. ऐसी स्थिति में कृषक मित्र नंदलाल महतो का मानना है कि इस वर्ष धान की खेती होना संभव प्रतीत नहीं हो रहा है. वहीं प्रगतिशील किसान देवेंद्र महतो व जगमोहन महतो ने कहा कि इस वर्ष धान की खेती चौपट होने की स्थिति में है.
सिकिदिरी में बारिश के अभाव में झुलस रहे सब्जी के पौधे
सिकिदिरी : बारिश नहीं होने से क्षेत्र के किसानों की चिंता बढ़ने लगी है. कुछ दिनों में बारिश नहीं हुई, तो उनकी बची उम्मीदें भी खत्म हो जायेगी. पहले सावन में किसान धान रोपनी में व्यस्त रहते थे, लेकिन अब पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. जो खेत बारिश से लबालब रहते थे, वही आज सूखे पड़े हैं. बिचड़े मरने की स्थिति में पहुंच गये हैं.
क्षेत्र में सावन चढ़ने तक 30 प्रतिशत धान की रोपाई हो जाती थी, जो इस वर्ष पानी की अभाव में मात्र एक से दो प्रतिशत ही हो पायी है, वह भी वहां, जहां सिंचाई की सुविधा है. इधर, सब्जी की खेती से जुड़े किसान भी परेशान हैं. बारी में सब्जियां पानी के अभाव में झुलस रही है.

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