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अपने जमाने के चर्चित विश्वनाथ पहलवान का निधन, दो फिल्मों में भी किया था काम

लखीसराय : पहलवानी के दम पर बड़हिया की पहचान बनाने वाले विश्वनाथ पहलवान का शनिवार को उनके आवास पर निधन हो गया. वे 87 वर्ष के थे. उनके निधन की खबर सुनते ही प्रखंड के लोगों ने उनके आवास पर पहुंच कर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया और अंतिम दर्शन किया. […]

लखीसराय : पहलवानी के दम पर बड़हिया की पहचान बनाने वाले विश्वनाथ पहलवान का शनिवार को उनके आवास पर निधन हो गया. वे 87 वर्ष के थे. उनके निधन की खबर सुनते ही प्रखंड के लोगों ने उनके आवास पर पहुंच कर उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया और अंतिम दर्शन किया. विश्वनाथ पहलवान का जन्म 1933 ई में बड़हिया में हुआ था.

जवानी का दहलीज रखते ही उन्होंने जीतू आखारा पर स्वर्गीय कामता पहलवान को गुरु मान कर कुश्ती प्रारंभ किया. बड़हिया में चार तरफ आठ तरफ झगड़ा को लेकर उनके पिता जी यहां बाहर दिल्ली भेज दिया. वहां मंगला अखाड़ा पर पहलवानी किया. और उन्होंने छोटा पूरण, बड़ा पूरण, टाइगर योगेंद्र सिंह बसंत सिंह दारा सिंह के भाई रंधावा एवं दारा सिंह कुश्ती लड़ी. रंधावा को चीत करते ही पंजाब हरियाणा में विश्वनाथ पहलवान चर्चित हो गये.

गोदरेज कंपनी द्वारा आयोजित दस हजार कुश्ती प्रतियोगिता में दारा सिंह से कुश्ती हुई थी. भारत चीन युद्ध के दौरान 20/01/1963 में लुधियाना पंजाब में कुश्ती प्रतियोगिता में आये धन राशि जवानों को दिया. दारा सिंह उनके बड़हिया आवास पर शादी विवाहसमारोह में मिलने आया करते थे. उन्होंने फिल्मी दुनिया में दो फिल्म में काम किया जिसमें बलमा बड़ा नादान और एक फिल्म हीर रांझा में काम कियाथा. जिसपर उनको पिता जी से काफी बात सुनना पड़ा. फिर पहलवानी में रमकर बड़हिया का नाम ऊंचा किया और बड़हिया का पहचान दिया. इस रत्न के खो जाने से एक और धरोहर का अस्त हो गया. वे अपने पीछे दो बेटा पोता पोती छोड़कर गये है. उनका दाह-संस्कार गंगा किनारे किया गया.

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