आज 18 जुलाई है. यह दिन दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस ( International Nelson Mandela Day) के रूप में मनाया जाता है. 18 जुलाई 1918 को जन्मे नेल्सन रोहिल्हाला मंडेला को रंगभेद केविरुद्ध लड़ाई लड़नेवाले विश्व नेता के रूप में जाना जाता है.
नेल्सन मंडेला का संघर्ष रंगभेद के प्रति कितना अहम था, इसका का अंदाजा इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके जीवित रहते संयुक्त राष्ट्र ने उनके सम्मान में उनके जन्मदिन 18 जुलाई को ‘मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया.
पहला नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस उनके 92वें जन्मदिन के मौके पर, यानी 18 जुलाई 2010 को मनाया गया था. संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव श्री बान की मून ने तब कहा था – मंडेला संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में उच्च आदर्शों के प्रतीक हैं. मंडेला को यह सम्मान शान्ति स्थापना, रंगभेद उन्मूलन, मानवाधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता की स्थापना के लिए किये गये उनकीलगातार कोशिशों के लिए दिया जा रहा है.
नेल्सन मंडेला अपने देशऔर विश्व के लोगों को शिक्षित, खुशहाल तथा समृद्ध देखना चाहते थे. वह शिक्षा को दुनिया को बदलने का सबसे बड़ा हथियार मानते थे. स्कूलऔर काॅलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की, जिसने उन्हें अन्याय के खिलाफ लड़ने की ताकत दी.
छात्र जीवन में नेल्सन मंडेला को हमेशा यह याद दिलाया जाता कि उनका रंग काला है और सिर्फ इसी वजह से वह यह काम नहीं कर सकते. उन्हें हर रोज इस बात का एहसास कराया जाता कि अगर वह सीना तान कर सड़क पर चलेंगे, तो इस ‘अपराध’ के लिए उन्हें जेल जाना पड़ सकता है. ऐसे अन्याय ने उनके अंदर असंतोष भर दिया. धीरे-धीरे उनके मन में एक क्रांतिकारी तैयार होताचला गया.
1940 तक नेल्सन मंडेला ने काॅलेज कैंपस में अपने राजनीतिक विचारों और कार्यकलापों के लिए प्रसिद्धि हासिलकर ली. काॅलेज प्रशासन को जब इस बात का पता लगा, तो उन्हें काॅलेज से निकाल दिया गया और परिसर में उनके प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
नेल्सन मंडेला को लोग प्यार से मदीबा बुलाते थे. मंडेला गांधी जी के विचारों से काफी प्रभावित भी थे. उनके ही विचारों से ही प्रभावित होकर मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ अभियान शुरू किया था. अहिंसाऔर असहयोग के बलबूते उनके अभियान को ऐसी सफलता मिली कि उन्हें अफ्रीका का गांधी पुकारा जाने लगा.
अफ्रीका के गांधी, जिन्होंने खाली हाथ नस्लभेद का किला ढहा कर एक नया इतिहास रच दिया. मंडेला ने अपने जीवन की सबसे ज्यादा उम्र 27 साल कैद में बितायी. अंततः 11 फरवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई. रिहाई के बाद श्वेत सरकार के साथ समझौते और शांति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतांत्रिकऔर बहुजातीय नये दक्षिण अफ्रीका की नींव रखी. मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले काले राष्ट्रपति बने.
5 दिसंबर 2013 को दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला का निधन हो गया. उनकी याद में हर साल 18 जुलाई को ‘अंतरराष्ट्रीय नेल्सन मंडेला दिवस’ मनाया जाता है, ताकि दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाया जा सके.