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जीएसटी लागू होने के बाद अधिकांश सामानों पर टैक्स की दर व महंगाई कम हुई : सुशील मोदी

पटना : बिहार विधानसभा में वित्त विभाग पर हुई चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि दुनिया में भारत पहला देश है जहां जीएसटी लागू होने के बाद जहां अधिकांश चीजों पर टैक्स की दर कम हुई वहीं महंगाई भी घटी. राज्य व केंद्र सरकार […]

पटना : बिहार विधानसभा में वित्त विभाग पर हुई चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि दुनिया में भारत पहला देश है जहां जीएसटी लागू होने के बाद जहां अधिकांश चीजों पर टैक्स की दर कम हुई वहीं महंगाई भी घटी. राज्य व केंद्र सरकार के 17 टैक्स मिल कर एक हो गये. देश के सारे चेकपोस्ट समाप्त कर दियेगये जिसके कारण मालों की आवाजाही निर्बाध हो रही है. इस व्यवस्था में निबंधन, विवरणी दाखिल करना,टैक्स जमा करना सब कुछ ऑनलाइन है.

सुशील मोदी ने कहा कि बिहार में जीएसटी के तहत नये निबंधित करदाताओं की संख्या में 2.44 लाख की बढ़ोतरी हुई. वैट के तहत मात्र 1.63 लाख करदाता निबंधित थे. वहीं अब जीएसटी में उनकी संख्या 4 लाख 08 हजार हो गयी है. जीएसटी में छोटे कारोबारियों को राहत देने के लिए 40 लाख तक के टर्नओवर वालों को निबंधन की आवश्यकता नहीं होगी.उन्होंने कहा कि 2017-18 की तुलना में 2018-19 में 26.17 फीसदी की वृद्धि के 25,583 करोड़ का राजस्व संग्रह हुआ. 2015-16 में 26.17 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 17,379.06 करोड़ का राजस्व संग्रह हुआ था.

उपमुख्यमंत्रीने कहा कि उपभोक्ता राज्य होने के कारण बिहार में पिछले एक साल में 9,098 करोड़ की दवा, 8,672करोड़ के कपड़े, 5,849 करोड़ के सिमेंट, 3,368 करोड़ के लोहा, 5,524 करोड़ के मोबाइल व फोन सेट, 4,859 करोड़ की मोटरसाइकिल, 4,180 करोड़ की मोटर कार व 3,161 करोड़ के ट्रैक्टर अन्य राज्यों से बिकने के लिए आए.उन्होंने कहा, कोषागार पूरी तरह से ऑनलाइन हो गये हैं तथा सरकार की विभिन्न योजनाओं की राशि सीधे डीबीटी और पीएफएमएस के जरिये उनके खाते में भेजी जा रही है. 2018-19 में पीएफएमएस प्रणाली से 17 विभागों की 110 योजनाओं की 16,271 करोड़ की राशि लाभार्थियों को दी गयी. विभागों की सरकारी राशि जमा कराने के लिए ई-कोषागार व ई-रिसिट नामक नया सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है.

सुशील मोदी ने कहा, 12वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर मिले कर्ज की वापसी के लिए संकट न हो इसलिए कंसोडिलेटेडसिकिंग फंड (सीएसएफ) का गठन किया गया है जिसमें 31 मार्च, 2019 तक 6370 करोड़ रुपये जमा है. चालू वित्तीय वर्ष में 875 करोड़ रुपये इस कोष में रखे जायेंगे. इस सीएसएफ में प्रतिवर्ष लिए गए कर्ज का 0.5 प्रतिशत रखा जाना है. पेंशन विवाद के तहत बिहार सरकार को झारखंड ने 2017-18 में 1804 करोड़ की देनदारी में से 1493 करोड़ दिया है जबकि 310 करोड़ बाकी है. बिहार का तर्क है कि पेंशन मद की देनदारी कर्मचारियों की संख्या के आधार पर तय हो जबकि झारखंड जनसंख्या के आधार पर चाहता है. केंद्रीय गृह सचिव ने कर्मचारियों की संख्या के आधार पर पेंशन की देनदारी तय किया मगर झारखंड सरकार इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट चली गयी. सुप्रीम कोर्ट का फैसला अगर बिहार के पक्ष में आता है तो झारखंड को 4,930 करोड़ रुपया देना होगा.

डिप्टी सीएमने कहा कि 2005 के प्रभाव से लागू नयी पेंशन योजना में कर्मचारी को वेतन का 10 प्रतिशत व उतना ही सरकार अंशदान करना है. केंद्र सरकार ने इसमें अपना अंशदान 14 प्रतिशत कर दिया है. बिहार सरकार भी इस प्रस्ताव पर विचार कर रही है. 01 अप्रैल, 2019 तक बिहार में 1,51,466 कर्मचारी नयी पेंशन योजना से आच्छादित है, जिन्हें अन्य सारे लाभ देय हैं.

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बिहार राज्य वित्त निगम लि. का गठन कर छात्रों को शिक्षा ऋण दे रही है. 2018-19 में 525 करोड़ तथा इस साल 831 करोड़ का प्रावधान किया गया है. 18-19 में 50 लाख लक्ष्य के विरुद्ध 45,495 छात्रों में से 43336 के आवेदन को स्वीकृत किया गया, जिसमें 1157 करोड़ निहित है जिसके विरुद्ध 34,999 आवेदकों को कुल 307.43करोड़ ऑनलाइन ट्रांसफर कियेगये हैं. 2019-20 के दौरन कुल स्वीकृत 12939 आवेदनों में 315 करोड़ की राशि निहित है.

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