नयी दिल्ली: वर्तमान में लोगों की जिंदगी में काफी भागदौड़ है. हर कोई कुछ तलाश रहा है. अच्छी नौकरी, घर, गाड़ी, पद वगैरह-वगैरह. इस अतिप्रतिस्पर्धी वातावरण में लोगों की जिंदगी में डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन, अनिंद्रा, और आत्महत्या की प्रवृत्ति जैसे कारकों का होना आम बात हो गई है लेकिन इसके परिणाम बेहद खतरनाक हैं. ऐसी स्थिति में मनोविज्ञान किसी वरदान की तरह है. हम अक्सर सुनते हैं कि भई, जी घबरा रहा है तो किसी मनोवैज्ञानिक से मिलिए. हालांकि विडंबना है कि युवा तमाम संभावनाएं होने के बावजूद इस क्षेत्र में करियर बनाने का नहीं सोचते.
समाज में सभी स्तरों पर मनोविज्ञान में प्रशिक्षण प्राप्त लोगों की जरूरत है. मनोविज्ञान यानी साइकोलॉजी ग्रीक भाषा के दो शब्दों साइको अर्थात आत्मा तथा लोगोस अर्थात विज्ञान से मिलकर बना है, जिसे आधुनिक परिवेश में मनोविज्ञान के नाम से भी जाना जाता है. आत्मा एवं मन का विज्ञान, मनोविज्ञान एक बेहद रोचक, व्यावहारिक और गूढ विषय है, जिसके द्वारा आप हर उम्र के व्यक्ति के मन की बात सहजता से जान सकते हैं.
विदेशों में काफी है इसका चलन
मनोविज्ञान का क्षेत्र काफी बड़ा है और इसमें न केवल प्रत्येक आयुवर्ग के लिए बल्कि प्रत्येक क्षेत्र से जुड़ी विशेषज्ञता हासिल कर कैरियर बनाया जा सकता है. मनोविज्ञान में बच्चों से लेकर सामाजिक शिक्षा और यहां तक ही इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी भी अपने आप में अलग विषय है. विश्व की बात करें तो अमेरिका से लेकर कई अन्य देशों में सैन्य मनोविज्ञान अपने आप में अलग है और इस बारे में काफी अभ्यास किया जाता है.
समाज में मनोवैज्ञानिकों की जरूरत
आज समाज को मनोवैज्ञानिकों की खासी जरूरत है. बढ़ती आत्महत्या, डिप्रेशन का कारण यही है कि हमारे पास काउंसलिंग की अच्छी व्यवस्था नहीं है. विदेशों में प्रत्येक क्षेत्र में काउंसलर हैं जो संबंधित व्यक्ति को सलाह व मार्गदर्शन देते हैं. देश में युवाओं की संख्या काफी ज्यादा है. विश्व का भविष्य इसी युवा जनसंख्या पर निर्भर है. यही कारण है कि समाज में मनौवैज्ञानिकों की बहुत जरूरत है.
मनोविज्ञान केवल किताबी ज्ञान पर आधारित नहीं है बल्कि इसमें छात्रों को प्रैक्टिकल नॉलेज भी दी जाती है. इसके लिए छात्रों को इंटर्नशिप (internship) के लिए भेजा जाता है. हर उम्र के लोगो के साथ, विभिन्न परिस्तिथियों में किस तरह भावनात्मक रूप से जुड़ कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए यह विशेष रूप से सिखाया जाता है.
भारत में मनोविज्ञान में संभावनाएं
भारत इस समय संक्रमण के दौर से गुजर रहा है. वैश्विक प्रतिस्पर्धा है और सबसे अधिक युवा जनसंख्या है. आए दिन हम सुनते रहते हैं कि नौकरी या पढ़ाई के दबाव में युवा आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठा रहा है. इन सबको देखते हुए मनोवैज्ञानिकों की काफी जरूरत है ताकि युवा जनसंख्या को काउंसिलिंग के जरिए मानव संसाधन में बदला जा सके न कि बीमार जनसंख्या में. जो भी इस क्षेत्र में रूचि रखते हैं या फिर इसका हिस्सा बनना चाहते हैं उनके लिये नौकरी के साथ-साथ व्यवसायिक सफलता भी है.
अगर कोई किसी संस्थान में नौकरी नहीं भी करना चाहता है तो खुद का क्लीनिक सेंटर खोलकर काफी पैसा कमा सकता है. इसके अलावा, सरकारी और निजी अस्पतालों, क्लीनिकों, निजी कंपनियों, रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, कॉर्पोरेट हाउस और एनजीओ में मनौवैज्ञानिकों की नियुक्ति की जाती है.
यहां से करें कोर्स
- एआईपीएस (एमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ साइकोलॉजी एंड एलीड सांइसेस), नोएडा
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइकोलॉजी एंड रिसर्च, बैंगलुरू
- क्राइस्ट कॉलेज, बैंगलुरू
- सेंट जेवियर कॉलेज, तिरुवनंतपुरम