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रांची : मामला फ्रेट कॉरिडोर का, 88% हुआ है जमीन अधिग्रहण, 2% के कारण रुका है काम
रांची : झारखंड में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाने का काम जमीन अधिग्रहण के कारण शुरू नहीं हुआ है. यह कार्य पीपीपी मोड पर शुरू होना है. जमीन अधिग्रहण का काम 88 प्रतिशत हुआ है. अगर दो प्रतिशत और हो जाये, तो कागजी कार्रवाई शुरू होगी. उक्त बातें डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के जीएम ऑपरेशन सेफ्टी वेद […]
रांची : झारखंड में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनाने का काम जमीन अधिग्रहण के कारण शुरू नहीं हुआ है. यह कार्य पीपीपी मोड पर शुरू होना है.
जमीन अधिग्रहण का काम 88 प्रतिशत हुआ है. अगर दो प्रतिशत और हो जाये, तो कागजी कार्रवाई शुरू होगी. उक्त बातें डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के जीएम ऑपरेशन सेफ्टी वेद प्रकाश ने रविवार को रेडिशन ब्लू में प्रेस वार्ता के दौरान कही. .
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनने से क्या होगा लाभ : फ्रेट कॉरिडोर बनने से एक चौथाई ट्रांसपोर्टिंग कॉस्ट कम होगा, बाजार में सस्ते सामान मिलेंगे, खरीदारी की क्षमता बढ़ेगी, ट्रेन समय पर चलेगी, सभी मालगाड़ी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पर चलने लगेगी जो अभी मेन लाइन में चलती है, मेन लाइन खाली होने से पैसेंजर और एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन भी सही समय पर होने लगेगा, पावर हाउस को समय पर बिजली उत्पादन के लिए कोयला मिलेगा, अभी कोयला पहुंचाने में 10 से 15 दिन लगता है जबकि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर बनने से कोयला पहुंचाने में दो दिन का समय लगेगा, इंडस्ट्रियल कॉरिडोर बनेगा जिससे यहां के सामान नेशनल और इंटरनेशनल मार्केट तक आसानी से पहुंच सकेंगे.
सोन नगर-गोमो का काम पहले फेज में शुरू होगा : डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का पहला फेज सोन नगर-गोमो होगा. इस लाइन में एक महत्वपूर्ण पुल, 45 मेजर ब्रिज, 496 छोटे पुल, 45 आरयूबी, सात आरएफओ, तीन टनेल बनाये जायेंगे. नया कोडरमा और नया गोमो स्टेशन बनाया जायेगा. इसके लिए रेलवे को 1221.66 हेक्टेयर जमीन चाहिए. वहीं गोमो से दानकुनी तक का काम सेकेंड फेज में होगा. कोडरमा-गिरिडीह-धनबाद-हजारीबाग जिले को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर जोड़ते हुए दानकुनी तक जायेगा.
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