पटना: बिहार के उपमुख्यमंत्रीएवंभाजपा के वरिष्ठ नेता सुशीलकुमारमोदी नेट्वीटकरकहाहै कि लालू प्रसाद को जमानत मिलने या न मिलने से अब जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन चारा घोटाला के एक मामले में जमानत मिलने से इतना जरूर हुआ कि फिलहाल न्यायपालिका पर जातिवादी टिप्पणी करने वाली आवाजें शांत हैं. राजद के लोग चुनाव आयोग, विधायिका और न्यायपालिका जैसी संवैधानिक संस्थाओं के विपरीत फैसले का आदर करना नहीं जानते.
अपने एक अन्य ट्वीट में सुशील मोदी ने कहा कि 2014 के संसदीय चुनाव में जब नरेंद्र भाई मोदी के विकास माडल को व्यापक समर्थन मिलने से 30 साल बाद पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी, तब राजद-कांग्रेस जैसे विरोधी दल अपनी परिवारवादी, जातिवादी और घोटालों में डूबी राजनीति को जिम्मेदार मानने के बजाय जनता के फैसले को कोस रहे थे। 2019 की महापराजय के बाद भी उनकी आंखें नहीं खुलीं इसलिए फिर कहा जा रहा है कि वोटर झांसे में आ गये. हकीकत तो यह है कि गरीबों-दलितों-पिछड़ों को झांसा देकर जिन्होंने घोटाले किये और बेनामी संपत्तियां बनायीं, उनके झांसे में आना लोगों ने बंद कर दिया है.
सुशील मोदी ने कहा कि इस साल अप्रैल में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में 39 पेज का हलफनामा दायर कर कहा था कि लालू प्रसाद ने सजा सुनाए जाने के बाद एक दिन भी जेल में नहीं बिताया, बल्कि खराब सेहत का हवाला देकर साढ़े आठ महीने से अस्पताल में हैं. उन्होंने अपनी जमानत याचिका में कोर्ट को गुमराह करने वाले दावे किये थे. सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को उनकी याचिका खारिज कर दी और 23 मई को जनता की अदालत ने उनकी पार्टी का खाता बंद कर दिया. न लोग उनके झांसे में आये, न सुप्रीम कोर्ट.