गुड न्यूज : कोयला खदानों में कार्यरत ठेका श्रमिकों को भी मिलेगा वीडीए
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अतिकुशल की मजदूरी 877, अकुशल की 787
गुड न्यूज : कोयला खदानों में कार्यरत ठेका श्रमिकों को भी मिलेगा वीडीए कोल इंडिया प्रबंधन ने जारी किया सर्कुलर सभी अनुषांगिक कोयला कंपनियों को इसके क्रियान्वयन पर उठ रहे सवाल, पहले से ही तय मजदूरी का भुगतान नहीं ठेका श्रमिकों के शिनाख्त की प्रक्रिया, मानदंड भी हैं पहले से विवादों के घेरे में सांकतोड़िया […]
कोल इंडिया प्रबंधन ने जारी किया सर्कुलर सभी अनुषांगिक कोयला कंपनियों को
इसके क्रियान्वयन पर उठ रहे सवाल, पहले से ही तय मजदूरी का भुगतान नहीं
ठेका श्रमिकों के शिनाख्त की प्रक्रिया, मानदंड भी हैं पहले से विवादों के घेरे में
सांकतोड़िया : कोयला खदान में कार्यरत ठेका मजदूरों को वीडीए के साथ मजदूरी का भुगतान किया जायेगा. वीडीए जोड़े जाने के बाद अतिकुशल कामगार की मजदूरी 877 रुपये तथा अकुशल मजदूर की मजदूरी 787 रुपये हो जायेगी. इसका लाभ सिर्फ खनन कार्य में जुटे मजदूरों को मिलेगा. पर अधिकांश मजदूरों को निर्धारित दर के मुताबिक राशि नहीं दी जा रही है.
ईसीएल समेत सीआइएल की अन्य अनुषांगिक कंपनियों में कोयला उत्खनन, मिट्टी निकासी समेत लगभग 70 फीसदी कार्य ठेका से कराये जा रहे हैं. प्रबंधन के अनुसार आउटसोर्सिंग में कोयला खनन में लगे ठेका मजदूर ही इस श्रेणी में आते हैं. सिर्फ इन्हीं मजदूरों को यह मजदूरी तथा सुविधा मिलनी है. श्रमिक संगठनों एवं प्रबंधन की संयुक्त हाई पावर कमेटी के निर्णय पर इनकी मजदूरी तय होती है. नये निर्णय में इन्हें वीडीए को जोड़ कर मजदूरी भुगतान करने को कहा गया है.
कोल इंडिया प्रबंधन ने सर्कुलर जारी कर सभी कंपनियों को नयी राशि देने का निर्देश दिया है. ठेका मजदूरों का कहना है कि कंपनियां उनके खाते में पूरी राशि जमा करा देती है, ताकि प्रबंधन को पूरा भुगतान किए जाने की रिपोर्ट प्रस्तुत की जा सके.
ठेकेदार सभी मजदूरों का एटीएम कार्ड अपने पास रखे हुए है. 787 रुपये प्रतिदिन की दर से राशि जमा करने के बाद एटीएम के माध्यम से अधिक राशि निकाल ली जाती है और बाद उन्हें कम दर के अनुसार भुगतान किया जाता है. विरोध करने पर काम से हटाने की धमकी दी जाती है.
सनद रहे कि कोल इंडिया की खदानों में लगभग 3.5 लाख ठेका मजदूर कार्यरत हैं, पर कंपनी रिकॉर्ड के मुताबिक सिर्फ 1.78 लाख मजदूर ही पंजीकृत हैं. इन मजदूरों को कंपनी की ओर से सभी सुविधाएं प्रदान की जा रही है. जिसमें पीएफ समेत अन्य सुविधाएं भी शामिल है. शेष मजदूरों को रिकॉर्ड में नहीं रखा गया है, इसकी वजह अस्थायी प्रवृत्ति के कार्य में संलग्न होना बताया जा रहा है. आउटसोर्सिंग कार्य में लगी कुछ बड़ी कंपनियां ही हैवी वाहन ऑपरेटरों को अधिक राशि दे रही है, जबकि उसी कंपनी में कार्यरत अन्य मजदूरों को निर्धारित दर के मुताबिक राशि नहीं दी जा रही.
सीटू के उप महासचिव वीएम मनोहर ने कहा कि खनन कार्य में लगे आउटसोर्सिंग ठेका मजदूरों की मजदूरी निर्धारित की गई है. लेकिन पहले से निर्धारित मजदूरी का ही भुगतान नहीं हो रहा है. प्रबंधन को इसके क्रियान्वयन की गारंटी करनी चाहिए.
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