नयी दिल्ली : नीदरलैंड के दिवाला मामलों के विभाग ने शुक्रवार को जेट एयरवेज के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) अपील दायर की, जिसमें राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ के एय निर्णय को चुनौती दी गयी है. इसमें उसने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी. अपीलीय न्यायाधिकरण उसकी अपील की सुनवाई पर सहमति जतायी है.
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अपीलीय न्यायाधिकरण के चेयरमैन न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय एनसीएलएटी पीठ ने नीदरलैंड की एजेंसी के प्रशासक से भारत में जेट एयरवेज के खिलाफ चल रही दिवाला प्रक्रिया में सहयोग करने को कहा है. नीदरलैंड के ऋणशोधन अदालत के प्रशासक अपीलीय न्यायाधिकरण के सामने कर्ज में डूबी जेट एयरवेज की जब्त संपत्ति नहीं बेचने पर सहमति जतायी है.
एनसीएलएटी ने नीदरलैंड की एजेंसी की ओर से उठाये गये मुद्दे पर जेट एयरवेज को कर्ज दे रखे बैंकों के समूह को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी. इससे पहले एनसीएलटी मुंबई ने नीदरललैंड की एजेंसी की अपील खारिज कर दी थी. अपील में उनके यहां जारी कार्यवाही पर गौर करने को कहा गया था.
जेट एयरवेज को नीदरलैंड में दिवाला एवं ऋण शोधन प्रक्रिया का सामना करना पड़ रहा है. कंपनी को दो यूरोपीय कर्जदाताओं की शिकायत पर दिवाला घोषित किया गया है. अप्रैल में एच एस्सार फाइनेंस कंपनी तथा वेलनेबार्न ट्रांसपोर्ट ने याचिका दायर कर करीब 280 करोड़ रुपये के बकाये का दावा किया था.
उसके बाद नीदरलैंड की अदालत ने एक न्यासी प्रभारी की नियुक्ति की और वह एयरलाइन की वित्तीय स्थिति तथा संपत्ति पर नियंत्रण हासिल करने के लिए भारत में संबंधित विभाग से संपर्क किया था. जेट एयरवेज का एक विमान पहले ही नीदरलैंड में जब्त किया जा चुका है. भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई में 26 बैंकों का समूह कंपनी से 8,500 करोड़ रुपये की वसूली को लेकर एनसीएलटी में मामला दायर किया है.
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