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कई दिनों से मां की तलाश में भटक रही बेल्जियम से रांची पहुंची चिराग शूटाइजर ने कहा, कहां हो मां, एक बार मिल लो…

रांची : बेल्जियम से अपनी मां की तलाश में रांची पहुंची चिराग शूटाइजर कई दिनों से भटक रही है. चिराग के पास एक फाइल है, जिसमें कुछ आधी अधूरी जानकारी है. चिराग को इतना मालूम है कि उसे जन्म देनेवाली मां का नाम पूनम मिंज है. 1977 के आसपास पूनम रांची के डोरंडा स्थित एक […]

रांची : बेल्जियम से अपनी मां की तलाश में रांची पहुंची चिराग शूटाइजर कई दिनों से भटक रही है. चिराग के पास एक फाइल है, जिसमें कुछ आधी अधूरी जानकारी है.
चिराग को इतना मालूम है कि उसे जन्म देनेवाली मां का नाम पूनम मिंज है. 1977 के आसपास पूनम रांची के डोरंडा स्थित एक कॉलेज में पढ़ती थी. पिछले दिनों चिराग लातेहार के महुआडांड़ पहुंची. वहां कई चर्च का दौरा किया अौर रजिस्टर से मां को तलाश करने की कोशिश की, लेकिन कुछ पता नहीं चला.
वापस रांची आकर चिराग ने अपनी मां के कॉलेज में जाकर जानकारी हासिल करने की कोशिश की. फिर वह चर्च रोड स्थित एक गर्ल्स स्कूल भी गयी.
अब तक की खोजबीन से पूनम मिंज की दो सहेलियों के बारे में पता चला. इनमें एक महिला कोलकाता में और दूसरी रांची में हैं. इनसे मुलाकात नहीं हो सकी है. दिन बीतते जा रहे हैं अौर वापस बेल्जियम लौटने के दिन भी नजदीक आ रहे हैं. ऐसे में चिराग के दिल से बस यही आवाज निकल रही है कि कहां हो मां, बस एक बार अपनी बेटी से मिल लो.
जन्म के कुछ दिन बाद अनाथालय में दे दिया था
गौरतलब है कि चिराग का जन्म 1977 में हुआ था. जन्म के कुछ समय बाद ही उसकी मां ने उसे अनाथालय में सौंप दिया था. रांची से चिराग को कोलकाता ले जाया गया, जहां से उसे 1978 में बेल्जियम के एक दंपती ने गोद ले लिया. चिराग के दर्द को शहर के कई संवेदनशील लोगों ने महसूस किया है. राउंड टेबल इंडिया के पूर्व चेयरमैन मनप्रीत सिंह राजा चिराग को मदद कर रहे हैं.

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