21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पढ़ें, नये कानून के तहत क्या हैं मकान मालिक और किरायेदार के अधिकार

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार मॉडल टेनंसी ऐक्ट जल्द लाने वाली है. मकान-दुकान मालिक और किराएदार के बीच संतुलन बना रहे , कोई मतभेद ना हो और नियमानुसार काम हो इसके लिए नये कानून के मसौदे पर काम अंतिम चरण में है. टेनंसी ऐक्ट के मसौदे को लेकर जून में दो बैठकें हुई. उम्मीद जताई […]

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार मॉडल टेनंसी ऐक्ट जल्द लाने वाली है. मकान-दुकान मालिक और किराएदार के बीच संतुलन बना रहे , कोई मतभेद ना हो और नियमानुसार काम हो इसके लिए नये कानून के मसौदे पर काम अंतिम चरण में है. टेनंसी ऐक्ट के मसौदे को लेकर जून में दो बैठकें हुई. उम्मीद जताई जा रही है कि अगस्त महीने में इस मसौदे को कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है. समझ लीजिए कि इस नये कानून में क्या खास है.

क्या है किरायेदार और मकान मालिक के अधिकार
आपके किराये के घर की सिक्यॉरिटी मनी दो महीने से ज्यादा की नहीं हो सकती. इस कानून के तहत अपने मकान की जांच के लिए किसी तरह का काम कराने के लिए या किसी दूसरे मकसद से आने के 24 घंटों का लिखित नोटिस पहले देना होगा. एक बार अग्रीमेंट होने के बाद तय समय से पहले किरायेदार को नहीं निकाला जा सकता. अगर किरायेदार आपकी संपत्ति का गलत इस्तेमाल कर रहा हो, दो महीने का किराया नहीं दिया हो तब ही आप उसे बाहर निकाल सकेंगे.
इसी तरह यह कानून मकान मालिकों को भी अधिकार देता है. रेंट अग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी अगर किरायेदार मकान खाली नहीं कर रहा तो मकान मालिक को अधिकार है कि वह चार गुना तक मासिक किराया मांग सकता है. मकान की देखभाल के लिए मकान मालिक और किरायेदार दोनों ही जिम्मेदार होंगे. मकान मालिक बिल्डिंग में कोई बेहतर काम करता है तो उसे किराया बढ़ाने का अधिकार है लेकिन किरायेदार को भी इस फैसले में सलाह- मशवरे के साथ शामिल करना होगा. किराया बढ़ाने के तीन महीने पहले महीने पहले नोटिस देना होगा. रेंट अग्रीमेंट खत्म होने से पहले किराया नहीं बढ़ाया जा सकेगा.
कानून में राज्य सरकार कर सकती है बदलाव
इस कानून में बदलाव की संभावना भी है. केंद्र के इस कानून में अगर राज्य सरकार कोई बदलाव करना चाहे तो आसानी से कर सकेगी. इस कानून में बदलाव की इजाजत इसलिए भी दी गयी क्योंकि हाउसिंग मिनिस्ट्री पहले भी इसी तरह का मॉडल ऐक्ट लाई थी, लेकिन उसे दिल्ली और मुंबई के व्यापारियों के कड़े विरोध के कारण लागू नहीं किया जा सका था.
सरकारी सर्वे के मुताबिक, शहरी इलाकों में 1.1 करोड़ प्रॉपर्टीज इसलिए खाली पड़े हैं क्योंकि उनके मालिकों को लगता है कि कहीं किराएदार उनकी प्रॉपर्टी हड़प न ले. नये कानून में विवाद के त्वरित समाधान के लिए रेंट कोर्ट्स और रेंट ट्राइब्यूनल्स भी बनाने की चर्चा है. रेंट अग्रीमेंट साइन करने के बाद संबंधित अथॉरिटी को मासिक किराया, किराए की अवधि और मकान मालिक एवं किराएदार पर रिपेयरिंग के छोटे-बड़े काम की जिम्मेदारी जैसी जानकारियां देनी होंगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें